अबकी बार सेल्फी या सेल्फ अटेस्टेड सरकार
सेल्फी की तो खूब चर्चा हो रही है, लेकिन मोदी सरकार की सेल्फ अटेस्टेड व्यवस्था का जिक्र बेहद कम हुआ है.
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सेल्फी की तो खूब चर्चा हो रही है, लेकिन मोदी सरकार की सेल्फ अटेस्टेड व्यवस्था का जिक्र बेहद कम हुआ है. मोदी सरकार ने फिजूल के कानूनों को खत्म करते हुए प्रमाण पत्रों को सेल्फ अटेस्ट यानी स्व-प्रमाणित करने की व्यवस्था लागू की, जिससे कई चीजें सुविधाजनक हो गईं. सरकारी प्रक्रिया से आगे बढ़ कर देखें तो इसका दायरा बहुत व्यापक नजर आता है.
सेल्फ अटेस्टेड... अर्थात्
सेल्फ अटेस्टेड यानी जो व्यक्ति किसी दस्तावेज पर दस्तखत करेगा वो ये स्टेटमेंट दे रहा है कि जो कुछ भी उसमें है वो उसकी जानकारी में पूरी तरह सही है. और इस बात को वो खुद प्रमाणित करता है. कहने का मतलब ये कि जब उसके दावे पर सवाल उठेगा तो वो उसके सपोर्ट में सबूत पेश करेगा. बात जब सबूत की होगी तब देखी जाएगी. 2014 लोक सभा चुनाव के दौरान मोदी ने कहा था कि अगर ब्लैकमनी देश में आ जाए तो हर किसी के खाते में 15 लाख रुपये आ जाएंगे. लोग इसे सेल्फ अटेस्टेड तब तक मानते रहे जब दूसरा सेल्फ अटेस्टेड स्टेटमेंट नहीं आ गया. मोदी की इस बात पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि वो मजह एक चुनावी जुमला था.
जुमले और भी हैं...
'बीफ बैन' को लेकर सुबह सुबह अखबार में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजु का बयान आया... और शाम होते होते वो 'मिसकोटेड' हो गया. वैसे इंडियन एक्सप्रेस ने रिजिजु का ऑडियो अपनी साइट पर डाल दिया है. अब लोग तय करें कि मिसकोटेड का मतलब क्या होता है. क्या नेताओं की बात को ज्यों का त्यों पेश करना ही अब मिसकोटेड कैटेगरी में आ गया है? "आय वॉज मिसकोटेड." शायद ये ताजा ट्रेंड है. किरण रिजिजु ही नहीं, चाहे वो गिरिराज सिंह हों या कोई और... अगर गुंजाइश नहीं बचती तो वो बात जुमला हो जाती है.
"अब भी सरकार को इतना बहुमत नहीं मिला है जितना कोर मुद्दों पर काम करने के लिए चाहिए. आपको मालूम होना चाहिए कि सरकार को इसके लिए 370 सीटें चाहिए. संविधान पढ़ लीजिए."
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का ये बयान सुर्खियों का हिस्सा बना. बाद में उन्होंने इसे भी 'मिसकोटेड' करार दिया.
मोदी मोदी के नारे
अब ये बात सेल्फ अटेस्टेड स्टेमेंट के दायरे में आती है या नहीं ये बहस का विषय हो सकता है. "देश-दुनिया में जहां कहीं भी मोदी गए वहां 'मोदी-मोदी' के नारे लगे." वैसे खबर आई है कि ये सब इवेंट मैनेजमेंट का कमाल है जो बनारस से बीजिंग तक वाया मेडिसन स्क्वायर जगमगाता रहा है.
लाखों में एक... वो सेल्फी
एक टीवी चैनल पर मोदी सरकार के एक साल पूरे होने पर अपने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कमेंट किया: "सरकार चलाने वालों का मन सेल्फी लेने में लगता है. लोगों ने वोट दिया था सेल्फलेस नेतृत्व के लिए और उन्हें मिला सेल्फी नेतृत्व."
नीतीश के इस बयान के राजनीतिक मायने अलग हो सकते हैं. अगर सीधे सीधे शब्दों पर जाए तो अर्थ दूसरा निकलता है. नीतीश का मतलब सेल्फी यानी स्वार्थी से है, क्योंकि आगे उन्होंने सेल्फलेस शब्द का इस्तेमाल किया है. लेकिन मौजूदा दौर में सेल्फी टर्म का अलग मतलब है. खैर, एक बात तो माननी ही पड़ेगी. मोदी ने चीन पहुंच कर सबसे ताकतवर सेल्फी दी. ये सेल्फी सोशल मीडिया पर खूब शेयर हुई.
It's selfie time! Thanks Premier Li. pic.twitter.com/DSCTszSnq3
— Narendra Modi (@narendramodi) May 15, 2015
मोदी के विरोधी जो भी कहें दुनिया इस सेल्फी सरकार की तारीफ करते नहीं थक रही. वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष जिम यॉन्ग किम ने भी एक ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर सराहना की है.
Congratulations, @narendramodi, on one year of visionary steps toward ending poverty in #India. The world needs more leaders like you.
— Jim Yong Kim (@JimKim_WBG) May 26, 2015
सोशल मीडिया पर एक और जुमला खूब चलता है, "न खाता न बही, जो केजरीवाल कहें वही सही". वैसे ये जुमला केजरीवाल ही नहीं हर दूसरे नेता पर लागू होता है. शायद ये नए जमाने का जुमला है. ये सेल्फी, सेल्फलेस और सेल्फ अटेस्टेड किस कैटेगरी में फिट बैठता है वही समझने वाली बात है.

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