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Updated: 28 अप्रिल, 2016 09:20 PM
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नवंबर 2016 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बनने के कगार पर है. इस्लाम और आतंकवाद पर तीखे बयान जारी कर लगातार सुर्खियों में रहे ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तान को पूरी दुनिया के लिए खतरा बता रहे हैं. ट्रंप का कहना है कि अगर वो अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनते हैं तो पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए वो भारत की मदद लेंगे.

इंडियानापोलिस प्राइमरी से पहले ट्रंप से सवाल किया गया कि राष्ट्रपति बनने पर वह उस पाकिस्तान से कैसे निबटेंगे जिसने 9-11 के बाद कई बार अमेरिका को धोखा दिया है? सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान एक अस्थिर देश है और वहां मौजूद नाभकीय हथियारों से पूरी दुनिया पर खतरा बना हुआ है. इस खतरे से निपटने के लिए ट्रंप ने उम्मीद जाहिर की कि शायद भारत जैसा जिम्मेदार लोकतांत्रिक देश पाकिस्तान में पनप रहे खतरे को खत्म करने में अमेरिका की मदद कर सकता है.

ट्रंप के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकवाद पर लगाम लगाने की दिशा में लगातार अमेरिका को धोखा दिया है. इसकी बड़ी वजह वह अमेरिका की मौजूदा विदेश नीति को मानते हैं जिसे राष्ट्रपति बराक ओबामा चला रहे हैं. ट्रंप के मुताबिक बराक ओबामा ने इजरायल को दरकिनार करते हुए ईरान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है जिसके दुष्परिणाम अमेरिका को आगे देखने को मिल सकता है. साथ ही ओबामा की विदेश नीति को वह आतंकवाद के विस्तार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कह रहे हैं कि राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले वह अमेरिकी विदेशी नीति पर कई दशकों की जमी जंग को साफ करने का कड़ा कदम उठाएंगे.

ओबामा सरकार 2016-17 के लिए एक बार फिर पाकिस्तान को 742 मिलियन डॉलर की मदद मुहैया कराने के लिए संसद का दरवाजा खटखटा रहा है. हालांकि एक अहम अमेरिकी रिपब्लिकन कांग्रेस सदस्य ने इस मदद पर आपत्ति उठाते हुए कहा है कि पाकिस्तान इस मदद का इस्तेमाल भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और अपने यहां आतंकियों को पनाह देने में करता रहा है. इसके बावजूद अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कभी कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है. अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवादियों पर लगाम लगाने के नाम पर 8 अति विशिष्ठ एफ-16 लड़ाकू विमान देने पर राजी हो गया. जबकि अमेरिकी कांग्रेस में इसका विरोध हो रहा है कि पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका को धोखा देते हुए इन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करेगा, न कि अतंकवादियों पर किसी तरह की कारवाई करने में.

गौरतलब है कि पाकिस्तान बीते कई दशकों से अमेरिका के लिए एक जियोपोलिटिकल स्ट्रेटेजिक क्षेत्र रहा है. पहले शीत युद्ध के समय अफगानिस्तान में रूस के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए और फिर आतंकवाद के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़ाई के साथ-साथ चीन को रोकने के लिए. पाकिस्तान के इसी महत्व के चलते अमेरिका लगातार उसकी गलतियों को माफ करने के साथ-साथ उसकी बड़ी आर्थिक मदद देता रहा है. इसके साथ ही पाकिस्तान ने भी अपने इस महत्व का बखूबी फायदा भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए उठाया है.

लिहाजा, आज अगर डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वह इसे अमेरिका की विदेश नीति में लगी जंग की तरह देखते हैं. और राष्ट्रपति बनते ही वह पाकिस्तान की सभी गलतियों की सजा देने का काम करेंगें जिसमें वह भारत की मदद लेने की बात कर रहे हैं तो सवाल उठना लाजमी है. फिलहाल इतना तय है कि अमेरिकी चुनाव में उनके और हिलेरी क्लिंटन के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है और और उनकी यह कोशिश महज अमेरिका में गैर-मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने की एक साजिश मात्र है. जहां तक अमेरिका की विदेश नीति को नैतिकता के चश्मे से देखकर उन्हें जंग दिखाई दे रही है, तो राष्ट्रपति बनते सबसे पहले उन्हें नैतिकता का पाठ ही दिया जाएगा और बतौर राष्ट्रपति उनके पास यह चश्मा नहीं रह जाएगा.

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