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Updated: 27 जून, 2015 01:38 PM
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भारत में पुलिस और फौजें मानवाधिकार का हनन करती हैं. चीन में होता है मानवाधिकारों का हनन. कई और देशों में होता है मानवाधिकार हनन. यह कहना है अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट का. अमेरिका ने ‘द 2014 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें दुनिया भर के तमाम देशों में हो रहे मानवाधिकार हनन का ब्यौरा दिया गया है.    

वर्ल्ड पावर बनने की चाहत लिए आगे बढ़ रहे चीन ने इस रिपोर्ट के जारी होने के अगले ही दिन अपनी तरफ से एक रिपोर्ट जारी कर दी - अमेरिका को आइना दिखाती हुई रिपोर्ट. नाम भी कमाल का रखा है - ‘द ह्यूमन राइट्स रिकॉर्ड ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स इन 2014’. इस रिपोर्ट में चीन ने अमेरिका की नस्लभेदी पुलिस के और उसके बर्बर तरीकों के बारे में प्रमुखता से बताया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका कई देशों में मानवाधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी करता है लेकिन अपने यहां मानवाधिकारों के रिकॉर्ड को बेहतर करने की इच्छा कभी नहीं दिखाता.

दरअसल अमेरिका ने चीन में मानवाधिकारों के हनन पर 148 पन्नों की रिपोर्ट जारी की थी. पूरी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि एक ही पार्टी के शासन के कारण चीन में मतभेदों को दबा दिया जाता है. साथ ही मतभेद रखने वालों को नियमित तौर पर लंबे समय के लिए जेल भेज दिया जाता है. यह बात चीन को नागवार गुजरी और एक दिन के भीतर ही उसने अमेरिका की रिपोर्ट का रिपोर्ट से जवाब दिया. अपनी रिपोर्ट में चीन ने अमेरिकी पुलिस के नस्लभेदी रवैये, खिलौने वाली पिस्तौल से खेलते बच्चे को पुलिस के द्वारा गोली मारे जाने और आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर छोटे-छोटे अरब देशों में मानवाधिकार के उल्लंघन का जिक्र किया है.

भारत में मानवाधिकार हनन पर अमेरिका की रिपोर्ट        
‘द 2014 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस’ के अनुसार भारत में मानवाधिकार हनन की सबसे प्रमुख समस्याएं हैं:

- न्यायिक हिरासत में हत्याएं, अत्याचार और बलात्कार
- बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और उससे अपराध को रोकने में होने वाली अप्रभावी प्रतिक्रियाएं
- महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ अपराध
- लिंग, धर्म, जाति या जनजाति के खिलाफ सामाजिक हिंसा          
- लोगों का लापता हो जाना
- जेलों की दयनीय स्थिति
- मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत में रखना
- न्यायिक प्रक्रिया से पूर्व लंबे समय तक की हिरासत
- सुस्त न्यायिक प्रक्रिया    

अब सवाल यह है कि अमेरिका कोई संस्था तो है नहीं कि वह दूसरे देशों को सर्टिफिकेट बांटता फिरे. वह एक देश है. जितने बड़े पैमाने पर वह दूसरे देशों की रिपोर्ट बनाता है और उसे जारी करता है, उससे ज्यादा जरूरी है कि वह अपनी समस्याओं पर फोकस करे. जिस सामाजिक भेदभाव की बात रिपोर्ट में की गई है, वह अमेरिका में और भी विकृत रूप में है. पूरी दुनिया से बुराई के खात्मे के लिए कितना अच्छा होता अगर हम भी अमेरिका को उसकी समस्याओं से वाकिफ कराते. चीन के अंदाज में. कितना अच्छा होता अगर पीएम मोदी अपने प्रिय मित्र बराक को उनकी समस्याओं को बताते हुए कुछ यूं चिट्ठी लिखते!  

प्रिय बराक,
आपने हमें हमारी समस्याओं से वाकिफ कराया. धन्यवाद.

अच्छी बात है. कहीं भी, कुछ भी अगर बुरा हो रहा है तो उस पर नजर रखनी चाहिए. प्रतिक्रिया देनी चाहिए. लेकिन सबसे पहले अपने अंदर भी झांकने की आदत डालने में क्या बुराई है! कबीर का एक दोहा खास  आपके लिए भेज रहा हूं, पढ़िए:

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय।।

आपके यहां जो समस्याएं हैं, उससे मैं व्यथित हूं. उनकी जो रिपोर्ट हमने तैयार की है, उसका लिंक मैं पहले ही आपको ट्वीट कर चूका हैं. हमने अपने यहां गंदगी को दूर करने के लिए स्वच्छता अभियान चलाया है. आप भी अपने यहां की बुराई को दूर करने के लिए स्वच्छता अभियान चलाइए.

और हां, बराक! जिसके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. बाकी तो आप खुद समझदार हैं.

आपका
नरेंद्र

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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