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Updated: 21 मार्च, 2017 03:08 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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यूपी चुनाव में बीजेपी की जीत ने कांग्रेस के गम को और बढ़ा दिया है. 2014 में जहां कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम बनाने की पूरी तैयारी कर चुकी थी. लेकिन, जनता ने उनका साथ न देते हुए मोदी को चुना. कांग्रेस और राहुल दोनों का सपना चकनाचूर हो गया. लेकिन, उसके बाद कांग्रेस की हार या कहें बीजेपी की जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उससे कांग्रेस के बड़े नेताओं की सीट के भी लाले पड़ने वाले हैं. और इस पैमाने पर यदि अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट का परीक्षण करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में यह राहुल गांधी और सोनिया गांधी के हाथ से छिटकती हुई दिख रही हैं.

2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के साथ शुरू हुआ था. लोग वोट देने पहुंचे तब तक उन्‍हें पता नहीं था कि भविष्य में क्या होगा. बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिलीं. राहुल गांधी अमेठी से और सोनिया गांधी रायबरेली से जीतीं. 2009 में प्रदेश से 21 सीटें जीतने वाली देश की इस सबसे पुरानी पार्टी का यह सबसे खराब प्रदर्शन था. लेकिन, यूपी चुनाव के ताजा परिणाम संकेत दे रहे हैं कि अभी कांग्रेस का यूपी में सर्वनाश होना बाकी है. अमेठी और रायबरेली में टिमटिमा रहा कांग्रेस का दिया भी बुझने वाला है.

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राहुल की अमेठी सीट मुश्किल में

राहुल गांधी ने 2014 का लोकसभा चुनाव करीब एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीता था. उन्हें 4.08 लाख वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी को 3 लाख वोट मिले थे. लेकिन इस कामयाबी पर इसलिए सवाल खड़े हुए, क्योंकि 2009 के मुकाबले राहुल के वोट 25 फीसदी घटे थे. जबकि भाजपा के वोटों में लगभग इसी अनुपात में वोट बढ़े थे. इस यूपी विधानसभा चुनाव में जबकि यह साबित हो गया है कि मजबूत साथी मिलने के बावजूद कांग्रेस के लिए लोगों के मन में कोई उम्मीद नहीं है, तो क्या अमेठी की जनता सिर्फ परंपरा या प्रतिनिधित्व के नाम पर राहुल गांधी को वोट देंगे ?

अमेठी

विधान सभा सीट

2017

2012

2007

अमेठी

गौरीगंज

जगदीशपुर

तिलोई

सलोन

बीजेपी

सपा

बीजेपी

बीजेपी

बीजेपी

सपा

सपा

काग्रेंस

काग्रेंस

सपा

काग्रेंस

बीएसपी

काग्रेंस

सपा

काग्रेंस

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सोनिया की रायबरेली सीट का क्या होगा?

गांधी, नेहरू परिवार के नाम यूपी की जो दूसरा लोकसभा सीट है, उसका नाम है राय बरेली. फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और अब तीन बार से सोनिया गांधी यहां से चुनाव जीत रही हैं. लेकिन 2019 का चुनाव उनके लिए यहां से जीतना नामुमकिन लग रहा है. विधानसभा चुनाव के नतीजे अपनी जगह हैं, लेकिन सोनिया गांधी की खराब तबीयत भी उनके पक्ष में नहीं है. यदि वे खुद चुनाव न लड़ें और प्रियंका गांधी को यह सीट दे दें, तो बात अलग है. लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा है.

रायबरेली

विधान सभा सीट

2017

2012

2007

रायबरेली

सरेनी

बाछरांवा

ऊंचाहार

हरचांदपुर

 

काग्रेंस

बीजेपी

बीजेपी

सपा

कांग्रेस

 

निर्दलीय

सपा

सपा

सपा

सपा

काग्रेंस

काग्रेंस

काग्रेंस(2009)

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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