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Updated: 13 जून, 2016 01:26 PM
वीरू सोनकर
वीरू सोनकर
  @veeru.sonker
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कैराना पर सभी पार्टियों की चुप्पी ही इस देश की राजनीति का असली चेहरा है. कैराना को आज छोटा कश्मीर बनाने के पीछे जितना दोष सपा सरकार का है उतना ही दोष बीजेपी की चुप्पी का भी है. बसपा पुरे चार साल इसलिए चुप रही कि ऐन चुनाव के वक्त वो क्रांति करेगी और सत्ता पाएगी, कांग्रेस ने अपनी ऊर्जा बीजेपी के विरोध में लगा दी, वामपंथी, समाजवादी और कांग्रेसी एक धर्म विशेष के अपराधी-दबंगों के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलना चाहते.

यही असली भारत है और यही यहां की राजनीति! अपनी-अपनी आंखों पर अपने-अपने हितों का चश्मा चढ़ाए बुद्धिजीवी भी मुद्दा देख कर बोलते हैं.

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 अब तक 350 से अधिक परिवार कैराना से पलायन कर चुके हैं

कैराना उर्फ़ छोटा कश्मीर आपके भारत की असली तस्वीर है, जिसके सवाल पर कांग्रेस के निर्लज्ज प्रवक्ता टीवी पर हंसते हैं और आजम खान अपनी ऐठ में सवाल टालते हैं. यह सब इतना घृणित हो चुका है कि अब बीजेपी का एक्शन नकली लगता है और 2017 के चुनाव की तैयारी भर लगता है. हालात बेहद असहनशील हो चुके हैं और जनता विकल्पहीन!

कांग्रेस, बीजेपी, बसपा और सपा ने मिल कर उत्तरप्रदेश को टेस्ट ट्यूब बना दिया है और जनता को इन्हीं में से किसी एक को चुनना होगा. जनता को भी पता है कि ये जीतने के बाद कुछ नहीं करेंगे और अपने-अपने वोट बैंक के हिसाब से ही काम करेंगे, यही उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य है!

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अगर आप भारत में हैं तो जान लीजिये "जजिया टैक्स" मुग़ल काल में ही नहीं, यूपी के कैराना में भी देना पडेगा. यदि आप हिन्दू व्यापारी हैं और कैराना में है, तो टैक्स दीजिये या जान दीजिये. पूरा खेल 2 साल से चल रहा है. फलस्वरूप हिन्दू आबादी का 90% हिस्सा वहां से भाग चुका है. उनके मकान जायजाद कौड़ियों के दामों पर वहां के दबंगो के हाथों बिक गए.

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 कौड़ियों के दाम मकान बेचने को मजबूर

यह आजमाया हुआ तरीका है. दबंगई किस स्तर तक पहुंच गई है, यह इस बात से ही समझा जा सकता है कि अब तक 6 व्यापारियों की हत्या की जा चुकी है. पलायन का एक बड़ा कारण घर की महिलाओं का भी सुरक्षित न रहना है. फलस्वरूप 350 से अधिक परिवारों का पलायन हो चुका है और जो वहां बचे हुए हैं, वो रात दिन भय के वातावरण में जी रहे हैं. उनके पक्ष में कोई भी पार्टी बोलना नहीं चाहती है क्योंकि उनके वोट-बैंक का मोह उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता. धर्म विशेष के अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार की चुप्पी उन्हें हौसला दे रही है.

जनता के भीतर अब गुस्सा नहीं घृणा है. और यह सभी पार्टियों के लिए है क्योंकि सभी पार्टियां अपने अपने हिसाब से बोलती और चुप रहती हैं. इनका लक्ष्य सिर्फ सत्ता है. जनता मरे या जिए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता!

लेखक

वीरू सोनकर वीरू सोनकर @veeru.sonker

लेखक कवि और स्‍वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं.

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