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Updated: 02 दिसम्बर, 2016 07:54 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
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रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कैशलैस सोसायटी की वकालत की थी. दलील थी इससे भ्रष्टाचार घटेगा और अर्थव्यवस्था में भी मजबूती आएगी. उन्होंने जनता से अपील की कि अपने मोबाइल फोन को ई-वॉलेट की तरह इस्तेमाल करना चाहिए. प्रधानमंत्री की यह दलील बेशक बहुत लाभप्रद और आसान दिखाई देती हो, लेकिन सवा अरब की आबादी वाले देश में इसको लेकर तमाम चुनौतियां हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भारत एक ऐसा देश हैं जहां 80 फीसदी बाजार और उसकी अर्थव्यवस्था नकद लेनदेन के द्वारा होती हैं.

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जनता से मोबाइल को ई-वॉलेट की तरह इस्तेमाल करने की अपील

निसंदेह नोटबंदी से जहां काल धन खत्म करने में कुछ हद तक सरकार को फायदा होगा वहीं कैशलेस अर्थव्यवस्था मे भी भारी वृद्धि होगी. कैशलेस व्यवस्था का सपना शायद महानगरों में तो सफल हो भी जाए लेकिन जिस देश में आज भी बैंक में जाने के लिए पूरा दिन लगता हो, आधुनिक संचार के साधन उपलब्ध न हो तो फिलहाल यह सपना अभी दूर की कौड़ी साबित होगा.

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प्रधानमंत्री ने सभी बीजेपी शासित प्रदेशों को कैशलेस व्यवस्था का पार्ट बनने के हुक्म जारी कर दिया है. बीजेपी शासित प्रदेशों की सरकारों के हौसले से तो यही लगता हैं की वे कैशलेस व्यवस्था को अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग बना कर ही सांस लेंगे. लेकिन गैर बीजेपी राज्य फिलहाल मानसिक रूप से इसे अपनाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.

हाल ही में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि देश के एक तिहाई एटीएम बंद ही रहते हैं. तो कैशलेस इकॉनमी की यह अवधारण कहां और कब तक सफल होगी यह तो लाइन में लगी जनता देख चुकी है. आगे देखना बाकी है कि कितने बलिदानों के बाद इंडिया और भारत इस अवधारणा को ग्रहण कर पाएगा. इंडिया तो शायद जल्द ही कैशलेस इकॉनमी का पार्ट बन जाय लेकिन भारत को इसका पार्ट बनने में शायद बहुत समय लगेगा.

जरुरी यह था कि आधी अधूरी तैयारियों के साथ मैदान में उतरने से पहले भारत के  हर परिवार का कम से कम एक बैंक अकाउंट खोला जाता , जिसकी कोशिश प्रधानमंत्री ने जनधन खाता खोलकर की थी लेकिन इसमें सफलता तो मिली लेकिन फिर भी कई लोग इससे वंचित रह गए. कैशलेस इकॉनमी का सपना देखने से पहले यह तो सुनिश्चित कर लिया जाता कि कम से कम एक ग्रामपंचायत में एक सरकारी/प्राइवेट बैंक होता, और यह सुनिश्चित किया जाता की ये शाखाएं आधुनिक सुविधाओं से जुड़ी होतीं.

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कैशलेस व्यवस्था शुरू करने वाले बीजेपी शासित राज्य एवं अन्य राज्यो की स्थिति

झारखण्ड- मुख्यमंत्री रघुवरदास  कैशलेस झारखंड की शुरुआत  कर चुके हैं. रघुवर दास की असली परीक्षा झारखण्ड के आदिवासी इलाको में होगी.

हरियाणा- मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने भी सरकारी अधिकारियों को फरमान जारी कर दिया है कि एक सप्ताह के अंदर सभी सरकारी लेनदेन  कैशलेश माध्यम से हों यह सुनिश्चित किया जाए. लेकिन गांव देहात तक इस व्यवस्था को कैसे पहुचाएंगे यह स्पष्ट नहीं है.

गोवा- 31 दिसंबर से देश का पहला कैशलेस राज्य बनने जा रहा है. 31 दिसंबर के बाद गोवा के लोग रोजमर्रा की सभी चीजें अपने मोबाइल का एक बटन दबा कर खरीद पाएंगे. गोवा पर्यटन विभाग ने अपनी सभी लेन देन कैशलेस करने का फैसला किया है.

मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य में कैशलेस व्यवस्था को शुरू करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो यह निर्धारित करेगी कि प्रदेश में कैशलेस व्यवस्था कैसे शुरू की जाए. इसके अलावा प्रदेश में कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए व्यापारियों को पांच लाख प्वाइंट ऑफ सेलिंग (पीओएस) मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी.

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छत्तीसगढ़- राज्य शासन की सभी लेनदेन अब कैशलेस होंगे. राज्य शासन ने निर्देश में कहा है कि कैशलेस व्यवस्था की दिशा में चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ा जाए. पहले चरण में सभी नगरीय निकाय क्षेत्रों में कैशलेस ट्रांजेक्शन शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. शहरी क्षेत्र में व्यवस्था लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों की बारी आएगी.

राजस्थान- सरकार ने कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो एटीएम सहित कार्ड स्वैपिंग मशीन मशीनों को पूरी तरह से वैट मुक्त कर दिया है.

पंजाब- सभी बैंकों को ग्राम स्तर तक लोगों को ई-पेमेंट, मोबाइल बैकिंग और कैशलैस लेन-देन संबंधी जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहा है.

बिहार- केंद्र सरकार की ओर से गठित कमेटी  से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने खुद को अलग कर दिया है. उन्होंने अपने पूर्व कार्यक्रम का हवाला देकर इसमें शामिल होने में असमर्थता जताई. शायद बिहार की सामाजिक एवं भोगोलिक स्तिथि को देखकर यह फैसला लिया गया हो .

लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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