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Updated: 23 मई, 2015 09:39 AM
जितेंद्र कुमार
जितेंद्र कुमार
  @JeetuJourno
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7 समंदर पार तक 18 देशों की यात्रा भले ही नरेंद्र मोदी कर चुके हों लेकिन आज तक पड़ोस में पाकिस्तान नहीं गए हैं. इसका राज आज मुख़्तार अब्बास नक़वी ने खोल दिया है. उनके अनुसार जिसे बीफ खाना हो वो पाकिस्तान जाकर बीफ खा सकता है. ऐसा लगता है पाकिस्तान जाकर बस एक ही काम है बीफ खाना. इसलिए मोदी जी पाकिस्तान नहीं जाते. अगर गए होते तो नक़वी साहब के बयान के बाद उन पर भी बीफ खाने का आरोप लग गया होता.

लेकिन बीफ तो जर्मनी में भी मिलता है और अमेरिका में भी. विश्व के कुल बीफ उत्पादन का 19% अकेले अमरीका में पैदा होता है. नक़वी साहब ने पाकिस्तान जाने की ही बात क्यों की. जर्मनी या अमेरिका क्यों नहीं. जिसके पास इतना पैसा है कि बीफ खाने के लिए पाकिस्तान का टिकट कटाए वो पास में ईरान भी तो जा सकता है. दक्षिण कोरिया जहां अभी हाल में मोदी जी गए थे वहां का बीफ से बनने वाला हानु तो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. आखिर मुक्तेश्वर प्रसाद नक़वी साहब ने दक्षिण कोरिया का नाम क्यों नहीं लिया.

लोग भले ही नक़वी साहब पर सांप्रदायिक होकर पाकिस्तान का नाम लेने का आरोप लगाएं, लेकिन दर हकीकत वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव कर रहे थे. कल को कोई ये न कह दे कि मोदी जी भी तो कोरिया हो कर आए हैं. कोरिया में भी ढोकला फाफड़ा मिलता होगा.

उन्होंने कभी ये नहीं कहा कि पाकिस्तान जाकर लाहौर की गलियां देखिए. मोहनजोदड़ो के अवशेष देखिए. भगत सिंह का घर देखिए. गुलाम अली के कॉन्सर्ट में जाइए. पेशावर का वाल्मीकि मंदिर देखिए. कहा भी तो बस जाकर बीफ खाने के लिए. खाने पीने का मुकाबला हमारे लखनऊ का भला और किसी से हो सकता है.

खैर. 9 की लकड़ी 90 ढुलाई. इस मुहावरे का अर्थ नक़वी साहब के मुंह खोलने के बाद ही समझ आया है. कोई 40 रुपये के बीफ कोरमे की प्लेट खाने के लिए लाख रूपये से ज्यादा की टिकट खरीदे. अब तो वहां से पैक करवाकर लाना भी मुश्किल है.

वैसे अभी भी भारत बीफ उत्पादन के मामले में विश्व में पांचवे नंबर पर है. इतना विदेशी मुद्रा इसके निर्यात से आती है. ऐसा नहीं है कि भारतीय निर्यात व्यापार को नुकसान पहुंचाने के लिए उन्होंने कोई बात कही. नक़वी साहब ने उत्पादन पर नहीं बस उसके उपभोग के बारे में बातें कही है.  अब तक इस देश से केवल बीफ का निर्यात तो होता ही आया है, अब इसी को आगे बढ़ाते हुए वे खाने वालों का भी निर्यात करना चाह रहे हैं. हो सकता है कि जैसे जन धन और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाओं से लोगों के साथ साथ बैंकों की हालत सुधरने वाली है, उसी तरह एयर इंडिया की माली हालत सुधारने के उद्देश्य से भी नक़वी साहब ने ये बात कही हो. विमान कंपनियों को यात्री मिल जायेंगे और यात्रियों को बीफ कबाब. एक तीर से दो शिकार, और गोश्त खाने वालों के पेट में.  

लेकिन उस बात की वैल्यू ही क्या जिसका विरोध न हो. केरल तो रहा ही कम्युनिस्टों के असर में है. क्या फर्क पड़ता है जब वहां के ब्राह्मण बीफ खाने की बात करें. वहां के लोग बीफ खाने के लिए पाकिस्तान जाने की इतनी जरूरी बात का विरोध करेंगे ये तो लाजिम ही था. लेकिन नक़वी साहब की बात का असर तब दिखा जब मेघालय के भाजपा कार्यालय से ही विरोध होने लगा. मेघालय नागालैंड समेत सभी उत्तर-पूर्व के राज्य अब तक भारत में रहकर ही बीफ खाते आए हैं. भले ही दिल्ली में वहां के निवासियों पर नस्ली हिंसाएं होती रही हों, लेकिन सेवन सिस्टर्स के नाम से मशहूर ये राज्य भारत का अभिन्न अंग रहे हैं. ऐसे में नक़वी साहब की बात का ख्याल रखते हुए, वहां एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जायेगा जहाँ से सीधे पाकिस्तान के लिए उड़ान भरी जा सकें.

कई प्रवासी भारतीयों में भी दुःख की लहर है. विदेशों में बीफ बर्गर, हैम्बर्गर, सब कुछ उन्हें मिलता है लेकिन फिर भी केवल पाकिस्तान के लोगों को ही अतिथियों का स्वागत करने का मौका मिलेगा. वो भी तब जब उन्होंने मैडिसन स्क्वायर जैसी जगहों पर मोदीजी के लिए खूब तालियां बजाईं थी. इस वजह से वहां के लोगो ने इस बयान को भेदभावपूर्ण बताया है.

अंततः नक़वी साहब के इस बयान से मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, मिजोरम के भाजपा इकाई में पाकिस्तान जाने के विचार पैदा हो जाने का डर है. अभी हाल में ही जब अमित शाह मेघालय में गए थे, वहां उनके कार्यक्रम के वेन्यू पर ही लोगों ने बीफ पार्टी कर अपना विरोध जताया था.

मैं भी पैसा जमा कर रहा हूँ, ताकि मेरा दोस्त किसी दिन पाकिस्तान जा सके. खुद से तो वो बेचारा इतना जमा भी नहीं कर सकता.

#मुख्तार अब्बास नकवी, #बयान, #विवाद, नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, पाकिस्तान

लेखक

जितेंद्र कुमार जितेंद्र कुमार @jeetujourno

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप (डिजिटल) की वेबसाइट आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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