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Updated: 29 मार्च, 2019 03:22 PM
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प्रियंका गांधी वाड्रा को जब कांग्रेस का महासचिव बनाया गया तो उनके चुनाव लड़ने की भी चर्चा होने लगी थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाये जाने के चलते पूर्वांचल की ही सीटों को लेकर अटकले लगायी जाने लगीं. रायबरेली से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से भी चुनाव लड़ने की बातें होने लगी थी.

जब चुनाव लड़ने को लेकर कहीं से कोई घोषणा नहीं हुई तो धीरे-धीरे ये चर्चा भी विरामावस्था को प्राप्त हो गयी - लेकिन अब खुद प्रियंका ने ही इस चर्चा को आगे बढ़ा दिया है. अमेठी में एक सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा तो सिर्फ इतना ही कि कांग्रेस चाहेगी तो वो चुनाव जरूर लड़ेंगी. काफी पहले ऐसे ही एक सवाल पर सोनिया गांधी का भी यही जवाब रहा.

अब तो सोनिया की सीट की घोषणा भी हो चुकी है, इसलिए प्रियंका वाड्रा के रायबरेली से चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. फिर सवाल ये है कि वो कौन सी सीटें हो सकती हैं जहां से कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा को उम्मीदवार बना सकती है?

1. मुरादाबाद

मुरादाबाद प्रियंका वाड्रा का ससुराल है. प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा मुरादाबाद के ही रहने वाले हैं. हाल में मुरादाबाद यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर की चुनाव लड़ने से इंकार करने के कारण चर्चा में रहा. राज बब्बर के विरोध के बाद अब कांग्रेस ने मुरादाबाद से शायर इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट दिया है. प्रियंका गांधी का मुरादाबाद का कार्यक्रम तो पहले से तय था, लेकिन राज बब्बर के इंकार और फतेहपुर सिकरी शिफ्ट होने के बाद अब नये सिरे से सब कुछ होगा.

प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए रायबरेली और अमेठी जैसा ही सुल्तानपुर का इलाका भी है. कांग्रेस में प्रभारी महासचिव बनाये जाने से पहले तक प्रियंका रायबरेली और अमेठी में सक्रिय रहने के अलावा सुल्तानपुर पर नजर रखती आयी हैं. सुल्तानपुर अमेठी से ही लगा हुआ है जहां से कांग्रेस ने राज्य सभा सांसद डॉ. संजय सिंह को टिकट दिया है. प्रियंका के चारा संजय गांधी के मित्र संजय सिंह के विरूद्ध बीजेपी के टिकट पर मेनका गांधी मैदान में उतर चुकी हैं. इलाके के लोगों से नजदीकी होने के मामले में इन सीटों के बाद नंबर तो मुरादाबाद का ही आता है.

मुरादाबाद से 2009 में कांग्रेस के टिकट पर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अहजरूद्दीन सांसद बने थे - फिलहाल ये सीट बीजेपी के पास है.

2. फूलपुर

फूलपुर लोक सभा क्षेत्र से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सांसद हुआ करते थे. उनके बाद नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित फूलपुर से दो बार सांसद बनीं. नेहरू का इलाका होने के कारण प्रियंका वाड्रा खुद को फूलपुर से कनेक्ट कर सकती हैं.

हाल फिलहाल तो फूलपुर गठबंधन की राजनीति की प्रयोगशाला बना है. ये फूलपुर और गोरखपुर संसदीय क्षेत्र ही रहे जो मौजूदा सपा-बसपा गठबंधन के आधार बने. फूलपुर पर फिलहाल समाजवादी पार्टी का कब्जा है.

priyanka gandhi vadraअगर रॉबर्ट वाड्रा का कोई प्लान नहीं है तो प्रियंका गांधी मुरादाबा से चुनाव लड़ सकती हैं - और छिंदवाड़ा तो है ही...

2014 में पहली बार फूलपुर में बीजेपी को कामयाबी मिली जब केशव मौर्या मोदी लहर में लोक सभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. केशव मौर्या को यूपी का डिप्टी सीएम बनाये जाने के बाद ये सीट खाली हो गयी थी - लेकिन उपचुनाव में बीजेपी को गठबंधन के मजबूत वोट बैंक के चलते हाथ धोना पड़ा.

