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Updated: 06 मई, 2015 07:42 AM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
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कॉर्पोरेट दुनिया में राहुल यादव का नाम एक ऐसे तेजतर्रार युवा के लिए ख्यात है, जिसने दो साल के भीतर housing.com को एक नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया. इस दौरान कंपनी के पास 130 मिलियन डॉलर का निवेश आया. आईआईटी बॉम्बे की 2012 बैच के पासआउट राहुल इस कंपनी की ड्राइविंग सीट पर थे. लेकिन, एक पल ऐसा आया, जब उन्हें लगा कि कंपनी के डायरेक्टर और इन्वेस्टर्स उनके राय के मुताबिक नहीं चल रहे हैं तो तत्काल इस्तीफा दे दिया. और उसमें ऐसा कुछ लिखा, जिसे विवादास्पद कहा जा रहा है. पढि़ए, राहुल का इस्तीफा-

प्रिय बोर्ड मेंबर और इन्वेस्टर्स,

मैं नहीं समझता कि आप लोग एक तर्कसंगत चर्चा करने के लिए बौद्धिक रूप से सक्षम हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ मेरी एक सोच है, बल्कि इसे मैं आपके मुंह पर साबित कर सकता हूं. मैंने बहुत पहले एक गणना की थी (औसत उम्र में से यदि सोने के औसत समय को घटा दिया जाए) तो मेरे पास जीवन में 3 लाख घंटे हैं. और ये 3 लाख घंटे मैं आप लोगों के साथ व्यर्थ नहीं करना चाहता.

तो कंपनी के डायरेक्टर, चेयरमैन और सीईओ के पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं 7 दिनों तक और यहां हूं ताकि इन पदों पर नई नियुक्ति में मदद कर सकूं. इससे ज्यादा और समय नहीं दूंगा. तो इस दौरान पूरी क्षमता से काम करें.

चियर्स,

राहुल

गलतियां बर्दाश्त नहीं: एक इंटरव्यू में राहुल ने कहा था कि उनका मिजाज लाउड है. वे गलतियों और खामियों को बर्दाश्त नहीं करते हैं. चीजों को देखने का उनका अंदाज आम लोगों से थोड़ा अलग है और वे उस पर अपनी एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया भी देते हैं. बचपन से ही. जैसे, ट्रेनें गंदी क्यों हैं? लोग मेहनत से काम क्यों नहीं करते? हॉस्टल गंदें क्यों हैं? यहां सब टूटा-फूटा क्यों है? ये लोग समझते क्यों नहीं? वगैरह-वगैरह.

#कॉर्पोरेट, #इस्तीफा, #सीईओ, कॉर्पोरेट, इस्तीफा, सीईओ

लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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