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Updated: 19 सितम्बर, 2018 08:24 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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किसी जमाने में देश की टेलिकॉम कंपनियों को बिजनेस का पाठ पढ़ाने वाली कंपनी जल्द ही गुजरा कल बनकर रह जाएगी. 2002 में जब मोबाइल फोन एक लग्जरी चीज हुआ करती थी, उस दौरान इस कंपनी ने महज 500 रुपए में लोगों को मोबाइल उपलब्ध करवा कर टेलिकॉम इंडस्ट्री की सूरत ही बदल दी थी. यहां बात हो रही है रिलायंस कम्युनिकेशन की. रिलायंस के कारोबार में बंटवारे के बाद इस कंपनी की कमान अनिल अंबानी संभाल रहे थे. बुरी तरह से कर्ज में डूबे अनिल अंबानी ने अब फैसला किया है कि रिलायंस कम्युनिकेशन अब दूरसंचार के बिजनेस से पूरी तरह से बाहर हो जाएगी.

देखा जाए तो इसकी वजह है उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो. जब सितंबर 2016 में रिलायंस जियो ने बाजार में कदम रखा, तभी से विरोधी कंपनियों की नींद उड़ी हुई है. एक के बाद एक शानदार ऑफर्स देकर जियो ने बाजार के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. अब तो हालात ये हो गए हैं कि भाई अनिल अंबानी ने दूरसंचार का बिजनेस ही छोड़ दिया. इसकी घोषणा अनिल अंबानी ने कंपनी की 14वीं एजीएम (एनुअल जनरल मीटिंग) में की.

रिलायंस जियो, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, दूरसंचारअनिल अंबानी ने फैसला किया है कि रिलायंस कम्युनिकेशन अब दूरसंचार के बिजनेस से पूरी तरह से बाहर हो जाएगी.

हमेशा अंबानी ने ही पैदा की है खलबली

पहले 2002 में और फिर 2016 में. दोनों ही बार अंबानी ने ही टेलिकॉम के बाजार में खलबली मचाई और ग्राहकों को फायदे पहुंचाने का काम किया. पहले 2002 में रिलायंस कम्युनिकेशन ने महज 500 रुपए का फोन और बेहद सस्ती कॉल के ऑफर लेकर बाजार में आया. देखते ही देखते वह बाजार में छा गया और विरोधी कंपनियों को भी कॉल रेट कम करने पर मजबूर होना पड़ा. आपको बता दें कि उस समय मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी अलग नहीं हुए थे और तब भी टेलिकॉम बिजनेस के पीछे मुकेश अंबानी का ही दिमाग था.

अब 2016 मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो लॉन्च की और एक बार फिर से बाजार में हलचल पैदा हो गई. कॉल करना तो सबसे लिए बिल्कुल फ्री हो गया और बेहद महंगा डेटा भी काफी सस्ते दामों में मिलने लगा. एक बार फिर अन्य कंपनियों को अंबानी का ट्रेंड ही फॉलो करना पड़ा. ये सब यहीं नहीं रुका. साल भर में ही मुकेश अंबानी ने 500 रुपए में जियो फोन लॉन्च कर दिया, जिसके बाद कई विरोधी कंपनियों ने भी उन्हें कॉपी किया. जब-जब अंबानी ने टेलिकॉम सेक्टर में कोई घोषणा की, तब-तब ग्राहकों को तगड़ा फायदा हुआ. दूरसंचार बिजनेस से बाहर निकलने की घोषणा करते वक्त अनिल अंबानी भी कह चुके हैं कि हो सकता है आने वाले समय में टेलिकॉम पर एक ही कंपनी का अधिकार हो जाए.

'बर्बाद' हो गए अनिल अंबानी?

अगर सिर्फ दूरसंचार बिजनेस की बात करें... तो हां... अनिल अंबानी का ये बिजनेस बर्बाद हो गया. खैर, इसे उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने सहारा दे दिया है और उनका सारा बिजनेस खरीद भी लिया है. हाल ही में करीब 3000 करोड़ रुपए के फाइबर असेट भी मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी से खरीदे हैं. पिछले साल ही रिलायंस कम्युनिकेश ने अपने वायरलेस बिजनेस को बंद कर दिया था और अपने कर्ज को कम करने के लिए वायरलेस बिजनेस की सभी संपत्तियों को रिलायंस जियो को बेच दिया था. अनिल अंबानी का एक बिजनेस तो बर्बाद हो गया, लेकिन मुकेश अंबानी की मदद से उन्हें इसकी संपत्तियां बेचकर कापी सारा पैसा भी मिल गया. इस पैसे का इस्तेमाल वह अपना 46,000 करोड़ रुपए का कर्ज कम करने में करेंगे.

अनिल अंबानी एजीएम के दौरान यह भी कह चुके हैं कि इस इंडस्ट्री में फिलहाल गलाकाट प्रतियोगिता हो रही है, जिसके चलते आने वाले समय में एकाधिकार के हालात पैदा हो सकते हैं. यहां आपको बताते चलें कि यूनीनॉर, एयरसेल जैसे छोटे ऑपरेटरों ने तो पहले ही टेलिकॉम इंडस्ट्री से तौबा कर ली है. बड़ी कंपनियों में भी आइडिया और वोडाफोन मर्जर करने जा रही हैं. लेकिन इस पूरी कवायद में सस्ते से सस्ता ऑफर ग्राहक को देना होगा. प्राइस वॉर ने पहले ही टेलिकॉम इंडस्ट्री को तहस-नहस कर दिया है और ऐसे में अगर एक दिन सिर्फ जियो के हाथ में पूरी टेलिकॉम इंडस्ट्री हो, तो भी हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए.

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