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Updated: 31 दिसम्बर, 2014 04:05 PM
परवेज़ सागर
परवेज़ सागर
  @theparvezsagar
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हिंदू महासभा, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के 'घर वापसी' अभियान ने मोदी सरकार की छवि को धूमिल किया है. घर वापसी जैसे आयोजन केंद्र सरकार की परेशानी सबब बन गए. लेकिन अब सत्ता के गलियारों से ख़बर है कि मोदी सरकार के चिन्तकों ने सरकार की छवि को साफ करने की एक नई योजना बनाई है. एक विज्ञापन के जरिए बताया जाएगा कि धर्म के मामले में सरकार की सोच क्या है. यह सोच बताएंगे अमिताभ बच्चन.

इस योजना का मकसद अल्पसंख्यकों के मन से धर्मांतरण का डर निकालकर उनमें सरकार के प्रति विश्वास जगाना है. इस अभियान की ज़िम्मेदारी अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को दी गई है. मुख्तार अब्बास नक़वी बीजेपी के गिने-चुने मुस्लिम चेहरों में से एक हैं. नक़वी देश के उन सभी इलाकों का दौरा करेंगे, जहां अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है. वे स्थानीय लोगों से मिलकर उन्हें बताएंगे कि केन्द्र सरकार की इस बारे में क्या सोच है.

विकास को आधार बनाकर आगे बढ़ने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने खामोशी के साथ इस योजना को हरी झंडी दे दी है. सबसे खास बात ये है कि इस काम के लिये एक विज्ञापन भी बनाने की योजना है. जिसमें लोगों से विकास के लिए धर्म और जाति से ऊपर उठने की गुजारिश की जायेगी. यह विज्ञापन नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज ही माना जा रहा है. इस विज्ञापन के लिये खुद मोदी ने महानायक अमिताभ बच्चन को प्रस्ताव भेजा है. गौरतलब है कि पहले भी अमिताभ मोदी के आग्रह पर गुजरात सरकार के प्रमोशनल विज्ञापनों में काम कर चुके हैं. ये विज्ञापन देशभर में पसंद किए गए थे.

सरकार की कवायद तो अपनी जगह है लेकिन सवाल ये है कि क्या इस तरह के अभियान या विज्ञापन से कोई फर्क पड़ेगा? जबकि आरएसएस, विहिप, बजरंग दल और हिंदू महासभा जैसे संगठन लगातार 'घर वापसी' कार्यक्रमों के आयोजन करने की बात कर रहे हैं. धर्मांतरण और 'घर वापसी'  के बीच मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के बीच भरोसा कायम कैसे कर सकती है? एक तरफ तो सरकार अपनी छवि को दुरुस्त करने की कवायद कर रही है और दूसरी तरफ भगवा ब्रिगेड का धर्मांतरण कार्यक्रम बिना किसी रोकटोक के जारी है. ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल उठना लाज़मी है.

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लेखक

परवेज़ सागर परवेज़ सागर @theparvezsagar

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में असोसिएट एडिटर हैं.

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