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Updated: 29 अप्रिल, 2015 03:26 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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एक्टर जहां कहीं भी होता है - एक्टर ही होता है. स्टार जहां कहीं भी होता है - स्टार ही होता है. रील लाइफ में - और रीयल लाइफ में फासला जो भी हो - फर्क सिर्फ पर्दा भर ही होता है.

सलमान खान जोधपुर की अदालत में हाजिर थे. बतौर आरोपी कोर्ट के कठघरे में. आरोप, आरोपों के पक्ष में गवाह और सबूत - और उस पर सफाई. ये सारी अदालती कार्यवाही वैसे ही चल रही थी, जैसे कि चलनी चाहिए. आरोपों की बात चली तो सलमान ने खुद को बेकसूर बताया. बात उनके खिलाफ गवाहों के बयान की हुई तो उसे भी सलमान ने झूठा करार दिया.

फिर सवाल. सलमान की जाति को लेकर सवाल पूछा गया. एक ऐसा सवाल जिसके जवाब में सलमान के पास पहले से कोई स्क्रिप्ट नहीं थी. सवाल का जवाब कैसे देना है? इसके लिए डायरेक्टर ने भी कुछ नहीं बताया था. अदालत में डायरेक्टर बचाव पक्ष का वकील होता है. ये सवाल शायद वकील के दिमाग में भी न आया हो. फिर सलमान के दिमाग में आने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता.

"इंडियन", बताने की बारी आई तो सलमान ने यही अपनी यही जाति बताई. एक जवाब जो स्वत: स्फूर्त था. जवाब जो अंदर के कलाकार ने कहा. लेकिन बात बनी नहीं."इंडियन?" जज ने कहा ये तो कोई जाति नहीं हुई. वैसे भी जिस मुल्क में जातियां जड़ों तक गहरी हों, वहां कोई नाम लीक से हटकर सुनाई दे तो हैरानी तो होगी ही. यहां तो हर जाति का एक नाम है. हर जाति की एक कैटेगरी है. हर जाति के लिए कुछ न कुछ आरक्षित है. अगर किसी जाति के लिए कुछ आरक्षित नहीं है तो वो जगह है सिर्फ अदालत. कम से कम कानूनी प्रक्रिया के मामले में तो सभी बराबर हैं - सब इंडियन हैं. सलमान का भी यही जवाब था. फिर भी बात नहीं बनी."मैं हिंदू-मुसलमान हूं"बात अब भी नहीं बनी. बल्कि, और कंफ्यूजन होने लगा, लाजिमी है. जहां बात बात पर हिंदु और मुसलमानों की अलग अलग बात होती हो. हिंदुओं को कोई साध्वी तो कोई महाराज या ऐसे कई और - हर रोज नया मंत्र थोपने पर आमादा हो. मुसलमानों को कोई ओवैसी या वैसे ही कई और सलाहियत की लंबी चौड़ी फेहरिस्त थमा रहे हों. फिर ये क्या फ्यूजन है? ये फ्यूजन है या पूरा का पूरा कंफ्यूजन है? बात बननी तो दूर - ये तो और उलझ गई.

सवाल वही था. जवाब भी वही होता. मगर अब तो डिटेल चाहिए था. सलमान ने डायलॉग बोल दिया था. शब्दों का अर्थ भी अबूझ नहीं था, फिर भी सलमान से ही समझना जरूरी था.

"मेरे पिता मुसलमान हैं, और मां हिंदू."

कहते हैं कोई भी एक्टर स्क्रिप्ट के हिसाब से एक्टिंग करता है. लिख कर जो डायलॉग मिलता है उसे बोल देता है. कोरियोग्राफर के बताए स्टेप्स पर डांस करता है. और डायरेक्टर जैसे चाहता है हर एक्टर उसके इशारों पर नचाता है. एक्टिंग भी शायद सोलो परफॉर्मेंस नहीं है, एक्टिंग भी एक टीम वर्क है. इसमें कभी ड्युएट की नोक झोंक दिखती है, तो कभी फ्यूजन की तरह सब कुछ घुला-मिला नजर आता है. ऐसा भी होता है जब सब कुछ परकशन जैसा समवेत स्वर गूंजने लगता है. अगर शौके दीदार हो तो शायद सारा का सारा ऐब्सट्रैक्ट में भी देखा जा सकता है.

सलमान ने जो जाति बताई वो अनोखी भले लगे, लेकिन ऐसा हरगिज नहीं है. किसी भारतीय की जाति आखिर और क्या हो सकती है. सलमान ने तो वही बोला जो अंदर से आवाज आई, 'मेरी जाति इंडियन है यानी हिंदू-मुसलमान.'

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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