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Updated: 11 मई, 2015 12:32 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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'कांग्रेचुलेशंस... जया बेन...'

पटाखों के भारी शोरगुल के बीच जयललिता के मोबाइल की घंटी बजी. कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद ये पहली कॉल थी. कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

'थैंक्स'. रस्म अदायगी में बोलना था इसलिए जयललिता ने बोल दिया. सोचा, शशि होगी, लेकिन इसकी आवाज को क्या हुआ? अगले ही पल मन में एक साथ कई सवाल गूंजने लगे.

आखिर वो 'बेन' क्यों बोलेगी? कहीं ये आनंदी बेन पटेल तो नहीं? अभी उधेड़बुन चल ही रही थी कि तस्वीर साफ हो गई.

'मायावती बोल रही हूं. आपने तो सोचा भी नहीं होगा. फैसले के बाद पहली कॉल मेरी होगी, बहुत बहुत बधाई हो बहन,' दूसरी तरफ से बात का सिलसिला जारी था, 'अभी-अभी मैंने आईपैड पर फोर्ब्स की साइट देखी तो सबसे ऊपर तुम्हारा नाम है. नीचे नोट लिखा है - नेक्स्ट कवर स्टोरी ऑन जयललिता : कैसे जया ने अंबानी और सांघवी को पीछे छोड़ा.' 'कमाल है - तूने तो सबको भी पीछे छोड़ दिया. मतलब अब तेरे सारे महंगे सामान - आय के स्रोत के दायरे में हैं! कमाल है!'

'बाकियों का तो नहीं जानती. पर मुंबई के बाद मेरी नजर सीधे बेंगलुरू पर थी. मुझे पता था. जब एक बच्चा कमाल कर सकता है, तो आप तो अम्मा हो,' जयललिता के हूं-हां के बीच मायावती बोले जा रही थीं, 'पर मैं तो बेन तूने तो... आखिर कैसे मैनेज किया... ओ पन्नीरसेल्वम?'

'ओके... ओके... थैंक्स अ लॉट... विल स्पीक टू यू लेटर... ' और फोन डिस्टकनेक्ट हो गया. फिर क्या था, मायावती का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. 'इसकी मजाल.' स्वामी प्रसाद मौर्या चुपचाप कुर्सी से थोड़ी दूर खड़े थे. दोबारा फोन मिलाया और थमा दिया.

'बेन इतना मत इतराओ... कहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को किनारे लगा दिया तो... सारा इतराना धरा का धरा रह जाएगा... और फिर से तुम्हें पन्नीरसेल्वम को कुर्सी सौंपनी पड़ेगी.' मायावती चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थीं. गुस्से में आवाज और ऊंची होती जा रही थी.

'अब वो कुर्सी पर बैठने के बाद अगर इस बार मांझी बन गया या फिर भूल जाना कि वो तुम्हारी सैंडल रख कर वित्त मंत्रालय से शासन चलाएगा.'

'ऐम सॉरी... ऐम सॉरी...' अब मायावती सुनने को तैयार न थीं. तभी मौर्या ने अपने टैबलेट पर एक खबर दिखाई जिसमें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने वो जनहित याचिका मंजूर कर ली है जिसमें देश के नेताओं से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के सारे मामलों की फिर से समीक्षा की गुजारिश की गई है - और जल्द ही उसके लिए एसआईटी बनाए जाने की संभावना है. खबर का इतना तेज असर हुआ कि मायावती नॉर्मल हो गईं. लहजा भी बदल गया. इस बार जयललिता फोन पर बनी हुई थीं.

'मैं तो अपने को ही किस्मतवाली मानती थी. तू तो नसीबवाली निकली बेन.'

'ओह... न्नो. बस.'

'भाई साहेब से मेरी भी बात करो न बेन... '

'हेलो... हेलो...' पटाखों का शोर शबाब पर पहुंच चुका था. मौका भी था दस्तूर भी. जानबूझ कर या अपनेआप - चाहे जैसे फोन कट चुका था.

अचानक मायावती की नजर टीवी स्क्रीन पर पड़ी. स्क्रॉल चल रहा था - स्वीडन के सुप्रीम कोर्ट ने जूलियन असांज की अपील खारिज की. सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की...

'बहन जी... फोन नहीं लग रहा... लगता है साहेब बाहर हैं... रिकॉर्डेड मैसेज में भी पता नहीं क्या बोल रही है. समझ में नहीं आ रहा..,' स्वामी प्रसाद मौर्या ने चांदी का एक बड़ा गिलास बढ़ाते हुए कहा. एयर कंडीशंड कमरे में भी एक झटके में पूरा गिलास खाली हो गया. फौरन ही उन्होंने दूसरे गिलास के लिए बाहर आवाज लगाई. तभी इशारा हुआ. मौर्या फौरन बाहर निकल गए. दरवाजा बंद हो गया. क्लिक.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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