New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 19 जुलाई, 2016 03:48 PM
हिमांशु मिश्रा
हिमांशु मिश्रा
 
  • Total Shares

यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव है. समाजवादी पार्टी से यूपी के वर्तमान में अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी से मायावती मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे ये जगजाहिर है. कांग्रेस ने भी लगे हाथ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. दूसरी तरफ बीजेपी में अभी मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर सिर्फ विचार-विमर्श ही चल रहा है.

मतलब साफ हैं कि बीजेपी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित करने में बाकी पार्टियों से पिछड़ गई है. एक तरफ बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और दूसरी तरफ केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद से बीजेपी के कई बड़े नेता नाराज हैं.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पार्टी आलाकमान से इसलिए नाराज है क्योंकि एटा से सांसद उनके बेटे राजवीर सिंह को पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है. मंत्रिमंडल विस्तार के तुरंत बाद यूपी बीजेपी प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और यूपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल कल्याण सिंह को मनाने के लिए जयपुर के राजभवन गए थे. कल्याण सिंह की नाराजगी दूर के लिए उनके बेटे राजवीर सिंह उर्फ़ राजू भैया प्रदेश टीम में उपाध्यक्ष बनाये गये हैं. कल्याण सिंह लोध जाति से आते है जो यूपी की पिछडी जाति में आती है.

ये भी पढ़ें- चार महीने में बीजेपी के चार गलत फैसले

kalyan-singh-650_071916025050.jpg
 कल्याण सिंह जो इस समय पार्टी के आलाकमान से नाराज है.

एक समय के राममंदिर आंदोलन के सबसे सक्रिय नेता विनय कटियार भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से विनय कटियार को पार्टी में लगभग हाशिये पर ही रख छोड़ा है. राजनाथ सिंह ने 2013 में भले ही विनय कटियार को  अपनी टीम नहीं लिया हो लेकिन केंद्रीय चुनाव समिति में रखा था. मतलब साफ है की पार्टी अब विनय कटियार जैसे नेताओं को आगे लेकर नहीं चलना चाहती है.

vinay_katiyar-650_071916025441.jpg
राम-मंदिर आंदोलन के सबसे सक्रिय नेता विनय कटियार मंत्रिमंडल में जगह ना दिए जाने पर पार्टी से नाराज है.

यूपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं, वजह है पार्टी नेतृतव ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले 2012 में वादा किया था कि मिर्जापुर लोकसभा सीट से उनके बेटे को टिकट दी जायेगी. लेकिन अंतिम समय में अपना दल से गठबंधन होने कारण मिर्जापुर सीट अपना दल को देनी पड़ी. तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने तर्क दिया था अगर अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ेंगी तो वाराणसी से चुनाव लड़ रहे है पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनाव में फायदा मिलेगा. अभी तक पार्टी ने ओम प्रकाश सिंह या उनके बेटे को पार्टी में एडजस्टमेंट नहीं हुई है.

om-prakash-singh-650_071916030222.jpg
ओमप्रकाश सिंह भी बेेटे को टिकट ना दिए जाने पर पार्टी से नाराज हैं

ये भी पढ़ें- नीतीश के शराबबंदी के नारों से क्यों उड़ी बीजेपी की नींद!

गोरखपुर से बीजेपी के फायरब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ इस बात पर नाराज हैं कि प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या उनसे गोरखपुर जोन के लिए जाने फैसलों में उनसे चर्चा नहीं करते हैं. सूत्रों की मानें तो प्रदेश कार्यसमिति कि बैठक योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के चलते रद्द करनी पड़ी. पीएम मोदी और अमित शाह से लेकर पूरा पार्टी ये जानता है की योगी को नाराज कर पूर्वी यूपी में पार्टी की नांव पार लगना मुश्किल होगा.

yogi-adityanath-650_071916030758.jpg
योगी आदित्यनाथ पार्टी से इस बात पर नाराज हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी बात नहीं सुन रहे हैं

लोकसभा चुनाव के बाद से एक समय के पार्टी के शीर्षतम नेता मुरली मनोहर जोशी नाराज चल रहे है.  इलाहाबाद की राष्ट्रीय कार्यकारी के मंच से पीएम मोदी ने जोशी की दिल खोलकर तारीफ की थी. लेकिन जोशी अब तारीफ नहीं पार्टी और संघ से वादा चाहते हैं, 2017 में पार्टी उन्हें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाएगी. इस पर पीएम मोदी ने अपने पते नहीं खोले है.

murli-manohar-joshi-_071916031328.jpg
मुरली मनोहर जोशी इस बात को लेकर पार्टी से नाराज हैं कि उन्हें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा क्यों नहीं है.

पिछले दिनों हुए कैबिनेट विस्तार में यूपी से तीन चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी. लेकिन इस विस्तार में आगरा से दलित सांसद राम शंकर कठेरिया को पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल से हटाकर और उनकी जगह शाहजाहपुर से सांसद कृष्ण राज को मंत्रिमंडल में शामिल किया. कठेरिया दो बार से आगरा से सांसद हैं, पश्चिमी यूपी के आगरा जोन में उनका अच्छा होल्ड भी है. मंत्रिमंडल से हटाये जाने के बाद उन्होंने कहा था पार्टी को इसका नुकसान हो सकता हैं.

ये भी पढ़ें- बड़बोले कठेरिया को बयानबाजी की ट्रेनिंग देने का जिम्मा!

ram-shankar-katheria_071916031702.jpg
रामशंकर कठेरिया की नाराजगी इस बात को लेकर हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल से निकाला गया और उनकी जगह पर सांसद कृष्णराज को शामिल किया गया.

इस कैबिनेट विस्तार में सात बार से लोकसभा सांसद और रुहेलखण्ड के बड़े कुर्मी नेता संतोष गंगवार जो मोदी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री थे और उनके साथ जनरल वी के सिंह को स्वतंत्र प्रभार के मंत्री से हटाकर राज्य मंत्री बना दिया है. दोनों ही मंत्रियो का डिमोशन कर दिया गया है. पश्चिमी यूपी के एक मंत्री संजीव बालियान को कृषि मंत्रालय से हटाकर जल मंत्रालय में भेज दिया गया है. संजीव बालियान की किसान नेता की छवि है और उनकी छवि के साथ कृषि मंत्रालय के लिए सूट करता था. भले ही इन तीन मंत्रियो ने अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की हो लेकिन दिल में टीस तो है ही.

पार्टी के कई नेताओ का मानना है कि इस कैबिनेट विस्तार में जिन तीन मंत्रियो को जगह दी गई है उनका अपनी लोकसभा सीटों के अलावा किसी दूसरे क्षेत्र में प्रभाव नहीं हैं. पीएम मोदी और अमित शाह का ये फैसला सही है कि कलराज मिश्रा के 75 साल पूरे होने के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल से क्यों नहीं हटाया गया, अगर उनको भी नजमा हेपतुल्ला की तरह रुखसत कर दिया जाता तो यूपी में बीजेपी के कोर वोटर ब्राह्मण में डिवीज़न हो जाता.

बीजेपी भले ही कितने भी दावे खेले, यूपी चुनाव में उसकी भी खिसक रही है. अगर समय रहते पार्टी ने अपने नाराज नेताओं पर ध्यान नहीं दिया तो नतीजे बिहार और दिल्ली जैसे दिखने को मिलेंगे, जिनपर अचरज नहीं होना चाहिए.

लेखक

हिमांशु मिश्रा हिमांशु मिश्रा

लेखक आजतक में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय