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Updated: 20 जनवरी, 2023 09:26 PM
ओम प्रकाश सिंह
 
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अवध को बदनाम करने की साजिश कोई नई नहीं है. कभी पिछड़ेपन को लेकर तो कभी अपराधों, परीक्षाओं में नकल को लेकर. इस बार खेल राजनीति के बहाने बदनाम करने की कुश्ती दिल्ली में लड़ी जा रही है और निशाने पर हैं अवध क्षेत्र के बाहुबली सांसद और भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह. बाहुबली सांसद का प्रभाव पूर्वांचल में भी है, यह भी राजनीतिक सूरमाओं को चुभता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो एक जनसभा में ही गोंडा को नकलचियों का गढ़ बता दिया था. राष्ट्रीय कुश्ती संघ के प्रमुख और सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शौषण के कुछ आरोपों को लेकर, कुछ बड़े पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं. अब रहा सवाल, यौन शौषण का. इस तरह के आरोप पर संशय होना लाजिमी है. भारतीय राजनीति में पिछले दो दशक से इस तरह के आरोप अब सनसनी नहीं पैदा करते. मार पीट देना, हड़का देना बृजभूषण सिंह का स्वभाव हो सकता है. उनके इस अमर्यादित आक्रामक आचरण की निंदा होती है और किसी भी अमर्यादित आचरण की निंदा की भी जानी चाहिए. 

Wrestling Federation Of India, Braj Bhushan Sharan Singh, Wrestling, Vinesh Phogat, Sakshi Malik, Bajrang Punia, Anurag Thakur पूर्व में भी तमाम साजिशों का शिकार हो चुके हैं सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह

सांसद के ऊपर यौन शौषण का आरोप यदि किसी महिला खिलाड़ी ने लगाया है तो उसे इस आरोप की जांच के लिए आगे आना चाहिए. सरकार को इस गंभीर आरोप की जांच करानी चाहिए. जांच कैसे और किसके द्वारा हो, यह भी सरकार को ही तय करना है.  बृजभूषण इधर बाबा रामदेव को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. उन्होंने रामदेव की दवाइयों और उत्पादों की गुणवत्ता पर, भी कुछ बयान दिए थे. रामदेव आज से विवादित नहीं हैं.

जमीन के कब्जे से लेकर, वैद्य बालकिशन के फर्जी वैद्यक की डिग्री से होते हुए अपने अनेक उत्पादों के लैब टेस्टिंग के विफल पाए जाने तक, उन पर बराबर विवाद उठता रहा है, और अब भी वे इन विवादों और आरोपों से मुक्त नहीं हैं. क्या हालिया विवादों की पृष्ठभूमि में, कही रामदेव के बारे में दिए गए, बृजभूषण शरण के बयान तो नहीं हैं. इसे भी देखा जाना चाहिए.  उनसे कुश्ती संघ से इस्तीफा देने की मांग की जा रही है.

यौन शोषण के आरोप और कुश्ती संघ से इस्तीफा दोनो अलग अलग मामले हैं. यदि उनके कार्यकाल में कुश्ती संघ में कोई अनियमितता, पक्षपात या भ्रष्टाचार हुआ है तो सरकार इस मामले की जांच कराकर उन्हें हटने के लिए कह सकती है. पर किसी महिला खिलाड़ी का यौन शोषण एक अलग और गंभीर आपराधिक मामला है.  

बृजभूषण शरण सिंह ने अपने ऊपर लगाए आरोपों की जांच की मांग की है. जब इतने दिनों से, यह पहलवान जंतर मंतर में अपनी व्यथा लिए बैठे हैं तो, उनकी बात सुनी जानी चाहिए. खिलाड़ी किसी भी जाति, प्रदेश या धर्म का हो, वह किसी भी अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करता है, न कि, अपनी जाति बिरादरी, धर्म या प्रदेश का. सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए. हर धरना प्रदर्शन प्रतिरोध पर शतुरमुर्गी चुप्पी अनुचित है.

बृजभूषण शरण सिंह ने राजनीति का ककहरा पूर्वांचल के सबसे बड़े कालेजों में शुमार साकेत महाविद्यालय की छात्र नर्सरी में सीखा. छात्रसंघ महामंत्री भी निर्वाचित हुए और फिर उनका सफर बढ़ता गया. छात्र राजनीति के दौरान ही एक मामले में हैंडग्रेनेड कांंड में उनका नाम उछला फिर सिंचाई विभाग आदि सरकारी ठेकों में उनकी तूती बोलने लगी.

नब्बे के दशक में राममंदिर उफान पर था. बृजभूषण सिंह ने आने वाले समय की नब्ज को टटोला और मंदिर आंदोलन में कूद पड़े. भाजपा, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि संगठनों के बड़े नेताओं के साथ वो भी मुलजिम बने. भाजपा ने 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गोंडा से उम्मीदवार बनाया. जीत से शुरुआत कर बृजभूषण शरण सिंह अब तक छ बार निर्वाचित हो चुके हैं.

पत्नी को भी सांसदी जितवाया और बेटे को विधायकी. बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार का इलाके में प्रभाव है. यह बात सही है कि, वे बाहुबली हैं और उन पर आपराधिक धाराओं में मुकदमे भी दर्ज है. पर बाहुबली और आपराधिक इतिहास का होना, सांसद या जनप्रतिनिधि बनने की कोई अयोग्यता तो है नही. केंद्र व प्रदेश की कैबिनेट में तो आपराधिक इतिहास वाले  मंत्री भी हैं.

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