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Updated: 18 जुलाई, 2015 12:27 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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न्यूयॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्टर को बिहार चुनाव कवर करने का असाइनमेंट मिला हुआ था. बिहार की राजनीति पर रिसर्च में गूगल की मदद ली तो पता चला 'मांझी'  सबसे ज्यादा सर्च किया गया है. ये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए था. जब उसने लेटेस्ट ट्रेंड जानने की कोशिश की तो फिर मांझी ही सबसे ज्यादा सर्च किया गया था. लेकिन ये सर्च दशरथ मांझी के लिए था. पहाड़ तोड़ कर अकेले लंबी-चौड़ी सड़क बना देने वाले दशरथ मांझी पर केतन मेहता ने फिल्म बनाई है जो जल्द ही रिलीज होने वाली है. इसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मांझी का रोल निभाया है.

इंटरव्यू के लिए रिपोर्टर ने कुछ लोकल कॉन्टैक्ट से संपर्क किया जिससे मांझी का नंबर मिल गया. बात होते ही मांझी ने इंटरव्यू के लिए टाइम दे दिया.

दोनों की बातचीत में एक ही बाधा थी. भाषा की बाधा. कहीं गलत मैसेज न जाए कि मांझी को अंग्रेजी नहीं आती इसलिए उन्होंने इंटरप्रेटर लेने से साफ तौर पर मना कर दिया. संयोगवश रिपोर्टर ने भी हाल ही में यूआन यूनिवर्सिटी से तीन महीने का हिंदी सर्टिफिकेट कोर्स किया था इसलिए उसने भी इंटरप्रेटर की जरूरत नहीं समझी.

मांझी इंटरव्यू के लिए पहले ही तैयार होकर बैठ गए थे. तय समय पर रिपोर्टर भी पहुंच गया. फिर इंटरव्यू शुरू हुआ.
 
रिपोर्टर - आपने इतना बड़ा चमत्कार किया कैसे?
मांझी - पेशेंस, करेज. (मांझी समझे वो नीतीश कुमार को चुनौती देने के बारे में पूछ रहा है.)
 
रिपोर्टर - तो ये मोहब्बत थी जिसकी ताकत से आपने कमाल कर दिया.
मांझी - बिलकुल. (हालांकि, मांझी का मतलब जनता के प्यार से रहा.)
 
पत्रकार - ग्रेट. बट यू लुक स्टिल यंग!
मांझी - ये तो बस... (बालों पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराते हैं.)
 
पत्रकार - आपके दांत बहुत सुंदर हैं.
मांझी - हां, मोदी जी ने भी यही बात कही थी. इसी बात पर तो हमारा गठबंधन हो गया.
 
पत्रकार - नवाजुद्दीन ने बेहतरीन भूमिका निभाई है...
मांझी - अरे उसी के बूते तो मैंने नीतीश कुमार को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिए. (ऐक्सेंट अलग होने से मांझी को नाम नहीं समझ में आया. उन्हें लगा रिपोर्टर किसी समर्थक का नाम ले रहा होगा)
 
पत्रकार - नीतीश! इसमें नीतीश का भी रोल है?
मांझी - ल... वही तो विलेन है. असली विलेन.
 
पत्रकार - ओके, ओके... मैं भी देखना चाहूंगा.
मांझी - बिलकुल... उसे तो देखे बिना जाइएगा भी मत.
 
मजे की बात ये कि इंटरव्यू पूरा भी हो गया और न तो मांझी और न ही रिपोर्टर किसी को सचाई की भनक लग पाई. खुलासा तब हुआ जब फोटो एडिटर पेज चेक कर रहा था. सिर्फ वही एक ऐसा शख्स था जिसके पकड़ में ये बात आई कि दोनों मांझी अलग अलग हैं. अफरातफरी के बीच इंटरव्यू हटाकर सोनिया की इफ्तार पार्टी की खबर लगाई गई.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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