EVM and Exit Poll FAQ: चुनाव नतीजों से पहले EVM और exit poll से जुड़े बड़े सवालों के जवाब
एग्जिट पोल (Exit Poll) और ईवीएम (EVM) के कुछ वीडियो को लेकर इस समय सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. इन्हीं की वजह से कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. चलिए जानते हैं उनके जवाब.
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लोकसभा चुनाव के नतीजे (Loksabha Election results 2019) आने वाले हैं और एग्जिट पोल (Exit Poll 2019) के नतीजों की मानें तो इस बार भी भाजपा की प्रचंड बहुमत से जीत होगी. लेकिन जहां एक ओर एग्जिट पोल भाजपा को जीतता हुआ दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विरोधी दल एग्जिट पोल को झूठा और मोदी सरकार का प्रोपेगेंडा कह रहे हैं. ममता बनर्जी ने इसे बकवास करार दिया है. वहीं दूसरी ओर शशि थरूर ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया में कुछ दिन पहले ही एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं, ये भी गलत हैं. वहीं प्रियंका गांधी का कहना है कि ये एग्जिट पोल सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने के लिए जारी किए गए हैं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ एग्जिट पोल सवालों के घेरे में है, बल्कि ईवीएम (EVM) पर भी सवाल उठने लगे हैं. अभी रिजल्ट आया भी नहीं है और यूं लग रहा है कि विपक्ष अपनी हार का ठीकरा ईवीएम के सिर फोड़ने की तैयारी में है. यही वजह है कि कांग्रेस समेत 22 विरोधी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मिलकर मांग की है कि वीवीपैट वेरिफिकेशन के लिए पोलिंग बूथ को रैंडम तरीके से चुना जाए, ना कि पहले से चुन लिया जाए.
ईवीएम के कुछ वीडियो को लेकर इस समय सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं.
इसी बीच ईवीएम को बिना किसी सुरक्षा के गलत तरीके से इधर-उधर ले जाने की कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. किसी वीडियो में ईवीएम गाड़ी की डिग्गी में रखी है, तो किसी में पिक अप में भरी हुई हैं. एक वीडियो में निश्चित समय के एक दिन बाद ईवीएम स्टोर रूम ले जाई गई हैं. इन सभी वीडियो को देखने और लोगों के बयान सुनने के बाद लोगों के मन में एग्जिट पोल और ईवीएम को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
Without any comment, an EVM video from Chandauli, UP. pic.twitter.com/Gmwj638mdo
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) May 20, 2019
1- क्या एग्जिट पोल झूठे हैं?
एग्जिट पोल को झूठा और सच्चा कहने से पहले ये समझना जरूरी है कि एग्जिट पोल किया कैसे जाता है. वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद लोगों से पूछा जाता है कि वह किसे जिता रहे हैं, यानी उन्होंने किसे वोट दिया है. यानी ये नतीजे नहीं, बल्कि सिर्फ संभावनाएं होती हैं. हर एग्जिट पोल में भी यह कहा जाता है कि ये फाइनल नतीजे नहीं हैं, बल्कि लोगों से बात के आधार पर बनाया गया है. कई बार एग्जिट पोल गलत हुए हैं, लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि कई बार वह सही भी साबित हुए हैं.
2- क्या ईवीएम हैक हो सकती है?
यूं तो इसका कोई सटीक जवाब नहीं दिया जा सकता है, लेकिन आज तक ईवीएम हैक करने का दावा करने वाले भी कोशिश कर चुके हैं, लेकिन नाकाम रहे हैं. दरअसल, ईवीएम सिर्फ बटन दबाने पर वोट रजिस्टर करने वाली मशीन है. यह ना तो इंटरनेट से जुड़ी होती है ना ही इसमें वाईफाई या ब्लूटूथ होता है. ऐसे में इसे किसी मोबाइल, लैपटॉप या अन्य किसी डिवाइस के जरिए दूर से ऑपरेट भी नहीं किया जा सकता है. ईवीएम के साथ गड़बड़ी सिर्फ एक तरीके से हो सकती है कि कोई उस मशीन को अपने हाथों में लेकर उसमें गड़बड़ी करे.
3- क्या ईवीएम बदली जा सकती है?
ऐसा हो सकता है, लेकिन जितनी सुरक्षा ईवीएम की होती है, उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि ये नामुमकिन है. चुनाव खत्म होते ही ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को सिक्योरिटी कवर में डाल दिया जाता है. ये कवर डबल लॉक के साथ सील होते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान उस सीट के उम्मीदवार और चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त किए गए पोलिंग ऑब्जर्वर की उपस्थिति में होती है. इसके बाद मशीनों को स्ट्रॉन्गरूम ले जाया जाता है, जहां पर उन्हें रखने और सील करने का पूरा वीडियो बनाया जाता है. इसके बाद भी नतीजों के दिन तक मशीनों की सीसीटीवी के जरिए लगातार निगरानी की जाती है.
स्ट्रॉन्गरूम के बाहर 24 घंटे सीआरपीएफ के जवान तैनात रहते हैं.
इन स्ट्रॉन्गरूम के बाहर 24 घंटे सीआरपीएफ के जवान तैनात रहते हैं. साथ ही स्ट्रॉन्गरूम के बाहर उम्मीदवार या उसका कोई प्रतिनिधि भी मौजूद रहता है. मतगणना के दिन स्ट्रॉन्गरूम को कैंडिडेट या एजेंट और चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर की उपस्थिति में खोला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को फिल्माया जाता है. मतगणना शुरू होने से पहले काउंटिंग एजेंट्स को एड्रेस टैग, सील और ईवीएम का सीरियल नंबर दिखाया जाता है, ताकि उन्हें इस बात की संतुष्टि हो सके कि ये वही मशीनें हैं, जिन्हें चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया गया था और उन्हें बदला नहीं गया है. अभी तक के इतिहास में किसी भी उम्मीदवार ने ईवीएम के गायब होने की कोई भी शिकायत दर्ज नहीं की है. ना ही किसी ने ये शिकायत की है कि सीरियल नंबर मेल नहीं खा रहे हैं.
खैर, ईवीएम इधर-उधर ले जाने की वीडियोज वायरल होने के बाद बाकी सभी सवालों के जवाब तो तथ्यों के आधार पर मिल गए हैं, लेकिन चुनाव आयोग चुप्पी साधे है. वीडियो में दावा किया जा रहा है कि ये ईवीएम रिजर्व ईवीएम हैं, ना कि वो ईवीएम, जिस पर चुनाव हुआ है. ऐसे में भी ये सवाल उठता है कि आखिर चुनाव आयोग को रिजर्व ईवीएम स्ट्रॉन्गरूम तक ले जाने में इतनी देर क्यों हो गई. इस समय जरूरत है चुनाव आयोग को सामने आने की और ये बताने की कि आखिर रिजर्व ईवीएम को स्ट्रॉन्गरूम ले जाने में देरी क्यों हुई.
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