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Updated: 11 अगस्त, 2015 06:24 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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अन्ना हजारे आज कल खफा चल रहे हैं. ताजा ताजा वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खफा हैं. अन्ना की शिकायत है कि प्रधानमंत्री मोदी उनकी चिट्ठियों का जवाब या तो नहीं देते या फिर बेहद 'शॉर्ट रिप्लाई' देकर किनारा कर लेते हैं.

मोदी से तो भले मनमोहन

प्रधानमंत्री की मन की बात से भी अन्ना को निराशा ही हाथ लगी है, अन्ना का कहना है कि मोदी से अच्छे तो मनमोहन ही थे, "पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भले ही चुप रहते थे, लेकिन वो जवाब विस्तार से देते थे."

पहले अन्ना को लगा कि पुराने मसलों की वजह से मोदी टाल जाते हैं. इसलिए अन्ना अब न तो भ्रष्टाचार के मामले पर चिट्ठी लिखते हैं - और न ही जनलोकपाल की मांग करते हैं.

"लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हम देश के सामने ज्वलंत मुद्दों पर प्रधानमंत्री से सवाल करना छोड़ दें?" अन्ना पलट कर सवाल करते हैं.

अन्ना ने अपने कुछ पत्र और उन पर मोदी के जवाब हमे उपलब्ध कराए हैं. यहां हम अन्ना के पत्रों के मुख्य अंश और उन पर मोदी के जवाब दे रहे हैं.

पोर्न बैन क्यों?

ये पोर्न बैन का क्या मतलब है? आप लोगों से उनकी आजादी कैसे छीन सकते हैं? आजादी ही तो हमारे देश की खूबसूरती है. आजादी की सालगिरह की पूर्व संध्या पर आप उनकी आजादी से कैसे खिलवाड़ कर सकते हैं? देश ने आजादी की लड़ाई लड़ी. हमने आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ी. कहीं न कहीं आप भी हमारी लड़ाई की बदौलत ही कुर्सी पर पहुंचे हैं. अगर फिर आजादी के खिलाफ कोई खिलवाड़ होगा तो फिर से मैं जंतर मंतर पर धरने पर बैठ जाऊंगा.

आप मेरी सलाह मानिये. जमाने के साथ चलने की कोशिश कीजिए. हमारे जमाने के दिन लद चुके हैं.

मोदी का जवाब : जी, माफ कीजिए.

पहले डीएनए टेस्ट

लोक सभा चुनाव के दौरान आप जहां जहां गए खुद को वहीं से कनेक्ट कर दिया करते रहे. खुद को उन्हीं के बीच का बताया. अब ये क्या तरीका है? आपने तो बिहार से भी खुद को जोड़ा था. अगर आप खुद को उस तरह जोड़ते हैं तो आपका डीएनए कैसे अलग हुआ. क्या नीतीश और लालू के डीएनए में कोई फर्क दिखता है आपको. हमें तो नहीं दिखता? नीतीश ने तो आपको बिहार के ही अपमान तक मान कर छोड़ दिया. मैं तो कहना चाहता हूं की डीएनए की बात कर आपने देश का अपमान किया है. मैं खुद इससे देश की ओर से आहत हुआ हूं. लेकिन इस बारे में अपनी राय मैं अपना डीएनए टेस्ट कराने के बाद ही दे पाउंगा.

मोदी का जवाब : जी, अच्छी बात है.

फांसी क्यों?

देखिए, अब जो होना था हो गया. इसीलिए ये पत्र मैं याकूब मेमन की फांसी के बाद लिख रहा हूं. फांसी पर मैं निजी राय की बात नहीं कर रहा. क्योंकि मैं भी आप ही की तरह पुराने स्कूल का आदमी जो ठहरा. आप बात बात पर खुद को हाईटेक जताते रहते हैं. इसके लिए भी कोई हाइटेक तरीका क्यों नहीं निकालते. और जब तक ऐसा कोई उपाय नहीं सूझ रहा तब तक क्यों नहीं फांसी पर रोक लगा देते. सांप भी मर जाएगा और लाठी भी बच जाएगी. 'सांप' का नाम मैंने किसी के लिए नहीं लिया है बस आपकी ही तरह 'कुत्ते के पिल्ले' वाला मुहावरा दोहराया है. समझ गए ना, कि नहीं?

मोदी का जवाब : जी, नो कमेंट्स.

सेल्फी अभियान क्यों नहीं?

आपने कई कानूनों को खत्म किया. डॉक्युमेंट्स अटेस्ट कराने के मामलों में सेल्फ अटेस्ट करने को मान्यता दे दी. अब सिग्नेचर की जगह भी सेल्फी लागू कर दीजिए. आप साक्षरता अभियान खत्म कर सेल्फी अभियान क्यों नहीं चला देते. फिर साक्षरता अभियान की जरूरत अपने आप खत्म हो जाएगी. देश कम से कम इस मामले में 100 फीसदी उपलब्धि हासिल कर लेगा.

मोदी का जवाब : जी, आइडिया अच्छा है.

सपना या हकीकत?

एक दिन मै सपना देख रहा था. उस वक्त आप कहीं विदेश में भाषण दे रहे थे. आपने ने कुछ ऐसा कहा, 'जैसे अब लोगों को भारत में पैदा होने पर गर्व महसूस होता है जबकि पहले ऐसा नहीं था'.

क्या ये आपकी निजी राय है? क्या आपने खुद भी ऐसा महसूस किया है? अगर ये निजी राय है तो प्रधानमंत्री बनने से पहले या बाद की? प्लीज कंफर्म करें कि मैं सपना ही देख रहा था या आपने वाकई कहीं ये बात बोली थी?

मैं जानना चाहता हूं. बल्कि, देश जानना चाहता है.

मोदी का जवाब : जी, लेकिन जवाब नहीं है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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