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Updated: 29 अप्रिल, 2016 10:16 AM
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रेलगेट में नाम आने के बाद कुर्सी बचाने के लिए 2013 में पवन बंसल द्वारा एक बकरे की बलि दिए जाने से लेकर पिछले साल बिहार चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव द्वारा अपने घर के अहाते में बने स्विमिंग पूल को भरे जाने का किस्सा. आप इसे अंधविश्वास कह लीजिए या फिर कोई नाम ही दे दीजिए. भारतीय राजनीति में कई दिलचस्प किस्से मौजूद हैं. ये और बात है कि बलि देने के बावजूद पवन बंसल अपनी कुर्सी नहीं बचा सके तो लालू को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त हार मिली.

शायद पवन बंसल के ज्योतिष ने कुछ गलती कर दी होगी! लेकिन अब एक नई खबर. तमिलनाडु में विधान सभा चुनाव 16 मई को हैं लेकिन अधिकारियों के पसीने एक ही दिन में छूट गए. केवल 20 मिनट में AIADMK के 233 उम्मीदवारों ने दनादन नामांकन भर दिए. गुरुवार को दोपहर 12.50 से लेकर 1.10 बजे के 'शुभ मुहूर्त' के बीच ये कार्य संपन्न हुआ.

वैसे, जब उनसे इस तरह ताबड़तोड़ नामांकन भरने की वजह पूछी गई तो उन्होंने यही कहा कि अम्मा (जयललिता) ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा. अब अम्मा ने क्यों कहा कि 20 मिनट में ही सबकुछ हो जाना चाहिए, इसे आप खुद ही समझ सकते हैं. पार्टी की 234वीं उम्मीदवार जयललिता हैं और उन्होंने सोमवार को अपना नामांकन भरा था.

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 फाइल फोटो

वैसे, दक्षिण भारत या पूरे भारत की ही राजनीति में ये कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसा नजारा दिखा हो. लालू यादव और पवन बंसल की कहानी तो आप पढ़ ही चुके हैं. आईए, आपको याद दिलाते हैं कुछ और ऐसे मौकों के बारे में....

- 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी जयललिता ने तमिलनाडु और पुडुचेरी के अपने सभी 40 उम्मीदवारों को ऐसे ही आदेश दिए थे कि उन्हें किस दिन और किस समय अपने नामांकन भरने हैं. कहा तो ये भी जाता है कि जयललित को किसी ज्योतिष ने सलाह दी थी गाढ़ा रंग उनके लिए शुभ है. इसलिए वो ज्यादातर गहरे लाल या नीले रंग की साड़ियों में ही नजर आती हैं.

- ममता बनर्जी के बारे में भी 2013 में ऐसी ही खबरें आईं थी. उस साल उन्होंने अपना ऑफिस राइटर्स बिल्डिंग से शिफ्ट कर लिया था. ये और बात है कि उसके बाद से ही अच्छे दिनों ने शायद उनका साथ छोड़ दिया है और शारदा स्कैम में उनके पार्टी के नेताओं के नाम आने से लेकर कई अन्य मुश्किलें उनके सामने आईं.

- एक कहानी तो ये भी है कि हीरो से नेता बने राज बब्बर को लोकसभा-2014 के चुनाव के दौरान उनके ज्योतिष ने सलाह दी थी कि वे 22 मार्च (2014) को 1 बजे से पहले नामांकन भर दें. वे गाजियाबाद से चुनाव लड़ रहे थे. निर्धारित समय से आधे घंटे पहले वे वहां पहुंचे भी लेकिन लाइन इतनी लंबी थी कि वे ऐसा नहीं कर सके. क्या पता, शायद यही कारण रहा हो कि उन्हें हार का सामना करना पड़ा!

- अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी एक कहानी भी दिलचस्प है. माना जाता है कि 2004 में चुनाव में हार के बाद वाजपेयी जब कुछ दिनों के लिए केयरटेकर प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने उस घर का नंबर बदलवाया था जहां उन्हें बतौर पूर्व प्रधानमंत्री शिफ्ट होना था. जो बंग्ला उन्हें अलॉट हुआ था उसका नंबर 8 से 6-A किया गया. ये बंग्ला दिल्ली में कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित है. वाजपेयी को लगता था कि बंगले पहले वाला नंबर है अशुभ है.

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