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Updated: 03 जून, 2015 06:41 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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बिहार में जनता परिवार का मामला आखिर रुक क्यों गया? वजह वो नहीं है जो बताई गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि प्रस्तावित परिवार के मुख्य अभिभावक मुलायम सिंह यादव ने दूसरे प्रोजेक्ट का काम हाथ में ले लिया - और उसमें व्यस्त हो गए.

बात कुछ ऐसी हुई कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एंटी करप्शन ब्यूरो के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार से बतौर लोन कुछ इमानदार पुलिसवालों की मांग की. जब ये बात एसपी नेता राम गोपाल यादव को पता चली तो उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से चर्चा की. अखिलेश को भी आइडिया अच्छा लगा. फिर दोनों की नजर में नेताजी ही ऐसे लगे जिनके पास इस काम के लिए अनुभव और धैर्य दोनों था लेकिन वो जनता परिवार में व्यस्त थे. रामगोपाल ने कहा कि उस मामले को वो खुद हैंडल कर लेंगे. कुछ ही दिन बाद इस बात की घोषणा कर दी गई कि तकनीकी तौर पर चुनाव से पहले जनता परिवार का खड़ा होना मुश्किल है.

बैंक का ब्लू प्रिंट

तय हुआ कि बैंक का कार्पोरेट ऑफिस लखनऊ में होगा जबकि हेड क्वार्टर्स सैफई में बनाया जाएगा. नाम होगा - उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा बैंक ऑफ इंडिया इंटरनैशनल. अपनी तरह का ये दुनिया का पहला बैंक होगा. दुनिया में आम बैंकों से अलग कुछ ही ऐसे हैं जो प्रचलन से इतर हैं जिनमें बनारस का 'राम रमापति बैंक' और चीन का 'मोरालिटी बैंक' शामिल है. ये पूरी कहानी जल्द ही बिग एफएम पर 'शानदार यूपी की जानदार कहानी' सीरिज में नीलेश मिसरा की आवाज में सुनने को मिलेगी.

कैसा होगा कामकाज

पुलिस बैंक का भी कामकाज एक सामान्य बैंक की ही तरह होगा. फर्क बस ये होगा कि इसमें नोट, चेक या ड्राफ्ट की जगह पुलिसवाले होंगे. यहां भी ब्याज प्रणाली लागू होगी. डिफॉल्टर होने पर जबरन रिकवरी के इंतजाम होंगे.

सुविधाएं और सेवाएं

उत्तर प्रदेश पुलिस बैंक में लोन से लेकर लॉकर तक की सारी सुविधाएं आसानी से मिल पाएंगी. खाता खुलवाने के लिए सरकारी क्लाइंट को निजी क्लाइंट्स की तुलना में ज्यादा औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी.

लोन फैसिलिटी - जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बिहार से छह पुलिसकर्मियों को लोन के रूप में लिया है उसी तरह कोई भी सरकारी महकमा इस सुविधा का लाभ ले सकता है. निजी कंपनियों को भी ये सुविधा उपलब्ध होगी. लोन लेने के लिए सरकार से जुड़े लोगों को अपनी निजी संपत्ति मॉडगेज करनी होगी. ऐसा इसलिए किया गया है कि सरकारी संपत्तियों की रिकवरी में मुश्किल आ सकती है. निजी कंपनियों को इसके लिए सिर्फ प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करना होगा.

लॉकर फैसिलिटी - अगर कोई राज्य अपने पुलिसकर्मियों को लॉकर में रखना चाहता है तो उसे इसके लिए एक निश्चित चार्ज देना होगा. लॉकर की कोई गारंटी बैंक की नहीं होगी. अगर लॉकर से कोई पुलिसकर्मी चोरी हो जाता है या खुद गायब हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी क्लाइंट की होगी. लॉकर के लिए पहले इमारत किराए पर ली जाएगी फिर बैंक की बिल्डिंग तैयार होने पर सब शिफ्ट हो जाएगा.

बैंक अकाउंट - बैंक अकाउंट में पुलिसकर्मी वैसे ही जमा किए जा सकेंगे और निकाले जा सकेंगे जैसे पैसों का मामला होता है. अगर करेंट अकाउंट है तो क्लाइंट को ओवर ड्राफ्ट फैसिलिटी भी मिलेगी. रिकरिंग डिपॉजिट की अलग शर्तें होंगी. हां, फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की दर वैरिएबल होगी. मिसाल के तौर पर अगर बैंक जमा किए गए पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल इंश्योरेंस में करता है और उससे कमाई होती है तो उसका 40 फीसदी क्लाइंट के ब्याज में जोड़ दिया जाएगा.

इंश्योरेंस फैसिलिटी - अगर कोई इस बैंक से इंश्योरेंस कराता है तो सिक्योरिटी गार्ड के रूप में एक पुलिसकर्मी तैनात किया जाएगा. इंश्योरेंस की रकम के हिसाब से सुविधाएं बढ़ या घट सकती हैं जिनमें केन स्टिक के साथ साथ गनर और अत्याधुनिक असलहों से लैस पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात किए जाएंगे. बड़े इंश्योरेंस में टास्क फोर्स और कमांडो ट्रेनिंग वाले पुलिसवाले तैनात किए जाएंगे. ऐसे पुलिसवालों को मोसाद और ऐसी दूसरी एजेंसियों से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी.

कैसे होगी लोन की रिकवरी

लोन डिफॉल्टर के मामलों में बैंक उसकी रिकवरी खुद करेगा. चूंकि ये बैंक ही पुलिसवालों से चलेगा इसलिए किसी अतिरिक्त फोर्स की कोई जरूरत नहीं होगी. रिकवरी टीम तैयार करने के लिए बैंक ने स्कॉटलैंड यार्ड की सेवाएं लेगा. स्कॉटलैंड यार्ड रिकवरी टीम को ट्रेनिंग देगा. अब ट्रेनिंग लखनऊ में होगी या कहीं और ये तय होना बाकी है.

बैंक से संबंधित सारे विवादों का निपटारा सैफई की ओपन फास्ट ट्रैक कोर्ट में ही होगा. फिलहाल उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त के पास ही इस कोर्ट का अतिरिक्त प्रभार है. बैंक की सुविधाएं सरकारी विभागों, निजी कंपनियों और व्यक्तियों के अलावा विदेशी क्लाइंट्स के लिए भी बगैर भेदभाव के उपलब्ध होंगी. बैंक का हर चीज अनोखा है, सिवा स्लोगन के - ऋणम् कृत्वा घृतम् पिबेत्.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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