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Updated: 22 सितम्बर, 2017 01:44 PM
राहुल लाल
राहुल लाल
  @rahul.lal.3110
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मैक्सिको सिटी में कल देर रात शक्तिशाली भूकंप के झटकें आए, जिसमें 2 करोड़ की आबादी वाला यह शहर थर्रा उठा. 32 वर्ष पूर्व भी 19 सितंबर 1985 को इसी दिन मेक्सिको का सबसे भयंकर भूकंप आया था. 32 साल बाद फिर से भूकंप के तबाही का खौफनाक मंजर मैक्सिको सिटी में फैला हुआ है. इस भूकंप की वजह से अब तक 275 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. वहीं काफी इमारतों जमींदोज हो गई हैं. राहतकर्मी मलबों में जीवित बचे लोगों को तलाश रहे हैं. मृतकों की संख्या और भी वृद्धि होने की पूरी संभावना है. रिक्टर पैमाने पर 7.1 तीव्रता के इस भूकंप के बाद मैक्सिको सिटी के अतिरिक्त मोरलियोस और पुएब्ला प्रांतों में भारी तबाही मचाई है. भूकंप का केन्द्र पूएब्ला प्रांत के मध्य में 52 किमी नीचे था. भूकंप के बाद कई मकानों में भयानक आग की लपटें भी देखी गई. इस तरह लोगों को भूकंप के दौरान आग से संघर्ष करते हुए भी देखा गया. बता दें कि भारतीय समयानुसार भूकंप रात 11:45 में आया था. इसके पूर्व 8 सितंबर को भी दक्षिणी मैक्सिको में भूकंप आया था, जिसमें 90 लोग मारे गए थे. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर भारत में इस तरह के भूकंप आते हैं, तो हम इनसे निपटने के लिए कितना तैयार हैं?

मैक्सिको, भूकंपमोक्सिको सिटीभारत भूकंप के लिए कितना तैयार??

भूकंप के विनाशलीला की कल्पना मात्र से ही दिल दहलने लगता है. अभी काठमांडू के भूकंप के हादसों के दृश्य मन मस्तिष्क से हटा भी नहीं था कि आज टीवी पर मैक्सिको के भूकंप के खतरनाक दृश्यों के बाद पुन: सवाल उठता है कि हम भूकंप के लिए कितने तैयार हैं? भूकंप को हम रोक नहीं सकते लेकिन जापान के तरह भूकंप से बचने के प्रयास तो कर ही सकते हैं. हिमालय पर्वत श्रृंखला की ऊंचाई वाला और जोशीमठ से ऊपर वाला हिस्सा, उत्तर पूर्व में शिलांग, कश्मीर और कच्छ व रण का इलाका भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील जोन-5 में आते हैं. इसके अलावा राजधानी दिल्ली, जम्मू और महाराष्ट्र तक का देश का काफी बड़ा हिस्सा भूकंपीय जोन-4 में आता है, जहां भूकंप का गंभीर खतरा सदैव बना ही रहता है. भुज, लातूर इत्यादि के भूकंपों से लगा था कि भारत भूकंप को लेकर गंभीर होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. देश की राजधानी दिल्ली समेत सभी महानगरों में गगनचुंबी इमारतों की श्रृंखला का निर्माण होना शुरू हो गया है. आज देश के महानगर कंक्रीट के जंगल में बदल गए हैं. इनमें इमारतों में महज 2% इमारत ही भूकंपरोधी तकनीक से बनाई गई है. यहां पर निर्माण में नियम कानूनों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन हुआ है. यही बहुमंजिली इमारतें भूकंप आने के स्थिति में व्यापक जन हानि का कारण बनते हैं.

मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहर भूकंपीय जोन-3 में आते हैं, लेकिन दिल्ली न केवल जोन-4 में है, अपितु हिमालय के निकट भी है, जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. दिल्ली में तो 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने में सक्षम नहीं है. यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर स्थिति और भी गंभीर है, क्योंकि यहां की मिट्टी बहुत ढीली है. दिल्ली में अगर रिक्टर 7 स्केल का भूकंप आया तो भारी नुकसान हो जाएगा. वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन है, जिससे भूकंप की संभावनाएं और तीव्र ही होती है. इसके अतिरिक्त दिल्ली में पुराने जर्जर मकान काफी समीप-समीप बने हुए हैं. अगर एक इमारत गिरती है, तो कई अन्य इमारतों को भी गिरा देगी.

इसी तरह पर्वतीय इलाकों में बने अवैध निर्माण भी भूकंप के विनाशलीला को बढ़ाने वाले हैं. प्राय: ये पर्वतीय अवैध निर्माण बाढ़ और भूकंप के त्रासदी में विनाशलीला को व्यापक बनाते हैं. हमारे यहां अशिक्षा, गरीबी और बढ़ती आबादी के आलम में आधुनिक निर्माण संबंधी जानकारी, जागरूक व जरूरी कार्यकुलता का अभाव है. इससे जनजीवन की हानि का जोखिम और बढ़ गया है. भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों के लिए आवश्यक है कि भवन निर्माण से पहले भूकंपरोधी इंजीनियरिंग निर्माण दिशा-निर्देशिका का अध्ययन करें व भवन निर्माण इसी के आधार पर करें. इसमें मात्र 5 फीसदी ही अधिक धन खर्च होगा.

भूकंप जैसे संकट के बचाव का सर्वश्रेष्ठ माध्यम पहले से उसकी तैयारी है. हमें इसके सबसे पहले सरवाइवल किट तैयार करना चाहिए. भूकंप आने पर सबसे पहले सुरक्षित क्षेत्र की ओर जाना चाहिए. अगर ऐसा संभव नहीं हो तो दरवाजे के चौखट के सहारे बीच में, पलंग मेज के नीचे छिप जाए, जिससे ऊपर से गिरने वाले मलवा से बचा जा सकता है. यदि वाहन पर सवार हैं तो उसे सड़क के किनारे खड़ा कर खतरा टलने तक इंतजार करें.

भारत, जापान से बुलेट ट्रेन बनाने में मदद ले रहा है, उससे कहीं ज्यादा आवश्यक है कि हम जापान से भूकंप से बचाव करना सीखें. कई बार जापान में रिक्टर स्केल-8 की तीव्रता में भी जान माल को कोई नुकसान नहीं होता. वहीं भारत में इसी तीव्रता के भुज के भूकंप में क्या हुआ था, इसे तो हम अच्छी तरह से जानते हैं. अगर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ हमलोग चक्रवात से निपट सकते हैं, तो भारत इसी सफलता को भूकंप में भी दोहरा सकता है. यद्यपि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. लेकिन भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों पर आवश्यक तैयारी की जा सकती है.

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लेखक

राहुल लाल राहुल लाल @rahul.lal.3110

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं

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