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Updated: 07 जून, 2015 02:44 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस हर मौके को हथियार के तौर पर आजमाती रही है. कभी किसानों का मामला उठाकर, तो कभी दलितों का. राहुल गांधी लगातार पदयात्रा कर रहे हैं, तो सोनिया कभी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रही हैं. बीच बीच में वो विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में भी लगी रहती हैं. ये सारी तैयारियां पार्टी को बेहतर पोजीशन में ले जाकर राहुल को कांग्रेस की कमान सौंपने की हो सकती है. वैसे ताजा खबर तो यही है कि सितंबर में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है. हालांकि, इससे पहले बीते अप्रैल और मई में भी ऐसी खबरें आ चुकी हैं.  

मिलकर संभाला मोर्चाएक बार कांग्रेस नेताओं के बयान आए थे कि कांग्रेस में दो पावर सेंटर बन गए हैं. नेता कंफ्यूज रहते हैं कि सोनिया गांधी के पास जाएं या फिर राहुल गांधी से बात करें. हाल फिलहाल की गतिविधियां तो यही जता रही हैं कि सोनिया और राहुल ने मिल कर मोर्चा संभाल लिया है.

1. दलित एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश में राहुल गांधी के महू दौरे से ठीक पहले सोनिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और दलितों के मुद्दे पर ऑर्डिनेंस लाने की मांग की.2. राहुल जहां किसानों के मसलों को लेकर पदयात्रा कर रहे हैं तो सोनिया कांग्रेस मुख्यमंत्रियों को बुलाकर बात करने जा रही हैं. इस मीटिंग में भी भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा होने की बात है. माना जा रहा है कि जिस तरह नीतीश कुमार और नवीन पटनायक केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर होकर अपनी बात कह रहे हैं कांग्रेसी मुख्यमंत्री उनके जैसे मुखर नहीं हैं. 3. किसानों की समस्याओं को लेकर रामलीला मैदान की रैली से पहले सोनिया ने संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया था. मोदी सरकार के आने के बाद ये पहला मौका था जब सारा विपक्ष सड़क पर एक साथ और एकजुट नजर आया था. बताया जाता है कि सोनिया फिर से गैर एनडीए दलों के नेताओं से बारी बारी निजी तौर पर संपर्क साध रही हैं. निश्चित रूप से ये मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी है.4. राहुल गांधी की किसान पदयात्रा जारी है. अभी 6 जून को वो पश्चिम बंगाल जाने वाले हैं जहां हुगली में गांधी प्रतिमा से नेताजी इंडोर स्टेडियम तक पदयात्रा करेंगे. 5. किसान पदयात्रा के साथ साथ राहुल गांधी बीच बीच में कभी मछुआरों से मिलते हैं तो कभी किसी और से. पश्चिम बंगाल में वो एक जूट मिल के कर्मचारियों से मिलने जा रहे हैं. 6. राहुल गांधी आज कल उन सभी मुद्दों को जिंदा रखने की कोशिश करते हैं जिन्हें मोदी सरकार के खिलाफ हवा दी जा सकती है. ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई से मुलाकात को भी इसी तरीके से जोड़ कर देखा जा सकता है.

पहले माहौल, फिर बागडोरकांग्रेस का सदस्यता अभियान मई में खत्म हो चुका है. संगठन का चुनाव भी 15 अगस्त तक खत्म हो जाने की अपेक्षा है. उसके बाद सितंबर में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन आयोजित होना है. ये अधिवेशन बेंगलुरु में आयोजित होगा जहां कांग्रेस की सरकार है. ये वही वक्त होगा जब बिहार में चुनावी माहौल चरम पर होगा. कांग्रेस को लगने लगा है कि तब तक काफी कुछ बदल चुका होगा. राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए इससे बेहतरीन मौका हो भी क्या सकता है. लेकिन ये फिर से न टल जाए इसकी गारंटी तो खुद राहुल गांधी ही दे सकते हैं.

बिहार में ऐसे घेरेगी कांग्रेसअब तक बिहार में कांग्रेस की कोई खास भूमिका नजर नही आ रही थी. लेकिन अचानक बदले राजनीतिक माहौल में पार्टी ने अपना रोल तलाश लिया है. जनता परिवार का मामला लटक जाने के बाद अब लालू और नीतीश के बीच गठबंधन में गतिरोध भी कांग्रेस के पक्ष में जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि इन दलों को बीजेपी के खिलाफ इकट्ठा कर उसे चुनावों में अच्छी टक्कर दी जा सकती है - और नतीजे अच्छे रहे तो केंद्र में दबाव बनाने में मददगार साबित होंगे. कांग्रेस के कई नेता सोनिया गांधी को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश भी कर रहे हैं. खबर ये भी है कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी का वो दावा खारिज हो गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस जेडीयू यानी नीतीश कुमार के साथ जाएगी. इसका मतलब ये निकला कि लालू के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं होगा. लेकिन अब ये बीते दिनों की बात हो गई है. आखिरी फैसला आलाकमान को लेना है - ताकि लालू और नीतीश फिर से न बिछड़ जाएं, कुछ और पार्टियां भी साथ रहें जिससे बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जा सके. इस तरह बिहार के बूते दिल्ली में फिर से मजबूत दस्तक देने की कांग्रेस की तैयारी है.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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