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Updated: 24 जुलाई, 2023 05:20 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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स्पष्ट होता जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव गठबंधन की राजनीति के नाम रहेगा. भारतीय राजनीति में गठबंधन का सिलसिला नया नहीं है, लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए के खिलाफ विपक्षियों का इंडिया नाम का नया महागठबंधन कांग्रेस/इंदिरा गांधी के खिलाफ "सत्ताधारी कांग्रेस बनाम ऑल" की याद दिला रहा है. यहां महाशक्तिशाली के विरुद्ध ताक़त जुटाने के लिए एक दूसरे के धुरविरोधी शक्तियां भी एक हो गई हैं. एक तरफ भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए दूसरे तरफ भाजपा विरोधियों का इंडिया. दो तीन राज्यों के क्षेत्रीय दलों ने ही अभी अपनी स्थाति साफ नहीं की है कि वो आगामी लोकसभा चुनाव में किसके साथ जाएंगे या अकेले चुनाव लड़ेंगे.

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ही बस बार-बार कह रही हैं कि उसकी पार्टी किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल होंगी,बसपा आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी. जिस शिद्दत से भाजपा से लड़ने के लिए बड़े-बड़े विपक्षी दल एकजुटता हो रहे हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जता रहे हैं कि भाजपा से अकेले लड़ना किसी एक अकेले के बस में नहीं है.

भाजपा भी विपक्षी एकता से सचेत होकर ये महसूस करने लगी है कि पिछले कुछ समय से सिकुड़ते एनडीए में इतनी ताकत नहीं है कि वो देशभर के विपक्षियों की एकजुटता को शिकस्त दे सके. यही कारण है कि विपक्षी एकजुटता की रफ्तार देखते ही भाजपा ने एनडीए का विस्तार करने के लिए एड़ी चोटी का पसीना बहा दिया. महाराष्ट्र से लेकर यूपी बिहार से उसे सफलता मिली भी.

Loksabha Election, BJP, Opposition, Alliance, Bahujan Samaj Party, Mayawati, Asaduddin Owaisiलोकसभा चुनावों में कुछ समय शेष है ऐसे में सभी की निगाहें बसपा और मायावती पर हैं

 

एक दूसरे के आमने सामने आने के लिए बड़ी-बड़ी शक्तियां एकजुट हो रही हैं,वहीं हाशिए पर आ चुकी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के एकला चलो के फैसले का क्या मतलब है ? राजनीतिक गलियारों में हर कोई बसपा के इस कदम को अपने अपने नजरिए से देखा रहा है. कोई ये आरोप दोहरा रहा है कि भाजपा की बी टीम बसपा नहीं चाहती है कि भारत (विपक्षियों का गठबंधन) एनडीए को शिकस्त दे.

बसपा सुप्रीमो द्वारा गठबंधन में ना शामिल होने की बात पुनः दोहराएं जाने पर चर्चाओं में फिर ये कहा जाने लगा कि सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों की जांच के डर में बसपा सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ मुखर नहीं होना चाहती..बहन जी मुस्लिम लोगों को खूब टिकट देकर इंडिया (विपक्षी दलों का गठबंधन) कमजोर करने की रणनीति अपनाएंगी.

अनुमान ये भी लगाए जा रहे हैं कि संभव ये भी है कि मायावती लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के साथ गठबंधन कर इंडिया का वोट काट कर एनडीए की राह आसान कर दें. इन आरोप प्रत्यारोप में सच्चाई हो या ना हो पर ये जरूर अनुमान लगाया जा सकता है कि बसपा का अकेले चुनाव लड़ना बेहद आत्मघाती कदम हो सकता है.

पिछले कई चुनावों का आंकड़ा देखिए तो दलित वोट बैंक धीरे-धीरे भाजपा में ट्रांसफर होता जा रहा है और इस बार तो यूपी का मुस्लिम वोट संभावित कांग्रेस, सपा, रालोद गठबंधन के उत्साह में बसपा की तरफ शायद रुख भी ना करे. पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमटी बसपा का हाथी पहले ही बेहद कमजोर हो चुका है और भी कमजोर हो गया तो कैसे जिएगा!

लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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