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Updated: 06 मार्च, 2020 09:11 PM
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सांसदों को सदन में अपनी बात रखने का हक है - और वे बातें सुनी भी जायें ये भी हक के दायरे में ही आता है. बात और बहस के बीच हंगामा भी स्वाभाविक हैं और ये भी सांसदों के हक का हिस्सा बन चुका है - लेकिन हक से हंगामा करने की भी एक हद होती है. अगर कोई हासिल हक की हदें लांघने की कोशिश करेगा तो एक्शन तो होगा ही.

दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग को स्पीकर ओम बिड़ला (Speaker Om Birla) ने खारिज नहीं किया था, बल्कि होली बाद चर्चा कराने को कहा था. ये भी ठीक है कि दिल्ली में हिंसा का जो तांडव देखने को मिला उस पर चर्चा को तरजीह मिलनी चाहिये, लेकिन ये तय करने का अधिकार भी लोक सभा अध्यक्ष को ही मिला हुआ है.

अपनी मांग पर अड़े सांसदों ने जब हंगामा बंद नहीं किया तो स्पीकर ने चेताया था कि वेल में पहुंच जाने वालों पर एक्शन होगा ही, भले ही वो सांसद सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के. ऐसा होने पर स्पीकर ने पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर देने को लेकर भी आगाह किया था - और जब सांसद हिदायतें मानने को तैयार न हुए तो एक्शन हुआ है. कांग्रेस के सात सांसदों को मौजूदा सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया है.

सस्पेंड किये गये सांसदों (7 Congress MPs Suspended till Budget Session) में असम से आने वाले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) भी हैं जिनकी सदस्यता तक खत्म किये जाने पर विचार हो रहा है. जाहिर है गौरव गोगोई गुस्से में होंगे और उनका रिएक्शन भी स्वाभाविक है, लेकिन सांसदों को अपनी हदें भी समझनी होंगी. दिल्ली हिंसा पर संसद में चर्चा की मांग बिलकुल वाजिब है, लेकिन उसके लिए मर्यादा की सीमा लांघ जाना किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता है.

हिंसा की किसी घटना की चर्चा के लिए सदन के भीतर हिंसा की इजाजत भला कैसे दी जा सकती है? सदन में चेयर से कार्यवाही से जुड़ा कागज छीन लेना और उसे फाड़ कर फेंक देना भी हिंसा की ही कैटेगरी में आएगा.

गौरव गोगोई की संसद सदस्यता भी खतरे में

5 मार्च को भी स्पीकर ओम बिड़ला दिन भर अपने चैंबर में ही रहे. ऐसा दूसरा दिन रहा जब वो सदन में आसन पर नहीं बैठे. हंगामा होता रहा. बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक करीब 1 बजे जब वो चेयर पर थे तो पेपर को फाड़कर आसन पर फेंका गया. दोपहर बाद तीन बजे जब सदन की बैठक बुलाई गई तो सभापति के आसन से मीनाक्षी लेखी ने गौरव गोगोई सहित कांग्रेस के सात सांसदों को बजट सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित कर दिया. ये सत्र 3 अप्रैल तक चलेगा.

मीनाक्षी लेखी ने कहा सदन में जब मत संख्या 13 और 14 पर चर्चा की शुरुआत हुई तब कुछ सदस्यों ने सभा की कार्यवाही से संबंधित कागज अध्यक्ष पीठ से छीन लिया और उनको उछाला गया. वो बोलीं, 'संसदीय इतिहास में ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण शायद पहली बार हुआ है.'

gaurav gogoi, om birlaगौरव गोगोई ने अपनी संसद सदस्यता खुद खतरे में डाली है

हुआ ये कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने कोरोना वायरस को लेकर गांधी परिवार पर ऐसी टिप्पणी कर दी कि कांग्रेस सांसद तमतमा उठे. हनुमान बेनीवाल का कहना था, 'कोरोना वायरस के ज्यादातर मरीज इटली से आये हैं. इटली कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित है... इसलिए, मैं सरकार से निवेदन करता हूं कि सोनिया गांधी के परिवार की भी जांच कराई जाये. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा - तीनों की जांच करवाई जानी चाहिये.'

हनुमान बेनीवाल के ऐसा बोलते ही कांग्रेस के कई सांसद चेयर के सामने पहुंच गये - तेज हंगामे और शोर के बीच वे चेयर से कागज छीन लिये और फाड़ दिये. दो बार स्थगित होने के बाद जब सदन की कार्यवाही तीन बजे शुरू हुई तो संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सात कांग्रेस सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव रखा और उसे स्वीकार कर लिया गया.

प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'कागज छीनना आसन का घोर अपमान है. हम इसकी निंदा करते हैं। यह अभूतपूर्व है, संसदीय इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.' प्रह्लाद जोशी ने टेबल से कागज छीनने वाले कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई की सदस्यता खत्म किये जाने की भी मांग की है.

पीठासीन अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी ने सातों सांसदों के निलंबन की घोषणा के साथ ही ये भी कह दिया कि वो सदन से चले जायें और सत्र खत्म होने तक न आयें. कांग्रेस के जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, वे हैं - गौरव गोगोई, टीएन प्रतापन, राजमोहन उन्नीथन, मणिकम टैगोर, बेनी बेहन, डीन कुरीकोस और गुरजीत सिंह.

हिंसा का बदला हिंसा से सिर्फ अंडरवर्ल्ड लेता है!

