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Updated: 06 अक्टूबर, 2015 02:33 PM
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बिहार का राजनीतिक इतिहास दो लोगों की चर्चा किए बगैर कभी पूरा नहीं हो सकता - एक तो लालू यादव और दूसरे टीएन शेषन. वही शेषन, जिनके कारण चुनाव आयोग 'अस्तित्व' में आया, वही जिनको अपने वोटर आईडी कार्ड की सख्ती और फ्री एवं फेयर चुनाव को लेकर लालू यादव से 'अल्सेशियन' जैसा नाम मिला. वह भी एक समय था जब लालू यादव वोटर आईडी कार्ड को फिजूलखर्जी और फालतू की चीज मानते थे... आज भी एक समय है जब लालू इसे ही 'ब्रह्म' मानते हैं और कह डालते हैं - जैसा वोटर कार्ड में रहेगा, वही उम्र लिखा जाएगा. मेरा बड़ा बेटा 25 साल का है और छोटा 26 साल का.

बिहार के वोटरों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि लालू यादव के दो बेटे हैं - तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव. जानना जरूरी है क्योंकि हो सके कल को यही दोनों आपके 'भाग्य विधाता' बनेंगे. इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. जनता जनार्दन के पास जाने से लेकर चुनावी नामांकन पर्चे तक भरने का काम पूरा हो चुका है. लेकिन यहीं पर पेंच फंस गई है - जनता के लिए भी और लालू के लिए तो खैर है ही. हुआ यूं कि अचानक से लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपने छोटे भाई तेजस्वी से एक साल छोटे हो गए हैं. विज्ञान में यह संभव नहीं, लेकिन 'पेपर पर सब कुछ हो सकता है' वाली भावना को समझते हैं तो यह हो चुका है.

लालू के लाल, उनके 'उल्टे-पूल्टे' साल

एक दिन पहले तक की जानकारी के अनुसार तेज प्रताप यादव ही लालू यादव के बड़े बेटे हैं. लेकिन जैसे ही उन्होंने सोमवार को महुआ विधानसभा से अपना नामांकन भरा, जनता को अपनी 'गलत जानकारी' का अहसास हुआ. नामांकन पत्र में उन्होंने अपनी उम्र 25 साल बताई. हुआ यह कि शनिवार को लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी अपना पर्चा भर चुके थे - 26 साल उम्र के साथ. बस फिर क्या है, बिहार के वोटर कंफ्यूज कर गए. सोच में पड़े हैं - कौन छोटका, कौन बड़का?

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बड़े बेटे तेज प्रताप का नामांकन पत्र
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छोटे बेटे तेजस्वी का नामांकन पत्र

लालू को पता है, इसलिए हैं निश्चिंत

दोनों बेटों की उम्र विवाद में लालू यादव को कोई कंफ्यूजन नहीं है. उन्होंने अपनी शैली में स्पष्ट रूप से इसका जवाब देते हुए गेंद को चुनाव आयोग की झोली में डाल दिया है. उनका कहना है - जैसा वोटर कार्ड में रहेगा, वही उम्र लिखा जाएगा, अगर 80 साल उम्र होगा तो वही लिखा जाएगा.

लालू यादव से सौ फीसदी सहमत

आखिर एक वोटर क्यों हर बार चुनाव आयोग की गलती को ठीक कराने के लिए उसके दफ्तर की खाक छानता फिरे. होना तो यह चाहिए कि वोटर आईडी बनवाने के लिए अगर किसी ने फॉर्म ही गलत भरा हो तो कार्रवाई हो. लेकिन नहीं, होता यहां उल्टा है. आपने लाख सही भरा हो फॉर्म, आपका वोटर आईडी आएगा उल्टा-पूल्टा ही. ऐसे में लालू यादव और उनके बेटों ने 'सही राह' दिखाई है. आप अगर गलत डाक्यूमेंट जारी करेंगे तो जनता को भी हक है, उस गलत जानकारी को हर जगह लाइव करने का.        

लेकिन इतने सारे तर्क-कुतर्क के बीच बिहारी वोटर अभी भी कंफ्यूज हैं - किसको कहें भैया और किसे बबुआ!!!

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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