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Updated: 24 दिसम्बर, 2015 05:30 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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मुजफ्फरपुर की परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ‘शायद नितीश कुमार के डीएनए में ही कुछ गड़बड़ है’. इसके जबाव में पटना के गांधी मैदान में एक साथ 80 काउंटर लगाकर बिहार की जनता का डीएनए सैंपल एकत्रित करने की मुहिम शुरू हुई जिससे देश के प्रधानमंत्री को बिहार की जनता के डीएनए की सघन परीक्षण करने में मदद मिले. आजतक यह तो पता नहीं चला कि नरेन्द्र मोदी ने नितीश कुमार और उनके समर्थकों के डीएनए पर अपनी राय में कोई परिवर्तन किया है या नहीं लेकिन इतना जरूर साफ हो गया है कि मोदी और उनके सलाहकारों को बिहार के बीजेपी नेताओं का भी डीएनए नहीं समझ आ रहा है.

बीजेपी की अंदरूनी कलह अपने शीर्ष पर पहुंच गई है. बिहार के दरभंगा से बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया है. उन पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगा है. इससे पहले पटना शरीफ से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार चुनावों में हार के लिए मोदी और शाह को जिम्मेदार ठहराया था. वहीं पार्टी पर उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए चुनाव नतीजों के तुरंत बाद वह नीतिश और लालू को बधाई देने पहुंच गए थे. बिहार चुनावों के दौरान आरा से बीजेपी सांसद आर के सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही सिंह ने यह भी आम कर दिया था कि उन्हें बीजेपी और लालू प्रसाद की आरजेडी में कोई अंतर नहीं दिखाई देता. वहीं बिहार चुनावों के नतीजे आने के बाद बेगुसराय से बीजेपी सांसद भोला सिंह ने सबसे पहले हार के लिए मोदी और शाह की जोड़ी को जिम्मेदार घोषित कर दिया था. भोला सिंह ने मीडिया में बयान दिया कि चुनावों के दौरान मोदी ने अपने भाषणों के स्तर को गिराकर लालू के स्तर का कर दिया जिससे पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं अमित शाह के नेतृत्व पर भोला सिंह ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष एक गिरोह की तरह चुनावों में काम कर रहे थे. अपने इन बयानों के लिए भी भोला सिंह ने दावा कि पार्टी में व्याप्त गिरोहबंदी के लिए उन्हें सुकरात की तरह जहर पीना पड़ा.

बिहार से बीजेपी सांसदों के सुकरात बनने की सूची यहीं नहीं खत्म होती. इसमें मधुबनी से बीजेपी सांसद हुकुमदेव, बक्सर से बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे और शिवहर से बीजेपी सांसद रमा देवी को भी जोड़ना होगा क्योंकि इन सबने भी बिहार की हार के लिए मोदी और शाह की जोड़ी को जिम्मेदार ठहराने के जहर का घूंट पिया था. अब सवाल यह है कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बिहार के सांसदों को सुकरात बनने से नहीं रोक पा रहे हैं. क्या मोदी और शाह को इन सभी सांसदों के डीएनए में भी को गड़बड़ दिखाई दे रहा है जो एक के बाद एक पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते जा रहे हैं. अब कीर्ति आजाद को छोड़ दें तो बीजेपी के रुख से इतना तो साफ है कि बिहार के बाकी सांसदों का रवैया अनुशासनात्मक तो नहीं हैं क्योंकि किसी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है. लिहाजा क्या वाकई इसे डीएनए में गड़बड़ी माना जा रहा है?

नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल उठाकर मोदी ने उन्हेंि धोखेबाज कहने का सियासी रिस्का लिया था. लेकिन, अब बिहार से आने वाले बीजेपी नेताओं ने तो उनके सामने और बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. इसे हल करने के लिए अब शायद मोदी उन 80 हजार लोगों के डीएनए सेंपल का वाकई परीक्षण कराना चाहें जो नीतीश कुमार ने पटना में इकट्ठे करवाए थे.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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