कोरोना वायरस से गांधी परिवार को जोड़े जाने का ये कोई पहला वाकया नहीं था. जिस दिन राहुल गांधी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल के साथ गये थे, दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने भी सवाल उठाये थे. रमेश बिधूड़ी का कहना रहा कि राहुल गांधी इटली से आये हैं तो क्या एयरपोर्ट पर उनकी जांच हुई है? बाद में भी इस बात की जांच हुई है कि कहीं वो कोरोना वायरस से ग्रस्त तो नहीं हैं.

रमेश बिधूड़ी का ये सवाल भले ही राजनीतिक विरोध की उपज था लेकिन वाजिब भी है. जब हर किसी की जांच पड़ताल हो रही है, तो राहुल गांधी की भी होनी चाहिये.

रमेश बिधूड़ी और हनुमान बेनीवाल के सवाल कहीं से भी मिलते जुलते नहीं हैं, रमेश बिधूड़ी और हनुमान बेनीवाल के सवाल में फर्क सिर्फ इतना है कि कौन किस तरीके से क्या पूछ रहा है?

रमेश बिधूड़ी ने राहुल गांधी के इटली से आने को लेकर सवाल पूछा था, लेकिन हनुमान बेनीवाल ने गांधी परिवार के इटली कनेक्शन को सवालों के घेरे में फिर से लाने की कोशिश की है. हनुमान बेनीवाल चाहते तो रमेश बिधूड़ी के सवाल को आगे बढ़ाते हुए पूछ सकते थे कि राहुल गांधी की जांच हुई या नहीं - और आशंका भी जता सकते थे कि ऐसा न हो कहीं राहुल गांधी की जांच न होने से परिवार के बाकी लोग भी चपेट में आ जायें. ऐसा न करते हुए हनुमान बेनीवाल ने सोनिया गांधी की पृष्ठभूमि और कोरोना वायरस जोड़ कर सवाल किया - और ये भी सही नहीं ठहराया जा सकता.

हनुमान बेनीवाल ने जो टिप्पणी की थी उससे कांग्रेस सांसदों का गुस्सा स्वाभाविक था, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया में गौरव गोगोई और उनके साथियों ने जो किया वो पूरी तरह गलत है. निलंबन की कार्रवाई के बाद गौरव गोगोई ने भी सवाल उठाया है.

गौरव गोगोई का सवाल है - 'ये कौन सा न्याय है? गोली मारो का नारा लगवाने वाले, दिल्ली में भड़काऊ भाषण देने वाले मलाई खा रहे हैं... अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है... बीजेपी नेता दिल्ली हिंसा के बाद भी पश्चिम बंगाल में जाकर गोली मारो का नारा लगवा रहे हैं और सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.'

बेशक गौरव गोगोई की दलील में दम है, लेकिन क्या वो बताएंगे कि स्पीकर की चेयर से कागज उठाकर फाड़ देना क्या होता है?

हमला करना. खून बहाना. चोट पहुंचाना. सिर्फ यही सब हिंसा के दायरे में नहीं आते. जैसे सरकारी काम में बाधा पहुंचाना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अपराध है, सदन के भीतर स्पीकर से कागज छीनना और उसे फाड़ कर फेंक देना उससे कहीं बड़ा, बल्कि बहुत बड़ा अपराध है.

अपराध के लिए सजा तय किये जाते वक्त एक चीज पर सबसे ज्यादा गौर किया जाता है - क्या अपराध इरादतन हुआ है? कानून में इरादतन और गैर-इरादतन अपराधों के लिए अलग अलग सजा का प्रावधान है.

संसद से एक सत्र के लिए निलंबित किया जाना और किसी सांसद की सदस्यता तक खत्म किये जाने के विचार के पीछे भी कानूनन वही दलील दी जाएगी.

मुमकिन है गौरव गोगोई को कागज फाड़ने की प्रेरणा अपने नेता राहुल गांधी से मिली होगी. राहुल गांधी ने दागी सांसदों की सदस्यता को लेकर यूपीए शासन के ऑर्डिनेंस की कॉपी एक प्रेस कांफ्रेंस में फाड़ डाला था. ये कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के वक्त का वाकया है.

तरीका राहुल गांधी का भी गलत था, लेकिन इरादा गौरव गोगोई जैसा नहीं था. गौरव गोगोई भला हनुमान बेनीवाल की टिप्पणी का गुस्सा ऐसे कैसे निकाल सकते हैं?

कांग्रेस सांसदों ने महीने भर पहले भी ऐसा ही किया था. तब केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कांग्रेस नेताओं पर दुर्व्यवहार का इल्जाम लगाया था. उस दिन राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'डंडा मार...' बयान पर हर्षवर्धन की टिप्पणी सुन कर कांग्रेस सांसद आपे से बाहर हो गये थे और दौड़ कर हर्षवर्धन के करीब पहुंच गये. हालांकि, राहुल गांधी का दावा रहा कि दुर्व्यवहार कांग्रेस सांसद ने नहीं किया बल्कि उसीके साथ हुआ था. दोनों ही पक्षों ने स्पीकर के पास अपनी अपनी शिकायतें दर्ज करायी थी.

गौरव गोगोई चाहते तो स्पीकर से आग्रह कर सकते थे कि हनुमान बेनीवाल से उनकी टिप्पणी के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी माफी मंगवायी जाये. आखिर कांग्रेस और विपक्षी सदस्यों के बवाल मचाने पर बीजेपी सांसद साध्वा प्रज्ञा ठाकुर ने माफी मांगी थी या नहीं?

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