क्या देश में 'स्वदेशी' ई-कॉमर्स अभियान के पीछे रिलायंस है?
सरकार की नई ई-कॉमर्स नीति का ड्राफ्ट रिलायंस के ई-कॉमर्स के क्षेत्र में उतरने के फैसले का स्वागत कर रही है. बेशुमार दौलत और जियो का विशाल डेटाबेस अमेजन को स्वदेशी ताकत का एहसास कराने के लिए बेकरार है.
-
Total Shares
कॉर्पोरेट की दुनिया में एक कहावत प्रचलित है कि पहले खेल का हिस्सा बनो और उसके बाद खेल के सारे नियम ही बदल दो. भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी पर ये कहावत बिलकुल सटीक बैठती है. जियो के साथ टेलीकॉम सेक्टर में खलबली मचाने वाले मुकेश अंबानी अब ई-कॉमर्स क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने जा रहे हैं. उनके एलान भर से ही इस क्षेत्र के पुराने खिलाड़ियों में भगदड़ की स्थिति बनी हुई है.
रिलायंस ई- कॉमर्स का सबसे बड़ा स्वदेशी प्लेयर साबित हो सकता है.
इधर रिलायंस ने ई-कॉमर्स सेक्टर में उतरने का एलान किया और उधर सरकार ने देश में नई ई-कॉमर्स पॉलिसी लाने की घोषणा कर दी. नई पॉलिसी का ड्राफ्ट देश के ई-कॉमर्स सेक्टर के दो बड़े खिलाड़ी अमेजॉन और फ्लिपकार्ट की मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं. एक तो रिलायंस जैसी कंपनी जिसके पास अथाह धन और जियो के रूप में विशाल यूजर मौजूद है और उसके बाद सरकार की नई पॉलिसी ने दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
भारत में ई-कॉमर्स का बाजार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक 2028 तक इसके 200 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. देश में फिलहाल ई-कॉमर्स के 70 फीसदी मार्केट पर अमेजॉन और फ्लिपकार्ट का कब्जा है. लेकिन रिलायंस के इस क्षेत्र में उतरने के बाद अब लड़ाई दिलचस्प हो गयी है. नई नीति के अनुसार भारत में फॉरेन फंडिंग प्राप्त करने वाली कंपनियों के लिए हालात अब बदलने वाले हैं. जिन कंपनियों ने विदेशी निवेशकों से फंडिंग प्राप्त किया है उन्हें भारत में वेयरहाउस खोलने की इजाजत नहीं होगी. नई नीति के अनुसार कंपनियां अपने सेलर्स के जरिये भी वेयरहाउस का संचालन नहीं कर पाएंगी.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक वेयरहाउस के नहीं होने का सीधा असर कंपनियों के सप्लाई-चेन पर पड़ेगा. ऐसे में कंपनियों के लिए डिस्काउंट और भारी सेल लगाना मुश्किल हो जायेगा. अगर सरकार ने ड्राफ्ट की नीतियों को यथास्थिति रखते हुए लागू कर दिया तो अमेजॉन को सबसे बड़ी टक्कर रिलायंस से मिलेगी. वालमार्ट ने हाल ही में ई-कॉमर्स की सबसे बड़ी स्वदेशी कंपनी फ्लिपकार्ट में 77% हिस्सेदारी खरीदी जिसे देश का अब तक का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स डील कहा जाता है.16 अरब डॉलर की डील पर इठलाने के बाद फ्लिपकार्ट की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
रिलायंस भारत की सबसे बड़ी कंपनी है. बेशुमार धन होने के कारण रिलायंस को विदेशी निवेशकों की कोई जरुरत नहीं है. जियो की सफलता के बाद मुकेश अंबानी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है. कंपनी के पास जिओ के रूप में 21 करोड़ यूजर मौजूद हैं जिसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के विस्तार के लिए कर सकती है. कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाश रही है.
ई- कॉमर्स में उतरने से पहले जियो का लांच होना मुकेश अंबानी के सुनियोजित प्लान का हिस्सा लगता है. ई-कॉमर्स की सफलता के दो मजबूत स्तम्भ हाई स्पीड इंटरनेट और यूजर डेटाबेस रिलायंस की सफलता के कारण हो सकते हैं. अगर सरकार अपने ड्राफ्ट को लागू करती है तो रिलायंस भारत के ई- कॉमर्स सेक्टर का सबसे बड़ा स्वदेशी प्लेयर बन सकता है.
कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न- आईचौक)
ये भी पढ़ें -
ऐसे 6 स्टार्टअप जिन्होंने भारतीय जीवन शैली को दिए नए आयाम
Netflix, Amazon और Youtube इस्तेमाल करने वालों के लिए काम की ट्रिक्स
ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर नए नियम लोगों का दिल तोड़ सकते हैं
आपकी राय