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Updated: 05 अक्टूबर, 2016 03:47 PM
पीयूष पांडे
पीयूष पांडे
  @pandeypiyush07
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गंदा है पर धंधा है. या धंधा ही गंदा है. या बंदा ही गंदा है. या बंदा ही धंधा गंदा किए है. कुल मिलाकर कंफ्यूजन बहुत है. लेकिन सच यही है कि राजनीति गंदा-गंदा कहते हुए भी धंधा जोरदार है. 

विडंबना सिर्फ यह है कि इस क्षेत्र में नाम और दाम की असीम संभावनाएं हैं. इतनी संभावनाएं कि मुहल्ले का चिरकुट नेता भी अपनी मेहनत और जुगाड़ के बूते सात पुश्तों के लिए मर्सिडीज-ऑडी-साऊथ एक्स में बंगला और बिजनस क्लास में हवाई सफर का पूरा इंतजाम अपने जीते-जी कर सकता है,  उस क्षेत्र में कायदे का कोई रोजगारपरक कोर्स नहीं है. विश्वविद्यालयों में राजनीति शास्त्र तो पढ़ाया जाता है लेकिन राजनीति सिखायी नहीं जाती. या कहें व्यवहारिक राजनीति सिखाने वाला कोई कोर्स नहीं है.

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प्रतिस्पर्धी का टिकट कैसे काटें? ईवीएम में गड़बड़ी कैसे करें? दंगा भड़काने वाले बयान कैसे दिए जाएं? आलाकमान को सेट कैसे करें? कितने करोड़ के घोटाले में कितना कमीशन किसका होगा यानी घपलेबाजी का पूरा फ्लोचार्ट कैसे बनाएं? भ्रष्टाचार के प्रति निष्ठा रखते हुए जुबान से सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी की बात कैसे करें? संसद-विधानसभा में बिना बात के कैसे हंगामा मचाएं? जूता कैसे चलाएं और खुद पर जूता चलने की अवस्था में कैसे बचाव करें? स्याही से मुंह काला करने वालों से कैसे बचें? 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसे राष्ट्रीय मुद्दे पर कैसे राजनीति फैलाएं? ऐसे तमाम व्यवहारिक सवाल हैं, जिन्हें राजनीति में इच्छुक जाने के विद्यार्थियों को कहीं सिखाया नहीं जा रहा.

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मन लगाकर की पढ़ाई तो अव्वल आने की गारंटी

चूंकि, ये कहीं नहीं लिखा कि अच्छा खिलाड़ी ही अच्छा गुरु होगा या अच्छा गुरु ही अच्छा खिलाड़ी प्रशिक्षित कर सकता है तो मैंने भी बिना राजनीति किए राजनीति के क्षेत्र में इच्छुक युवाओं के लिए कोर्स कंटेंट तैयार करने की ठानी है. फिर मैं उस लेखक से भी

खासा प्रभावित हूं, जिसने अकेले 15 दिन में खुद ही 30 दिन में गिटार कैसे बजाएं, 30 दिन में हारमोनियम कैसे बजाएं, 30 दिन में तबला कैसे बजाए, बांगो, मैंड्रोलिन कैसे बजाएं, अंग्रेजी कैसे सीखें, खाना पकाना कैसे सीखें जैसे तमाम किताबें लिख मारी हैं, और सारी किताबें रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर धुआंधार बिक रही हैं.

फिलहाल, मैंने उस महान लेखक से प्रभावित होकर राजनीति में जाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए नया ककहरा तैयार किया है. बच्चों को बचपन में ही यह ककहरा सिखा दिया जाए तो गारंटी है कि वो कुछ बनें न बनें लेकिन राजनेता जरुर बनेंगे.

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तो अब ध्यान से पढ़िए और अपने बच्चों को भी सिखाइए-

अ  असहिष्णुता

आ  आतंकवाद-आरक्षण

इ   इस्तीफा

ई   ईवीएम-ईमानदारी   

उ   उपलब्धि

ऊ   ऊना 

ए   एकात्म मानववाद 

ऐ   ऐडॉल्फ हिटलर 

ओ  ओछा  

औ  औरत

अं  अंटी

अः 

ऋ 

ॠ 

ऌ 

ॡ 

 

व्यंजन :- 

 

क   कुर्सी-कश्मीर-कमीशन 

ख  खंजर 

ग  गोरक्षक-गाय-गूगल-गंगा 

घ  घोटाला 

च  चोर-चिंतन-चर्च-चारा 

छ  छापा

ज  जूता-जाति 

झ  झंडा   

ट  टिकट

ठ  ठरकी  

ड  डंडा

ढ ढक्कन 

ण (ड़, ढ़)

त  तोड़फोड़   

थ  थाना

द  दलित-दावा-दंगा 

ध  धरना-धंधा 

न  नक्सली  

प  पुलिस  

फ  फेसबुक

ब  ब्राह्मण-बम

भ  भ्रष्टाचार

म  मुसलमान

य  यादव 

र  रिश्वत

ल  लोकतंत्र 

व  वोट-वादा

श  शराब

ष  षड्यंत्र   

स सत्ता-सेक्स-सीबीआई-संसद-संघ-सूखा-सेल्फी

ह हंगामा 

क्ष क्षत्रप    

त्र  त्राहि-त्रासदी

ज्ञ ज्ञापन

वैसे, इस ककहरे को अभी अंतिम रुप दिया जाना बाकी है. सर्जिकल स्ट्राइक के दौर में कुछ नए शब्द जोड़े जा सकते हैं. आप लोग भी अपनी राय दीजिए. किरपा आएगी !

लेखक

पीयूष पांडे पीयूष पांडे @pandeypiyush07

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और व्यंगकार हैं.

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