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Updated: 22 जनवरी, 2021 01:01 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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बिहार विधान परिषद उपचुनाव में शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए हैं. नीतीश कैबिनेट में शामिल होकर अब उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है. उनके नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, दोनों उप-मुख्यमंत्रियों सहित नेताओं का पूरा अमला जिस तरह से मौजूद था, उसे देखकर उनके सियासी भविष्य का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. शाहनवाज हुसैन को बिहार भेजने के इस फैसले को भले ही कुछ लोग उनके कद घटाने से जोड़ रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शाहनवाज के बहाने बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. हर बार की तरह इस बार भी मोदी-शाह ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया है.

shahnawaz-hussain-69_012221100539.jpgबिहार में MLC चुने गए शाहनवाज हुसैन

बिहार में बनेंगे बीजेपी का बड़ा चेहरा:

बिहार के कद्दावर नेता और बीजेपी के एकमात्र बड़े चेहरे सुशील मोदी को दिल्ली लाए जाने के बाद से ही कयासों का दौर जारी था. इसी बीच शाहनवाज हुसैन को बिहार ले जाने का मतलब ये है कि बीजेपी राज्य में अपना एक बड़ा चेहरा खड़ा करना चाहती है. ऐसा चेहरा जो नीतीश कुमार को टक्कर दे सके. उनके राजनीतिक कद की बराबरी कर सके. सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव के बाद बीजेपी के पास कोई चेहरा नहीं था. उप-मुख्यमंत्री बनाए गए तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी जैसे लोग जमीनी नेता तो हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता नहीं है. शाहनवाज हुसैन ना सिर्फ यह कमी पूरा करेंगे बल्कि मोदी और यादव की गैर मौजूदगी से हल्की हो चुकी टीम बीजेपी को वजनदार भी बनाएंगे.

मुस्लिम विरोधी प्रचार पर कड़ा प्रहार:

बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में बीजेपी की चेहराविहीन राजनीति भविष्य की संभावनाओं को धूमिल कर रही थी. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने नौजवान, सुलझे और सर्व स्वीकार्य चेहरे को बिहार भेजकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. इनमें से एक बीजेपी की मुस्लिम विरोधी राजनीति के प्रचार पर हमला भी है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं था. इसका एक तरह जहां बीजेपी को नुकसान हुआ, तो आरजेडी को इसका फायदा मिला. ऐसे में अब बीजेपी शाहनवाज को मुस्लिम चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है. इतना ही नहीं आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने की जुगत में है.

प्रखर नेता, कुशल वक्ता:

शाहनवाज हुसैन बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. वह लंबे समय से पार्टी का पक्ष रखते आ रहे हैं. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर का एक चेहरा जब राज्य में पार्टी का पक्ष रखेगा, तो उसका असर प्रभावी होगा. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में संपन्न हालिया चुनाव में शाहनवाज हुसैन की सक्रीय भूमिका रही है. वहां पार्टी के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि वह कुशल वक्ता के साथ ही चुनावी रणनीति में भी माहिर हैं. जमीनी स्तर के नेता हैं. आगामी चुनाव में बीजेपी के लिए बिहार में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

नीतीश कैबिनेट में बीजेपी के मजबूत मंत्री:

बिहार सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होने जा रहा है. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने अपने संभावित मंत्रियों के नाम तय कर लिए हैं. भारतीय जनता पार्टी अपने कोटे के संभावित नामों की सूची को अंतिम रूप देने में लगी है. इस पर अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व की लगनी है. इस बार नीतीश कैबिनेट में बीजेपी की तरफ से शाहनवाज हुसैन की एंट्री तय मानी जा रही है. शाहनवाज को मंत्री बनाकर बीजेपी नीतीश कुमार के सियासी कद के बराबर अपना एक चेहरा खड़ा करना चाहती है.

मजबूत बीजेपी के लिए नीतीश विरोधी:

अभी तक सुशील मोदी को बिहार बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता था. लेकिन नीतीश कुमार से उनकी दोस्ती मोदी-शाह को कभी रास नहीं आई. आरोप लगता था कि नीतीश-सुशील की दोस्ती की वजह से बिहार में बीजेपी पिछलग्गू पार्टी बनकर रह गई है. मोदी-शाह बीजेपी की इस छवि को तोड़ना चाहते थे. यही वजह है कि विधान सभा चुनाव के दौरान आजमाए गए सियासी दांव से बीजेपी नंबर एक पार्टी बनने में सफल रही. इसके बाद सुशील मोदी को दिल्ली बुलाकर उनकी छत्रछाया से पार्टी को अलग किया गया. अब कथित नीतीश विरोधी शाहनवाज को राज्य में भेजकर पार्टी को अलग चेहरे के साथ नई पहचान देने की कोशिश की जा रही है.

बिहार से देंगे बंगाल को संदेश:

बंगाल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. बीजेपी कमर कसकर चुनावी मैदान में अभी से उतर चुकी है. राजनीतिक विसाद पर सियासी मोहरे अभी से सजाए जा रहे हैं. पार्टी के बड़े और खुर्राट नेताओं को चुनाव की कमान सौंपी गई है. मुकाबला ममता बनर्जी से हैं. इसलिए बीजेपी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती. सभी जानते हैं कि बंगाल में मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है. कट्टर छवि की वजह से बीजेपी के लिए मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना मुश्किल है. ऐसे में शाहनवाज हुसैन की ताजपोशी भले ही बिहार में होगी, लेकिन इसका संदेश बंगाल तक जाएगा. इसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.

नीतीश की वजह से कटा लोकसभा का टिकट:

बताते चलें कि साल 1999 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर शाहनवाज हुसैन लोकसभा चुनाव जीते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्‍हें पहली बार मंत्री बनाया गया. साल 2001 में उन्‍हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला. साल 2003 में टेक्सटाइल मंत्री बनाए गए. वह देश के सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रहे हैं. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्‍होंने 2006 में भागलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जीते. लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद इनके सितारे गर्दिश में चले गए. यहां तक कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से उनके टिकट भी नहीं मिल पाया. इसके पीछे मुख्य वजह नीतीश कुमार थे. यह सीट जेडीयू के खाते में ही जाए, इसके लिए वह अंतिम समय तक अड़े रहे थे. इसका खामियाजा शाहनवाज हुसैन को भुगतना पड़ा था.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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