कांग्रेस चाहे तो प्रियंका वाड्रा फूलपुर से चुनाव मैदान में उतार सकती है - संभव है प्रियंका के आने से सपा-बसपा गठबंधन अपने उम्मीदवार वापस ले ले. बशर्ते मायावती को इसके लिए अखिलेश यादव राजी कर पायें.

3. इलाहाबाद

फूलपुर की ही तरह इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र भी प्रियंका वाड्रा के लिए सही जगह हो सकती है. प्रयागराज बन चुके इलाहाबाद के साथ भी नेहरू कनेक्शन रहा है. अपनी पूर्वांचल यात्रा की शुरुआत भी प्रियंका ने प्रयागराज से ही की थी - और गंगा के रास्ते वाराणसी तक की बोटयात्रा की थी. इलाहाबाद भी कांग्रेस का पुराना इलाका रहा है. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और 1984 में अमिताभ बच्चन यहां से लोक सभा चुनाव जीत चुके हैं.

बाद में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी का ये इलाका हुआ करता रहा जो दो बार समाजवादी पार्टी के पास चला गया, लेकिन 2014 में बीजेपी ने वापस कब्जा जमा लिया.

बीजेपी ने इस बार इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी को प्रत्याशी बनाया है - जो 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में हुआ करती थीं. कांग्रेस या सपा-बसपा गठबंधन की ओर से तो अभी किसी को उम्मीदवार भी नहीं बनाया गया है.

4. गोरखपुर

कांग्रेस के लिए गोरखपुर भी फिलहाल फूलपुर जैसा ही है. गोरखपुर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इलाका है. उपचुनाव में गोरखपुर सपा-बसपा गठबंधन के हाथ लग गया - और समाजवादी पार्टी के हिस्से में आया है.

प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का जो प्रभार दिया गया है उसमें वाराणसी और गोरखपुर जैसी दो सीटें बेहद महत्वपूर्ण हैं. गोरखपुर इलाके में कांग्रेस को मजबूत करना भी प्रियंका को मिली खास जिम्मेदारियों में शामिल है.

अगर कांग्रेस प्रियंका गांधी को गोरखपुर से चुनाव मैदान में उतारती है तो उसे वैसा ही फायदा मिल सकता है, जैसा आजमगढ़ से चुनाव लड़ने उतरे अखिलेश यादव उम्मीद कर रहे होंगे.

आपसी खींचतान के चलते गोरखपुर वैसे भी बीजेपी की कमजोर कड़ी है - और अगर अमेठी और रायबरेली की तरह सपा-बसपा गठबंधन ने प्रियंका गांधी के खिलाफ उम्मीदवार न खड़ा कर सपोर्ट कर दिया तो नतीजा कुछ भी हो सकता है.

5. छिंदवाड़ा

यूपी से बाहर निकलने पर भी प्रियंका वाड्रा के लिए काफी संभावनाएं हैं. हाल फिलहाल राहुल गांधी के लिए केरल की वायनाड सीट चर्चा में रही है. अगर राहुल गांधी सिर्फ अमेठी से ही लड़ने का फैसला करते हैं तो कांग्रेस चाहे तो प्रियंका को वायनाड से प्रत्याशी बना सकती है.

कांग्रेस चाहे तो देश के तीन राज्यों से किसी न किसी सीट पर प्रियंका वाड्रा को उम्मीदवार बना सकती है जहां विधानसभा चुनाव जीत कर उसने सरकार बना लिया है - मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान. तीनों राज्यों में ज्यादा नहीं तो कम से कम एक सीट तो ऐसी होगी ही जो प्रियंका के लिए सेफ सीट हो सकती है. राजस्थान में जिन सीटों पर कांग्रेस ने उपचुनाव जीते थे वे सीटें भी तो ही हो सकती हैं.

ऐसी ही एक सेफ संसदीय सीट मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा हो सकती - जहां से मुख्यमंत्री कमलनाथ बरसों से चुनाव जीतते आये हैं. कांग्रेस चाहे तो बड़े आराम से प्रियंका गांधी को छिंदवाड़ा से उम्मीदवार बना सकती है.

चुनाव लड़ने को लेकर प्रियंका गांधी के बयान के बाद रॉबर्ट वाड्रा को लेकर भी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं, ऐसा मान कर चलना चाहिये. प्रियंका के इस बयान के बाद सबसे ज्यादा खुश तो रॉबर्ट वाड्रा के समर्थक ही हुए होंगे.

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