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Updated: 17 फरवरी, 2016 06:59 PM
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मायावती उपचुनावों में एनर्जी वेस्ट करने में यकीन नहीं रखतीं. इसीलिए हाल के उपचुनावों से भी वो दूर रहीं. वो पूरी तरह 2017 पर फोकस कर रही हैं. उपचुनावों समाजवादी पार्टी का दो सीटें गंवाना उन्हें सुकून तो दिया होगा - उससे भी ज्यादा राहत इस बात से मिली होगी कि वे दोनों किसी एक को नहीं बल्कि बीजेपी और कांग्रेस में आधी आधी बंट गईं.

मगर मायावती को मालूम होना चाहिए कि उस एक सीट को कांग्रेस बिलकुल संजीवनी बूटी की तरह ले रही है.

फॉर्मूला-84

बिहार में मिले विश्वास से लबालब कांग्रेस अब यूपी में सिर्फ और सिर्फ मायावती को ही बड़ी चुनौती मान रही है. मायावती को काउंटर करने के लिए कांग्रेस फॉर्मूला-84 लेकर आ रही है.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं. इनमें से 84 सुरक्षित सीटें हैं. कांग्रेस इन सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारने जा रही है जिन्हें पूरे साल भर चली चयन प्रक्रिया के तहत चुना गया है.

इस प्रक्रिया के पूरा होने पर 18 फरवरी को लखनऊ में एक वर्कशॉप होने जा रहा है. ये वर्कशॉप राहुल गांधी के लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन का हिस्सा है. इस वर्कशॉप में दलित नेताओं को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी.

वर्कशॉप में ट्रेनिंग के बाद इन नये नेताओं को यूपी की 84 सीटों पर उम्मीदवार बनाया जाएगा.

कांग्रेस का ये फॉर्मूला-84 खासतौर पर मायावती के वोट बैंक को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है - और ये वास्तव में उनके लिए बड़ी चुनौती है. इस वर्कशॉप के बाद राहुल गांधी खुद एक रिजोल्युशन लाएंगे जिसका नाम होगा - लखनऊ घोषणा पत्र.

दो-दो घोषणा पत्र

दलितों को रिझाने के लिए कांग्रेस यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए दो-दो घोषणापत्र लाने वाली है. कांग्रेस के दो मेनिफेस्टो में एक तो मुख्य घोषणा पत्र होगा, जबकि दूसरा खास तौर पर दलित समुदाय से जुड़ा होगा.

इसके बाद यूपी में जगह जगह 10 क्षेत्रीय सम्मेलन कराने की योजना है. इन सम्मेलनों के बाद ही दलित घोषणा पत्र फाइनल शेप लेंगे. इसमें दलितों के लिए कांग्रेस की नीतियों से जुड़ी स्कीम का पूरा ब्योरा होगा. साथ ही, इस बात का भी जिक्र होगा कि कांग्रेस किस तरह दलितों को राज्य और केंद्रीय स्तर पर नेतृत्व में हिस्सेदारी बढ़ाने जा रही है.

दलितों के घर राहुल गांधी के दौरे का मायावती मखौल उड़ाती रही हैं - लेकिन अब उन्हें कांग्रेस के मिशन-84 की काट खोजनी होगी.

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