New

होम -> सियासत

 |  बात की बात...  |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 मई, 2015 10:54 AM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
  • Total Shares

1991 से 1996 की तमिलनाडु विधानसभा. जयललिता ने किसी महारानी की तरह राज किया था उन पांच वर्षों के दौरान. प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी उन्होंने. 234 सीटों की विधानसभा में उनके नेतृत्व वाले गठबंधन ने 225 सीटें जीती थीं. लोगों को शक था कि डीएमके के तार लिट्टे से जुड़े हुए हैं, जिसने राजीव गांधी की हत्या की है.

एक गुस्सा लोगों का, एक जया का...

डीएमके के प्रति लोगों में इस गुस्से के अलावा बदले की भावना जयललिता के भीतर भी पनप रही थी. दरअसल, 1989 में चुनाव हारने के बाद एक बार सदन के भीतर उनके साथ झूमाझटकी हुई. डीएमके विधायकों के इस दुर्व्यवहार से खफा जयललिता ये कहते हुए सदन से बाहर निकलीं कि अब वे मुख्यमंत्री के रूप में ही यहां वापस आएंगी.

राजीव गांधी की हत्या और 1991 के चुनाव...

1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में जनता ने जयललिता को अभूतपूर्व समर्थन दिया. 234 सीटों वाली विधानसभा में डीएमके को सिर्फ सात सीटें मिलीं. करुणानिधि बमुश्किल अपनी सीट बचा पाए. अब जयललिता के पास पिछली विधानसभा के दौरान हुए अपमान का बदला लेने का पूरा मौका था. जयललिता ने एक तानाशाह की तरह शासन किया. सहयोगी शशिकला उनका दायां हाथ थीं.

पांच साल के शासन में खजाना भर गया...

पहले फिल्म और फिर तमिल सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन के साथ राजनीति में उतरीं जयललिता की ताकत संगठन शक्ति में थी. 1991 में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से पहले उन्होंने काफी संघर्ष किया. लेकिन एक कार्यकाल पूरा करने के बाद उनके पास इतना कुछ था, जिसे जानकर लोगों की आंखें चौंधिया गई. 1996 में सत्ता जाने के बाद हुई कार्रवाई में उनकी संपत्ति का खुलासा हुआ. जयललिता के पास चेन्नई में बंगला, कई एकड़ खेतिहर भूमि, हैदराबाद में फार्म हाउस, नीलगिरी में चाय बागान, इंडस्ट्रियल शेड, 800 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 750 जोड़ी विदेशी चप्पल-जूते, 10,500 साडि़यां, 91 कीमती घडि़यां, करोड़ों का कैश डिपॉजिट और इन्वेस्टमेंट. इस संपत्ति की कीमत हजार करोड़ से ज्यादा आंकी गई, जो उन्होंने पांच साल में अर्जित की.

चेन्नई से बेंगलुरु पहुंचा केस

एआईएडीएमके चीफ जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का यह केस चेन्नई में शुरू हुआ. लेकिन कोर्ट की कार्रवाई में अड़चनों को देखते हुए इसे बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया. 18 साल चली सुनवाई के बाद 27 सितंबर 2014 को विशेष अदालत ने जयललिता के खिलाफ फैसला दिया और उन्हें चार साल जेल की सजा सुनाई. उस फैसले के बाद जयलिता जमानत पर जेल से छूटीं. लेकिन अब वे पूरी तरह इस केस से मुक्त हैं. ईमानदार बनकर.

#जयललिता, #हाईकोर्ट, #केस, जयललिता, हाईकोर्ट, केस

लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय