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Updated: 26 मई, 2016 12:36 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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मोदी सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं. प्रिंट, टेलिवीजन और सोशल मीडिया पर इन दो साल का ब्यौरा कई अंदाज में दिया जा रहा है. कहीं प्रतिक्रिया पढ़कर आपको लगेगा कि यह किसी मोदी भक्त की है या फिर कोई प्रतिक्रिया मोदी विरोधी लगेगी. कुछ प्रतिक्रयाओं में विरोध की भावना ज्यादा प्रभावी दिखेगी या कुछ में अंधभक्ति का आपको अहसास मिलेगा. इन सबके बीच मोदी सरकार में प्रधानमंत्री सहित कई आला मंत्री भी इन्हीं माध्यमों के जरिए अपने-अपने रिपोर्ट कार्ड का अपना पक्ष रखते दिखाई देंगे. लिहाजा, ऐसे में केन्द्र सरकार का वास्तविक आंकलन करने के लिए हमें कुछ ऐसे आंकड़ों को देखना होगा जो सरकार के विरोधी और अंधभक्तों के लिए समान है. मसलन दो साल के अहम आर्थिक आंकड़े.

1. आर्थिक विकास- बीते दो साल के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी के ऊपर रही है. वहीं पिछली मनमोहन सिंह सरकार के आखिरी दो साल के दौरान विकास दर 5.6 और 6.6 फीसदी क्रमश: रहा.

2. वित्तीय घाटा- दो साल के शाषन में मोदी सरकार ने वित्तीय घाटे पर लगाम लगाया है. मोदी सरकार के पहले साल वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान वित्तीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 4.1 फीसदी था वहीं दूसरे साल वित्त वर्ष 2015-16 वित्त वर्ष में यह महज 3.9 फीसदी रहा. वहीं मनमोहन सिंह के आखिरी दो साल के दौरान वित्तीय घाटा 4.4 से 4.9 फीसदी के बीच स्थित था.

3. थोक महंगाई दर- अपने दो साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने थोक महंगाई दर पर लगाम लगाने में सफलता पाई. जहां मोदी सरकार के पहले साल में महंगाई दर में 2 फीसदी बढ़त दर्ज हुई थी वहीं अपने दूसरे साल में सरकार इसे कम करने में सफल रही है. वहीं मनमोहन सिंह कार्यकाल के आखिरी दो वर्षों में (2012-14) थोक महंगाई 6 से 7 फीसदी के उच्च स्तर पर थी.

4. खुदरा महंगाई दर- मोदी सरकार ने दो साल के दौरान खुदरा महंगाई दर को 6 फीसदी के नीचे लाने में सफलता दर्ज की है जबकि मनमोहन सरकार के अंतिम दो वर्षों में यह महंगाई दर 9 फीसदी के ऊपर बनी हुई थी.

5. चालू खाता घाटा- मोदी सरकार के बीते दो साल के दौरान देश का चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.3 से 1.4 फीसदी के दायरे में रहा. वहीं मनमोहन सिंह के कार्काल में 2013-14 में यह घाटा 1.7 फीसदी था और 2012-13 में यह जीडीपी का 4.8 फीसदी था.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का दो साल पूरा

6. विदेशी व्यापार (आयात और निर्यात)- विदेशी व्यापार के लिहाज से मोदी सरकार के बीते दो साल अच्छी खबर नहीं दे रहे हैं. सरकार के लगातार दूसरे साल में निर्यात में गिरावट दर्ज हुई है. मार्च 2014 में जहां निर्यात में 4 फीसदी की ग्रोथ थी वहीं मार्च 2016 में निर्यात लगभग 16 फीसदी गिर चुका है. इसके साथ ही आयात में भी गिरावट दर्ज हुई है जिसके चलते कुल व्यापार घाटा में गिरावट दिखाई दे रही है. सरकार को घरेलू छेत्र में कमजोर मांग की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

7. विदेशी और घरेलू निवेश- बीते दो साल के दौरान मोदी सरकार को बढ़ते विदेशी निवेश (एफडीआई) से बड़ा सहारा मिला है. लेकिन इस दौरान घरेलू निवेश के प्रस्ताव में लगातार गिरावट दर्ज हुई है. इस स्थिति में सरकार को घरेलू इंडस्ट्री से निकट भविष्य में किसी बड़े निवेश की उम्मीद कम है.

8. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद)- मोदी सरकार के दूसरे साल में 31 मार्च को आए जीडीपी आंकड़े 7.6 फीसदी पर पहुंच गए. इस छलांग से भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन से तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया. वहीं मनमोहन सिंह सरकार के आखिरी वित्त वर्ष में जीडीपी विकास 6.6 फीसदी रहा.

9. सर्विस और मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई- पीएमआई या पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अर्थव्यवस्था में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के स्वास्थ को दर्शाता है. मनमोहन सरकार में सर्विस पीएमआई आखिरी एक साल के दौरान सामान्य इंडेक्स 50 से लगातार नीचे रहा. वहीं मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से इस इंडेक्स में लगातार (जून-जुलाई 2015 को छोड़कर) इजाफा देखने को मिला है. नए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2016 में देश का सर्विस पीएमआई 53.7 पर स्थित है. इसके उलट मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई में गिरावट देखने को मिल रही है, हालांकि मई 2014 के बाद से यह इंडेक्स लगातार 50 के सामान्य स्तर के ऊपर बना रहा(दिसंबर 2015 को छोड़कर).

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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