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Updated: 25 नवम्बर, 2020 07:04 PM
गोपी मनियार
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कोरोना की इस जंग में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता अहमद पटेल , जिन्हें लोग कांग्रेस का चाणक्य भी कहते थे, आज मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की वजह से जिंदगी की जंग हार गये (Ahmed Patel Death). लेकिन अहमद पटेल ने कभी अपनी असली जिंदगी में हारना नहीं सीखा था. अहमद पटेल ने अपने जिंदगी में तीन लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) लड़े जबकि वो 5 बार राज्यसभा (Rajyasabha) से सांसद रहे. पटेल का आखिरी चुनाव 2017 का राज्यसभा का चुनाव था. इस चुनाव को जीतने के लिए अहमद पटेल ने एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा दिया था. उनके सामने बीजेपी के चाणक्य अमित शाह (Amit Shah) थे. कहा ये भी जा सकता है कि तब उस समय बीजेपी के चाणक्य शाह, कांग्रेस के चाणक्य पटेल को हराना चाहते थे. इस पूरे खेल की शुरुआत हुई 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले.

तब शंकरसिंह वाधेला ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया, शंकरसिंह वाधेला के इस्तीफे के बाद कांग्रेस से एक के बाद एक 8 विधायकों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए. हालात ये हो गए कि, अगर अहमद पटेल को जीताना है तो कांग्रेस को अपने विधायकों को सुरक्षीत रखना होगा. 53 विधायकों के साथ आराम से चुनाव जीतने वाली कांग्रेस अपने 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद मुश्किल में थी. 44 वोट जीत के लिए चाहिए थे और कांग्रेस 45 वोट पर आ गयी थी.

Ahmed Patel, Death, Disease, Amit Shah, BJP, Congress, Rajya Sabha2017 में गुजरात में राज्यसभा चुनाव में अमित शाह और अहमद पटेल के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ था

अहमद पटेल लगातार अपने विधायकों को सुरक्षा देने में लगे हुए थे. तो वहीं बीजेपी के खेमे से अमित शाह अपना काम कर रहे थे. आखिरकार वोटिंग का दिन आया तो लोग ये मान कर चल रहे थे की अहमद पटेल ये राज्यसभा चुनाव हार जाएंगे. बीजेपी की फुल प्रूफ तैयारी के सामने कांग्रेस की तैयारी फीकी पड़ रही थी. अमित शाह सुबह से ही अपने विधायकों को एक के बाद एक लेकर आ रहे थे और उनसे वोट डलवा रहे थे.

इस जंग में दोनों ही दिग्गज जीतने के लिए हर वो कोशिश कर रहे थे जो एक डूबते के लिए तिनके के सहारे जैसी थी. अमित शाह की रणनीति और चाणक्य नीति ने अपना पूरा रंग उस वक़्त दिखाया जब कांग्रेस के विधायकों के साथ रिसोर्ट में रहने वाले एक विधायक कमसी भाई ने क्रॉस वोटिंग की और अपना वोट बीजेपी को दे दिया. एनसीपी पहले ही अपना वोट बीजेपी को दे चुकी थी वहीं तब जेडीयू ने भी भाजपा का साथ चुना.

वोटिंग खत्म होने से पहले कांग्रेस के चाणक्य के साथी बन कर शक्तिसिंह गोहिल ने चुनाव आयोग में कम्पलेन दर्ज की जिसके बाद बीजेपी कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग के चक्कर काटने लगे. ये चक्कर काटने का काम रात को 12 बजे तक चला और आखिरकार कांग्रेस के दो पूर्व विधायक जिन्होंने क्रॉस वोट दिया था, वो दोनों वोट रद्द हुए और गिनती हुई तो जेडीयू के छोटुभाई वसावाना ने अपनी दोस्ती निभाते हुए अहमद पटेल को वोट दिया. जीत के लिए 44 वोट चाहिए थे और अहमद पटेल को 44 वोट मिल गये.

अहमद पटेल के व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हे की वो जीत के बाद छोटुभाई वसावाना को नहीं भूले. वो रात के वक्त छोटुभाई वसावाना से खुद मिलने के लिए उनके घऱ पहुंचे और अपने एक वोट के लिए उनका शुक्रिया आदा किया. राजनीति में अहमद पटेल का ये आखरी चुनाव था और शायद राज्यसभा के चुनाव में ये पहला चुनाव जो कि आखरी पल तक काफी दिलचस्प था.

राजनीतिक सूत्रों कि माने तो अमित शाह ये कभी नहीं चाहते थे कि अहमद पटेल राज्यसभा का चुनाव जीतें जिस के लिए उनहोंने काफी महनत भी की, माना जाता है कि, अमित शाह अहमद पटेल को हरा कर सीधा कांग्रेस की जड़ पर वार करना चाहते थे. आज अहमद पटेल भले ही कोरोना के सामने अपनी जंग हार गये हैं, लेकिन वो अपने जीवन में कभी इंसानियत की जंग नहीं हारे, उन्होंने हमेंशा उनका साथ देने वाले लोगों का साथ, आखिरी वक्त तक निभाया.

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गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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