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Updated: 05 फरवरी, 2017 05:37 PM
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ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री की कुर्सी अब वैसी ही लगने लगी होगी जैसी इस नश्वर संसार की तमाम दूसरी चीजें. जिस कुर्सी के लिए देश के पांच राज्यों में नेताओं के बीच गलाकाट प्रतियोगिता चल रही है, तमिलनाडु में वो कुर्सी पनीरसेल्वम के लिए उनती ही अहमियत रखती है जैसे किसी नाइट वाचमैन के लिए कोई कीमती वस्तु.

'तेरा तुझको अर्पण...' वाले भाव में पनीरसेल्वम ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया - और सदा की भांति सहज भाव से शशिकला के नाम का प्रस्ताव रखा.

क्या पनीरसेल्वम वास्तव में चाहते थे?

शशिकला के तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने की चर्चा तो तभी होने लगी जब विधायकों की बैठक बुलाई गयी. पार्टी में अहम पदों पर शशिकला के पसंदीदा नेताओं की नियुक्तियां और सरकार में पुराने अफसरों की छुट्टी इन बातों के सबूत बन रहे थे.

sasikala-vehicle_650_020517053547.jpgशशिकला का कारवां...

पनीरसेल्वम अब तक जो काम अम्मा यानी जयललिता के लिए करते रहे, इस बार उन्होंने चिनम्मा यानी शशिकला के लिए किया. शशिकला ने भी अपने सबसे पहले बयान में पनीरसेल्वम को बाकायदा क्रेडिट भी दिया. शशिकला ने बताया कि ये पनीरसेल्वम ही थे जिन्होंने सबसे पहले इस बात पर जोर दिया कि वो AIADMK की महासचिव बनें - और फिर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री.

जब तक AIADMK के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से नहीं बताया गया ऊहापोह की स्थिति बनी रही. एक बार खबर आई कि शशिकला अभी मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर ही रहेंगी. मीटिंग के बारे में कभी बताया गया कि जयललिता के जन्मदिन समारोह की रूपरेखा तैयार करने के लिए बुलाई गई तो कभी कहा गया कि स्थानीय चुनावों की तैयारी के लिए बुलाई गई है. फिर बताया गया कि शशिकला को विधायकों ने नेता चुन लिया है और वही अब अगली मुख्यमंत्री होंगी. इस तरह शशिकला, जानकी रामचंद्रन और जयललिता के बाद तमिलनाडु की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं.

विरोध नहीं थम रहा...

दिसंबर के आखिर में शशिकला AIADMK की महासचिव जरूर बन गईं थीं, लेकिन उन्हें पूरी स्वीकृति नहीं मिल पा रही थी. ये जरूर है कि शशिकला के समर्थकों की तादाद इतनी हो गयी थी कि दूसरे गुट विरोध की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. ये समर्थक सबसे ज्यादा परेशान इस बात से थे कि ब्यूरोक्रेसी में पनीरसेल्वम की पैठ बनती जा रही थी. बड़े अफसरों की तिकड़ी जिसे खुद जयललिता ने नियुक्त किया था वो लंबे समय से पनीरसेल्वम के साथ काम कर रहे थे. कामकाज के तौर तरीके को लेकर पनीरसेल्वम और अफसरों की ट्यूनिंग काफी अच्छी होने लगी थी. यही वजह है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे से पहले शशिकला ने पनीरसेल्वम से ही उन सभी अफसरों की छुट्टी करने को कहा. शशिकला और उनके समर्थकों को लगने लगा था कि अगर देर हुई तो पनीरसेल्वम जनता से भले ही कटे रहें लेकिन मुख्यमंत्री पद से इस तरह हटाना आसान नहीं होगा.

शशिकला के पहले पार्टी और फिर सरकार पर काबिज होने की कोशिशों का जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार और राज्य सभा सांसद शशिकला पुष्पा तो विरोध कर ही रही थीं, AIADMK सदस्य और पूर्व सांसद केसी पलानीसामी भी विरोध का बिगुल बजा चुके थे. पलानीसामी ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर कहा है कि शशिकला की नियुक्ति को चुनौती दी है. उनकी मांग है कि शशिकला की नियुक्ति को मान्यता न दी जाये, बल्कि AIADMK महासचिव चुनने के लिए जल्द चुनाव कराने हेतु तटस्थ अधिकारी की नियुक्ति की जाये.

ops-luncheon_650_020517053619.jpgजस की तस धर दीनी...

दीपा जयकुमार ने कहा, "तमिलनाडु के लोग यह फैसला स्वीकार नहीं करेंगे. तमिलनाडु के लोगों के लिए ऐसी बुरी स्थिति की कल्पना नहीं की थी. ये बहुत ही गलत निर्णय होगा बिल्कुल सेना के तख्तापलट जैसा. वो लोकतांत्रिक ढंग से चुन कर नहीं आई हैं."

राज्य की विपक्षी पार्टी डीएमके ने लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है. DMK के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के घर-परिवार के सदस्यों को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट नहीं दिया था.

वैसे तमिलनाडु में माहौल भी कुछ ऐसा था कि जयललिता की मौत के बाद चिनम्मा में भी अम्मा की छवि देखने लगे थे. शायद ये तमिलनाडु की राजनीति की ही खासियत है कि वहां कभी किसी को मांझी नहीं बन पाता. पनीरसेल्वम इतनी बार तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी खुशी खुशी इस्तीफा सौंप देते हैं और बिहार में जीतन राम मांझी को एक ही मौका मिला तो उन्होंने नीतीश कुमार को नाकों चने चबाने को मजबूर कर दिया.

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