व्यंग्य: लोकपाल आएगा, बंद हो सकता है स्टिंग ऑपरेशन
विशेषज्ञों की टीम तो महज राय देगी, एसीबी का असल काम तो रोबोट करेगा. दिल्ली सरकार ने इसके लिए जर्मनी की एक कंपनी से करार किया है.
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केजरीवाल के दरबार में देर है, अंधेर नहीं है. ये दावा है आम आदमी पार्टी प्रवक्ता आशुतोष का. एक प्रेस कांफ्रेंस में आशुतोष ने कहा कि दिल्ली में निश्चित रूप से लोकपाल आएगा. लोकपाल के लिए दिल्ली सरकार ने सारी तैयारियां कर ली हैं. आशुतोष ने लोकपाल का ब्लू प्रिंट शेयर किया है.
पहले एसीबी पर जोर
फर्स्ट फेज में एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) को ताकतवर बनाने पर जोर रहेगा. एसीबी के कामकाज का ड्राफ्ट वही है जो सिविल सोसायटी ने तैयार किया था. शुरुआती कामकाज के लिए उसे बिहार से अफसर मिल रहे हैं. वैसे भी केजरीवाल की राह कभी आसान तो होती नहीं. एक तरफ यूपी सरकार ने अपने पुलिस अफसर देने से इनकार कर दिया तो दूसरी तरफ बिहार पुलिस के एक अफसर ने भी एसीबी ज्वाइन करने से मना कर दिया. यूपी सरकार की मनाही के पीछे वजह पुलिस बैंक बताया जा रहा है. हो सकता है जल्द ही यूपी सरकार अपने पुलिस बैंक से कुछ अफसर बतौर लोन दिल्ली सरकार को दे दे.
एसीबी की ताकत बढ़ाएंगे
एसीबी की ताकत बढ़ाने के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक कमेटी का गठन कर दिया है जिसके कोआर्डिनेटर आशीष खेतान होंगे. पीआर का काम आशुतोष देखेंगे. इस कमेटी में जरनैल सिंह को भी खासतौर पर रखा गया है. तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम पर जूता फेंकने को लेकर चर्चित हुए जरनैल सिंह को पहली बार ऐसी अहम जिम्मेदारी दी गई है. बताते हैं कि संजय सिंह भी कमेटी में शामिल होना चाहते थे लेकिन सिसोदिया ने उनकी रिक्वेस्ट खारिज कर दी. कमेटी का काम से एसीबी के लिए एक्सर्ट की टीम तैयार करना. इस टीम में सीनियर वकील, रिटायर हो चुके पुलिस अफसर और साइबर विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा.
एसीबी की कार्यप्रणाली
विशेषज्ञों की टीम तो महज राय देगी, एसीबी का असल काम तो रोबोट करेगा. दिल्ली सरकार ने इसके लिए जर्मनी की एक कंपनी से करार किया है. रोबोट तैयार करने में जरूरत पड़ी तो महंगे से महंगा प्रोफेशनल हायर किया जा सकता है. दिल्ली सरकार ने कंपनी को साफ कर दिया है कि वो पैसे की चिंता न करे बस सिस्टम फुल-प्रूफ बनाए जिसमें टैंपरिंग की कोई गुंजाइश न बचे.
आशुतोष के मुताबिक ये रोबोट ही एक तरह से एसीबी का फंशनल चीफ होगा. रोबोट की प्रोग्रामिंग में सभी एक्सपर्ट की राय जमा कर दी जाएगी और फिर वो खुद अपने तरीके से उसका विश्लेषण करेगा. अगर उसे किसी की राय पर संदेह होगा तो उसका इंस्टैंट लाइ डिटेक्शन टेस्ट भी करेगा. इस टेस्ट का तरीका भी बेहद आसान है. टेस्ट के लिए उस एक्सपर्ट का मोबाइल नंबर डायल किया जाएगा. मोबाइल पर एक वेरीफिकेशन कोड भेजा जाएगा. अगर वो कोड बता देगा तो उसे सही माना जाएगा अन्यथा गलत. एक खास तकनीक से तैयार वो कोड आंखों को तभी दिखाई देगा जब इंसान सच बोल रहा हो.
रोबोट की राह में मुश्किलें
रोबोट की कुछ और भी खासियत है. मसलन वो पूरी तरह ट्रांसपेरेंट होगा. उसे कहीं भी रखा जाए किसी को दिखाई नहीं देगा. इसके साथ ही रोबोट से कनेक्टेड कुछ इनविजिबल ड्रोन भी होंगे. इन ड्रोन में कैमरे लगे होंगे. वे जहां भी चाहेंगे बेधड़क आ जा सकेंगे और हर तरह की गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे. ऐसे ड्रोन का फायदा ये होगा कि स्टिंग ऑपरेशन की जरूरत खत्म हो जाएगी.
अब मुश्किल ये है कि ड्रोन का इस्तेमाल बगैर केंद्र सरकार के परमिशन के नहीं हो सकता. अगर केंद्र की परमिशन नहीं मिलती तो सिर्फ रोबोट से ही काम चलाना पड़ेगा. लोकपाल बनेगा कैसे?
टीम केजरीवाल ने इसका सबसे आसान रास्ता खोज लिया है. हालांकि, ये सब 67 सीटों की बदौलत ही मुमकिन हो पा रहा है. पिछली बार तो प्रस्ताव पास करना ही सबसे बड़ा चैलेंज था. जब एसीबी ठीक से काम करने लगेगा तो सरकार पहले लोकायुक्त को भंग करेगी. फिर एसीबी का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा. दिल्ली सरकार को इतना अधिकार तो है कि एक प्रस्ताव पास करके वो नाम बदल सके. नाम बदलते ही लोकपाल अस्तित्व में आ जाएगा.
एक बात तो माननी पड़ेगी आइडिया के मामले में केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसी मायने में कम नहीं है. देश और दिल्ली दोनों के लिए इससे बड़ी नसीब वाली बात और क्या हो सकती है.
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