New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 25 जून, 2015 03:14 PM
  • Total Shares

राहुल बाबा, अखिलेश भैया और स्मृति दीदी! सबको प्रणाम. राजनीति आपकी अलग हो सकती है, लोग आपको पार्टी के स्तर पर बांट कर देख सकते हैं... लेकिन मैं आप तीनों के विराट हृदय से वाकिफ हूं. दल-गत राजनीति से ऊपर उठ चुका FAN कह सकते हैं मुझे आप. आपके दिलों में समाज कल्याण का ऐसा भाव कि पूछिए मत... ओह-ओह.   

उत्तर प्रदेश के एक गरीब मजदूर के दो बेटे IIT में घुसने वाली परीक्षा पास कर लेते हैं. 'गरीबी रेखा' पार कर आप तीनों ही एकदम से उनके दिल के करीब पहुंच जाते हैं. बधाइयां, फीस माफ, लैपटॉप... दनादन. अरे हां, आप सब ने सिर्फ 'गरीबी रेखा' ही नहीं, 'दलिती रेखा' भी पार की. काहे कि गरीब तो और भी हैं, जो इस साल IIT में घुसने जा रहे हैं!!! गरीबी और दलिती दोनों रेखाओं को लांघने की आप तीनों की जिद ही मुझे आपका FAN बना देती है.

मुझे FAN से AC बनना है. बस एक काम और करवा दीजिए पालनहार - आग लगवा दीजिए. दलितों के घर पत्थर फेंकने वालों से बोल उनके घर आग लगवा दीजिए!!! अरे चिंता न करें, यह दलितों के हित में होगा. बस आपके कहने भर की देरी है. 'लोग' तैयार बैठे पड़े हैं. जिस दिन ऐसा होगा, समाज में एक क्रांति होगी, जन कल्याण होगा. भारत फिर से सोने की चिड़िया बनेगी और 'अच्छे दिन' तो खैर आएंगे ही.    

अब देखिए न 'नेता-ए-हिंद'! दो भाई पढ़ाई करते हैं, मेहनत वाली पढ़ाई. IIT में जाने वाले हैं. उनके बाबूजी मजदूर हैं लेकिन साथ में दलित हैं. अब यह तो नाइंसाफी है न! मजदूर का बेटा IIT में जाए, सीना 56 इंच का हो जाएगा, लेकिन जाति तो अगड़ी होनी चाहिए न. ये क्या बात हुई कि आप दलित हैं और IIT में भी जाएंगे. न्यूज चैनल और अखबार में नजर आएंगे? ऐसे तो समाज बिगड़ जाएगा न! इसलिए इनके घर पर पत्थर फेंके गए.

कोई नई घटना नहीं है. पहले से होता आया है. आगे भी होता रहेगा. लेकिन इससे हो कुछ नहीं रहा है. समाधान जीरो, समस्या जस की तस. इसका समूल नाश होना अति आवश्यक है. आग! हां, मेरी नजर में आग ही समाधान है. पत्थर के कारण ये बार-बार सिर उठाते हैं. आग से सब खाक. और हां, इन्हें भी ज्यादा तकलीफ नहीं होगी. पत्थर दर्द देता है. आग तो इन्हें मुक्ति ही देगी. न रहेंगे ये, न होगा IIT का टंटा और न बजेगा न्यूज का घंटा! सब तरफ शांति ही शांति होगी.     

अब आप कहेंगे कि ऐसे 'महान' समाजिक काम को राजनेताओं से क्यों करवाने पर तुले हो? अरे जनाब, समाज आप पर ही टिका हुआ है. यह आप लोगों की ही क्षमता है कि चुनावों में अगड़ी-पिछड़ी, बड़ी-छोटी जातियों से लेकर दलित, महादलित जैसे 'शानदार' शब्द लेकर आते हैं. क्रिएटिव तो आप लोग ही हैं माई-बाप! बस ई आग वाली क्रिएटिविटी और करा दीजिए... भारतवर्ष सदैव आपके अहसानों तले दबा रहेगा.

#दलित, #गांधी जी, #गरीब, दलित, आईआईटी, गरीब

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय