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Updated: 06 दिसम्बर, 2022 08:45 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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एमसीडी चुनाव को लेकर सामने आए तमाम एग्जिट पोल्स में भाजपा को पछाड़ते हुए आम आदमी पार्टी आगे निकलती दिखाई पड़ रही है. 15 साल से एमसीडी पर काबिज भाजपा के लिए आम आदमी पार्टी का उभार दिल्ली को अरविंद केजरीवाल का अजेय दुर्ग बनाने की ओर बढ़ चला है. तमाम एग्जिट पोल के अनुसार, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के बेताज बादशाह बनने जा रहे हैं. एमसीडी की 250 सीटों के लिए इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया (India Today-axis my india) के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी को 149-171 सीटें मिलने का दावा किया गया है. वहीं, भाजपा 69-91 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. खैर, 7 दिसंबर को एमसीडी चुनाव के नतीजे सामने आ ही जाएंगे. लेकिन, एमसीडी चुनाव के नतीजों को पचाने के लिए इंडिया टुडे-माय एक्सिस इंडिया के एग्जिट पोल का ये विश्लेषण जरूर पढ़ना चाहिए. क्योंकि, दिल्ली का 'बादशाह' बनने जा रहे केजरीवाल की एग्जिट पोल से 'पोल' खुल गई है.

MCD Election Exit Poll Decoded Aam Aadmi Party Arvind Kejriwal hero of Slum and Uneducated Peopleअरविंद केजरीवाल की सारी राजनीति रेवड़ी कल्चर पर ही टिकी है.

इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल ने खोली 'पोल'

- आम आदमी पार्टी के झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में सर्वाधिक पसंद किया गया है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, स्लम एरिया में आम आदमी पार्टी को 49 फीसदी और भाजपा को महज 28 फीसदी वोट मिले हैं. आसान शब्दों में कहें, तो गरीब लोगों के बीच अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की गहरी पैंठ बन चुकी है. लेकिन, ये पैंठ सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित है. क्योंकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की बहुतायत में जमानत तक जब्त हो गई थी.

- इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, आम आदमी पार्टी को कॉलोनी/फ्लैट से 42 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि, भाजपा को 36 फीसदी वोट मिले हैं. ये आंकड़ा बताता है कि मुफ्त बिजली-पानी की योजनाओं समेत AAP का शिक्षा मॉडल मध्यम वर्गीय लोगों तो केजरीवाल के खेमे में आसानी से खड़ा कर देता है. वैसे, इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के इन आंकड़ों में अवैध कॉलोनियां भी शामिल हैं. तो, इसमें निम्न-मध्यम वर्गीय लोगों को भी जोड़ा जा सकता है. लेकिन, यहां भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है.

- कोठी/बंगला वाले मतदाताओं के बीच भी आम आदमी पार्टी को 37 फीसदी वोट मिलते दिखाई पड़ रहे हैं. जबकि, भाजपा को यहां पर 42 फीसदी वोट मिलते नजर आ रहे हैं. ये दिखाता है कि उच्च-मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों का रुझान भाजपा की ओर है. लेकिन, यहां भी कांटे की टक्कर है.

- इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, पहाड़ी समुदाय और गुजराती समुदाय बड़ी संख्या में भाजपा के साथ नजर आता है. लेकिन, यूपीवासी, बिहारी, दिल्लीवासी, पंजाबी, दक्षिण भारतीयों में आम आदमी पार्टी के समर्थक ज्यादा हैं. जबकि, हरियाणवी और बंगाली मतदाताओं ने भाजपा और आम आदमी पार्टी के लिए बराबर वोटिंग की है.

- शिक्षा के हिसाब से आम आदमी पार्टी की निरक्षरों यानी अनपढ़ों में ज्यादा पैंठ नजर आती है. आम आदमी पार्टी को वोट देने वालों में 52 फीसदी निरक्षर हैं. इस कैटेगरी में भाजपा को सिर्फ 28 फीसदी वोट ही मिले हैं. 9वीं कक्षा पास 47 फीसदी लोग आम आदमी पार्टी, तो 33 फीसदी भाजपा के साथ हैं. 10वीं पांस 43 फीसदी केजरीवाल, तो 35 फीसदी भाजपा के साथ हैं. लेकिन, 12वीं पास लोगों की बात आते ही आंकड़े बदलना शुरू हो जाते हैं. 12वीं पास लोगों में 41 फीसदी भाजपा, तो 37 फीसदी आम आदमी पार्टी के साथ हैं. ग्रेजुएट मतदाताओं की बात करें, तो 41 फीसदी भाजपा के साथ हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी के समर्थन में 35 फीसदी ही मतदाता हैं. अगर प्रोफेशनल डिग्री वालों की बात करें, तो यहां आम आदमी पार्टी के निरक्षर समर्थकों की तरह ही माहौल नजर आता है. प्रोफेशनल डिग्रीधारक 51 फीसदी लोग भाजपा के समर्थक हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी को महज 32 फीसदी लोगों का साथ मिला है.

- इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, 20 हजार से ज्यादा प्रति माह कमाने वाले 41 फीसदी लोगों के बीच भाजपा और 38 फीसदी आम आदमी पार्टी के समर्थक हैं. वहीं, 30 हजार से ज्यादा प्रति माह कमाने वालों में 42 फीसदी भाजपा के साथ और 33 फीसदी लोग आम आदमी पार्टी के साथ नजर आते हैं. लेकिन, 5 हजार से 20 हजार तक की प्रति माह कमाई करने वालों में आम आदमी पार्टी का बोलबाला है. यहां भाजपा और आम आदमी पार्टी के समर्थकों के बीच 13 से 16 फीसदी तक का अंतर है.

- इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, मध्यम वर्गीय सरकारी और गैर-सरकारी नौकरी करने वालों के बीच आम आदमी पार्टी और भाजपा बराबरी से वोट हासिल करती है. आम आदमी पार्टी को 44 फीसदी वोट फ्री बिजली-पानी और स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए मिलता है. जिसमें 17 फीसदी वोट अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर मिलता है.

रेवड़ी कल्चर ही AAP का सियासी आधार

देश की राजधानी दिल्ली में 1.45 से ज्यादा मतदाता है. लेकिन, एमसीडी चुनाव में वोटिंग की बारी आने पर 50.47 फीसदी लोग ही मतदान करने के लिए बाहर निकले. लिखी सी बात है कि इन मतदाताओं में से कई पार्टियों के काडर वोट भी होंगे. लेकिन, एमसीडी चुनाव में काडर वोट जैसा फॉर्मूला दूर-दूर तक नजर ही नहीं आया. आसान शब्दों में कहें, तो भाजपा के समर्थक मतदाताओं ने भी आम आदमी पार्टी को वोट किया है. और, ऐसा होने की वजह अरविंद केजरीवाल सरकार की मुफ्त बिजली-पानी की योजनाओं से इतर प्राइवेट स्कूलों में फीस पर लगाया गया कैप, मोहल्ला क्लीनिक जैसी चीजें हैं.

इन छोटी-छोटी सुविधाओं के जरिये गरीब से लेकर मध्यम वर्गीय परिवारों के बीच आम आदमी पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ी है. क्योंकि, मुफ्त बिजली-पानी जैसी सुविधाओं के जरिये इन तमाम लोगों पर पड़ने वाला बड़ा बोझ खत्म हो चुका है. करीब दो से ढाई हजार रुपये की हर महीने की बचत ने गरीब से लेकर मध्यम वर्गीय परिवारों को आम आदमी पार्टी का समर्थक बना दिया है. हालांकि, यहां एक बात ये भी जानना जरूरी है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव और एमसीडी चुनाव में भले ही अरविंद केजरीवाल ताबड़तोड़ बैटिंग करते नजर आते हों. लेकिन, लोकसभा चुनाव में AAP का खाता दिल्ली में आज तक नहीं खुला है.

और, इसकी संभावना भी नजर नहीं आती है. क्योंकि, दिल्ली की जनता एमसीडी चुनाव और विधानसभा चुनाव में भले ही अरविंद केजरीवाल सरकार की मुफ्त की योजनाओं समेत अन्य चीजों को मद्देनजर रखते हुए वोट करे. लेकिन, लोकसभा चुनाव में यही जनता भाजपा के पक्ष में खड़ी नजर आती है. और, भाजपा इस तरह के सियासी वादों से दूरी ही बनाए रखती है. आसान शब्दों में कहें, तो अरविंद केजरीवाल की सारी राजनीति रेवड़ी कल्चर पर ही टिकी हुई है. जिस दिन रेवड़ी कल्चर का गुब्बारा फूटा. आम आदमी पार्टी का सियासी भविष्य भी दांव पर लग जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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