व्यंग्य : अगर अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री होते
पीएम और पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए बनी एसपीजी सुरक्षा खत्म. अन्ना हजारे आजीवन लोकपाल मनोनीत. लालकृष्ण आडवाणी डिप्टी प्राइम मिनिस्टर... ये सब कुछ विजन डॉक्युमेंट में है. आप खुद पढ़ें, ज्यादा क्लियर होगा...
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"वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे." दिल्ली सरकार का ये विज्ञापन बस यूं ही नहीं आया है.
इस विज्ञापन में ये भी कहा गया है कि 'जो कहा सो किया'. इसका मतलब ये है कि मिशन पूरा हो गया. अब नए मिशन की तैयारी है.
शॉर्ट टर्म पोल
'आप' ने देश में शॉर्ट टर्म पोल यानी अल्पावधि चुनाव कराने की मांग की है. अब तक विपक्षी दल 'मिड टर्म पोल' यानी मध्यावधि चुनाव की बात करते रहे हैं. केजरीवाल नए तरीके की राजनीति करते हैं इसलिए अल्पावधि चुनाव की मांग कर रहे हैं. हुआ ये कि केजरीवाल को पता चला कि कांग्रेस ने एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार किया है जिसमें सरकार को घेर कर ऐसी स्थिति में लाने की तरकीबें तैयार की गई हैं कि देश में मध्यावधि चुनाव कराने पड़े. ये पता लगते ही केजरीवाल ने फटाफट एक विजन डॉक्युमेंट तैयार कराया और उसे जारी कर दिया.
घर वापसी कार्यक्रम
इसके साथ ही केजरीवाल ने कुमार विश्वास को घर वापसी कार्यक्रम का मुखिया बनाया था. विश्वास ने आशीष खेतान और आशुतोष के साथ तमाम मोलभाव करके आप से खदेड़े गए या छोड़ कर बाहर गए लोगों को मना कर वापस बुलाया. अब फिर से पूरी टीम साथ हो गई है.
दिलचस्प बात ये है कि अब अन्ना हजारे टीम केजरीवाल का हिस्सा हो गए हैं. रामलीला आंदोलन के दौरान केजरीवाल टीम अन्ना का हिस्सा रहे.
आप का विजन डॉक्युमेंट
आम आदमी पार्टी की ओर से जो विजन डॉक्युमेंट तैयार किया गया है उसमें बताया गया है कि अगर नरेंद्र मोदी की जगह अरविंद केजरीवाल होते तो वो क्या क्या करते. ये विजन डॉक्युमेंट इतना विशाल है कि अगर 20 लोगों की टीम को उसे पढ़ने के लिए लगाई जाए तो कम से कम उसमें 355 दिन लगेंगे, वो भी तब जब लोग रोजाना कम से कम 12 घंटे लगातार उसका अध्ययन करें.
आम आदमी की इसी मुश्किल को आसान करने के लिए विजन डॉक्युमेंट के कुछ खास बिंदुओं को यहां दिया जा रहा है.
अगर केजरीवाल प्रधानमंत्री होते तो...
1. सबसे पहले तो अन्ना हजारे को आजीवन लोकपाल मनोनीत करते. अन्ना की मदद के लिए एक टीम बनाते जिसमें शांति भूषण, जस्टिस संतोष हेगड़े, आनंद कुमार को शामिल करते.
2. फिर लालकृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल से बाइज्जत बुलाकर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बनाते. आडवाणी को इसका पुराना अनुभव भी है.
3. उसके बाद आडवाणी को सलाह देते कि वो शाजिया इल्मी को मानव संसाधन विकास मंत्री का जिम्मा सौंप दें और स्वाती मालीवाल को विदेश मंत्री बना लें.
4. बतौर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की इफ्तार पार्टी में जरूर जाते. वहां भी टोपी लगाकर फोटो खिंचवाते और लगातार ट्वीट करते. कोशिश तो जादू की झप्पी की भी होती, बशर्ते महामहिम को ये मंजूर होता.
5. पीएम और पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए बनी एसपीजी सुरक्षा केजरीवाल चार्ज लेते ही खत्म कर देते. केजरीवाल इसके लिए 'भगवान' पर भरोसा करने की सलाह देते. केजरीवाल ने, असल में, अपने लाइसेंसी रिवॉल्वर का नाम 'भगवान' रखा हुआ है.
6. संसद में कोई हंगामा नहीं हो पाता. विरोधियों से कैसे निपटा जाता है प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव इस बात की मिसाल हैं. जिस तरह मार्शलों ने दिल्ली विधानसभा में हंगामा कर रहे बीजेपी विधायकों को धक्का देकर बाहर कर दिया केजरीवाल सरकार में कांग्रेस सांसदों के साथ भी वैसा ही ट्रीटमेंट होता. जैसे 3 वैसे 44.
7. खुद ही इस्तीफे की इतनी बार धमकी दे चुके होते कि विपक्ष शायद ही कभी मंत्रियों या प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगने के बारे में सोचता या हिम्मत जुटा पाता.
8. किरण बेदी से कुमार विश्वास के वादे पर अमल करते. बेदी से दोस्ती की गुंजाइश इस बिना पर हो पाई कि केजरीवाल उनकी पुरानी ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं. इसके तहत एक ऑर्डिनेंस लाकर केजरीवाल दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को दिल्ली का 'एक्स-ऑफिशियो' उप राज्यपाल बना देते. फिर दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के पद पर किरण बेदी की नियुक्ति होती. चुनाव हार जाने के चलते किरण बेदी मुख्यमंत्री तो नहीं बन पाईं लेकिन अब दिल्ली का 'पूर्ण शासन' उनके हाथ में होता.
9. वापस आने पर योगेंद्र यादव को मंगल ग्रह की शासन व्यवस्था का अध्ययन करने को भेज देते. बाद में उनकी रिपोर्ट पर वहां चुनाव लड़ने और सरकार बनाने की कोशिश में जुट जाते.
10. अगले चुनाव से पहले नजीब जंग को राष्ट्रपति बनवा देते, ताकि जिस किसी की भी सरकार आए उसे पता चले कि सरकार चलाने के लिए कौन सी जंग लड़नी पड़ती है.

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