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Updated: 28 मई, 2022 02:40 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब करने के लिए आतंकी लगातार टारगेट किलिंग का सहारा ले रहे हैं. हालांकि, भारतीय सेना और सुरक्षा बल भी आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में जुटे हैं. कश्मीरी टीवी एक्ट्रेस अमरीन भट्ट की हत्या के 24 घंटे के भीतर ही भारतीय सेना ने टारगेट किलिंग को अंजाम देने वाले दो लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को मार गिराया है. जम्मू-कश्मीर के अवंतीपुरा में भारतीय सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में इन्हें मार गिराया है. वैसे, ये इकलौता एनकाउंटर नही था. भारतीय सेना के अनुसार, बीते तीन दिनों में 10 आतंकियों को खेल खत्म कर दिया गया है. जिनमें से 7 लश्कर-ए-तैयबा और 3 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी थे. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग के बाद से ही भारतीय सेना और सुरक्षा बल कई इलाकों में 'सफाई अभियान' चला रहे हैं. वैसे, तीन दिनों में 10 आतंकियों को मौत के घाट उतारने के आंकड़े को देखा जाए, तो टारगेट किलिंग करने वाले के खिलाफ भारतीय सेना का 'ऑपरेशन क्लीन' काफी मजबूत नजर आता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कश्मीर में टारगेट किलिंग करने वालों को 24 घंटे में निशाना बनाना छोटी बात नहीं है.

Indian Army targetting Terrorists टारगेट किलिंग का पैटर्न आतंकियों ने बीते साल से अपनाना शुरू कर दिया है.

पुलिसकर्मी सैफुल्ला कादरी की हत्या का बदला

जम्मू-कश्मीर में किसी भी एंटी टेरर ऑपरेशन में 90 फीसदी इंटेलीजेंस इनपुट पुलिस की ओर से ही दिया जाता है. जिसके चलते जम्मू-कश्मीर पुलिस के लोगों को भी आतंकी निशाना बनाते हैं. 24 मई को श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में आतंकियों ने पुलिसकर्मी सैफुल्ला कादरी और उनकी बेटी पर गोलीबारी कर दी थी. इस आतंकी हमले में पुलिसकर्मी सैफुल्ला कादरी की मौत हो गई थी. हालांकि, बेटी गंभीर रूप से घायल हुई थी. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. हालांकि, घटना की जानकारी मिलने के साथ ही सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया था. कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) विजय कुमार ने कुछ समय बाद दो आतंकियों के मरने की पुष्टि की. जो इस आतंकी हमले में शामिल थे.

राहुल भट्ट के हत्यारे आतंकी भी 24 घंटे में 'क्लीन'

कश्मीरी पंडितों में दहशत फैलाने के लिए आतंकी टारगेट किलिंग के लिए इस समुदाय को निशाना बना रहे हैं. 12 मई को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने बडगाम के चडूरा में तहसील परिसर में घुसकर कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट को मौत के घाट उतार दिया था. तहसील में सरकारी कर्मचारी के तौर पर काम करने वाले राहुल भट्ट की पत्नी ने भारतीय सेना से अपील की थी कि किसी भी हाल में उनके पति के हत्यारों को दो दिन में मार गिराया जाए. खैर, अगले ही दिन सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में मुठभेड़ के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को मार गिराया. ये दोनों ही बडगाम में एक दिन पहले हुई कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या में शामिल थे.

टारगेट किलिंग चुनौती, लेकिन जवाब देने में पीछे नहीं सेना

कुछ दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने घाटी में बढ़ी टारगेट किलिंग की घटनाओं का जिम्मेदार 'द कश्मीर फाइल्स' को बताया था. फारूक अब्दुल्ला के अनुसार, द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म ने ही आतंकियों को भड़का दिया है. हालांकि, अब्दुल्ला ये बताना भूल गए कि 90 के दशक में जब कश्मीरी पंडितों का नरसंहार और पलायन हुआ था. तब कौन सी 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज हुई थी. खैर, मुद्दे की बात ये है कि बीते साल अक्टूबर में श्रीनगर में फार्मासिस्ट माखनलाल बिंद्रू की टारगेट किलिंग के तौर पर आतंकियों ने मेडिकल स्टोर में घुसकर हत्या कर दी थी. इस हत्या के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के बीच टारगेट किलिंग के इस पैटर्न का इस्तेमाल बढ़ा था.

इस साल जनवरी से लेकर अब तक 16 आम नागरिकों को आतंकियों ने टारगेट किलिंग का शिकार बनाया है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग को अंजाम देने वालों में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट का ही हाथ है. जिसमें सीमा पार के आतंकी शामिल नही हैं. बल्कि, कश्मीर के ही युवा इसमें शामिल हैं. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आकाओं ने जम्मू-कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों की भर्ती करना शुरू किया है. जो आम लोगों के बीच रहते हुए ही आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं. रेकी करने से लेकर हत्या करने के बाद तक ये कश्मीरी युवा सामान्य तरीके से आम लोगों के बीच ही रहते हैं. क्योंकि, इनके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. तो, इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है.

लेकिन, भारतीय सेना ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है. और, किसी भी घटना के बाद तुरंत ही उस इलाके के एक बड़े हिस्से को घेर लिया जाता है. जिससे इन हाइब्रिड आतंकियों को निकल पाने का मौका ही नही मिल पाता है. वैसे, भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की आतंकवाद के खिलाफ जनवरी से अब तक हुई कार्रवाई में 85 से ज्यादा आतंकियों को ठिकाने लगाया जा चुका है. हालांकि, इस दौरान सुरक्षा बलों के 15 जवान भी शहीद हुए हैं. आतंकियों के इन तमाम घटनाओं को अंजाम देने के बावजूद भारतीय सेना और सुरक्षा बलों का हौसला तोड़ने की कोशिशें कामयाब नहीं हो सकी हैं. आतंकियों की टारगेट किलिंग के जवाब में सुरक्षा बलों का सफाई अभियान और तेज गति से चलने लगता है. बताना जरूरी है कि धारा 370 हटने के बाद से अब तक 500 से ज्यादा आतंकियों को निपटाया जा चुका है. तो, कश्मीर में बैठकर इस्लामिक एजेंडा चलाने वालों को मिर्ची लगना लाजिमी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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