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Updated: 07 अप्रिल, 2017 08:17 PM
रिम्मी कुमारी
रिम्मी कुमारी
  @sharma.rimmi
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इसमें कोई शक नहीं कि हर जिम्मेदार नागरिक को ईमानदारी से इनकम टैक्स भरना चाहिए. और ये बहुत ही गलत बात है अगर कोई टैक्स बचाने के लिए फर्जी रेंट एग्रीमेंट की रसीद जमा करता है. लेकिन अब मोदी जी को कौन बताए कि एक सामान्य नौकरीपेशा टैक्स भरने वाले इंसान के पास यही कुछ तरीके थे जिनसे गाढ़ी कमाई के कुछ पैसों को वो बचा सकता था. अब सरकार ने इसी 'अमीर' वर्ग को अच्छे से तोड़ने के लिए फर्जी रेंट एग्रीमेंट जमा करने पर नकेल तो कस ही दी है साथ ही जीएसटी के जरिए किराए को टैक्स के अंतर्गत लाकर दोहरी मार दे दी है.

इनकम टैक्स बचाने के लिए फर्जी रेंट एग्रीमेंट जमा करने की 'परंपरा' सालों से चली आ रही है. एक तरीके से कहें तो हमारे देश में ये ऐसा सीक्रेट है जो सभी को पता होता है. अगर कोई अपने पिता के साथ रह रहा है तो भी रेंट एग्रीमेंट बनाकर जमा कर सकता है. लेकिन अब ये सब बंद होने वाला है. हाल ही में न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार अब जब भी आप रेंट रसीद जमा करेंगे तो आयकर विभाग मकान-मालिक के साथ समझौते या सोसाइटी के नोटिस का प्रमाण मांग सकता है.

जो लोग किसी तरह का घालमेल नहीं करके किराए की ओरिजिनल रसीद जमा करते हैं उनके लिए तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जो लोग अब तक नकली रसीद जमा कर रहे थे उनके लिए दिक्कत है. इनकम टैक्स का आकलन करने वाले अधिकारी चाहें तो आपके रसीद के सच्चाई की जांच करने के लिए रेंट रसीद पर दिए गए पते पर जांच के लिए जा सकते हैं.

income_040717074043.jpgनहीं दे सकते फेक रेंट एग्रीमेंट

सीनियर टैक्स एडवाइजर दिलीप लखानी ने इस फैसले के बारे में कहा कि- 'आईटीएटी (आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल) के इस फैसले ने अब आकलन अधिकारी के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. अधिकारी अब चाहें तो नौकरीपेशा कर्मचारी के दावे पर विचार करने के साथ साथ जरूरत पड़ने पर इसकी जांच भी कर सकता है. इससे सैलेरी उठाने वाले लोगों पर टैक्स अदा करने का दायित्व बढ़ेगा और टैक्स में छूट पाने के लिए वो गलत तरीक नहीं अपनाएंगे.

तो मुद्दे की बात ये है कि आज तक अगर आप अपना टैक्स बचाने के लिए नकली रेंट एग्रीमेंट या ऐसी कोई रसीद जमा करते आ रहे थे तो फिर खबरदार हो जाएं. इसके साथ अब और भी सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट जमा करने पड़ेंगे. कुछ लोगों के लिए फिर भी अभी कुछ विकल्प बचे होंगे लेकिन अगर आप इसके आदि हैं तो दिक्कत होना तय है.

खैर बात चाहे जो भी हो मेरा मोदी जी से एक ही सवाल है कि आखिर जो उनको 'दे' रहा है वो उनकी ही 'लेने' के पीछे आखिर क्यों पड़े हैं. विजय माल्या जैसे बड़े-बड़े उद्योगपतियों को हजार तरीके छूट देते हैं. किसानों के कर्ज भी माफ कर दिए जाते हैं, हमें इस सबसे कोई दिक्कत नहीं है. आप उद्योगपतियों को बढ़ावा देते हैं उन्‍हें सस्‍ते लोन देकर, और गरीबों का ख्‍याल रखते हैं उनके कर्जे माफ क‍रके. लेकिन मिडिल क्‍लास ने क्‍या बिगाड़ा है, यह भी बता दीजिए ? आखिर हमने ही आपकी कौन सी भईसिया खोल ली है जो ना जीने दे रहे हैं ना घर में रहने.

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लेखक

रिम्मी कुमारी रिम्मी कुमारी @sharma.rimmi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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