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Updated: 05 जुलाई, 2022 07:29 PM
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सलमान खान-शाहरुख खान लंबे वक्त से बॉक्स ऑफिस पर 'बर्बादी' का सामना कर रहे हैं. दोनों की कई बड़े बजट की फ़िल्में औंधे मुंह गिरी हैं. कभी दोनों सितारों के नाम की तूती बोलती थी. दबदबा भी कुछ ऐसा था कि हर निर्माता नोटों से खचाखच भरे ब्रीफकेस लेकर घंटों इंतज़ार करता था. जिस दिन दोनों सितारों की फिल्म रिलीज होनी होती थी, दूसरे सितारे और उनके निर्माता- डरवश फ़िल्में हटा लेते थे. कौन देखने आएगा. फ्लॉप हो जाएगी. लेकिन कहते हैं कि सफलता की बुलंदी देखने वालों को जमीन पर भी गिरना पड़ता है. हालांकि दोनों सितारे जमीन पर तो नहीं कहे जा सकते लेकिन सिनेमाघरों में पुराना रुतबा गायब है. टिकट खिड़की पर दर्शकों की कतार अब नहीं लगती.

यशराज फिल्म्स भी लगातार असफलताओं का सामना कर रहा है. यहां तक कि अक्षय कुमार जैसा 'सुपरहिट' सितारे की सम्राट पृथ्वीराज जैसी फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह बैठ जाती है. अगर सलमान-शाहरुख के करियर को देखें तो यशराज फिल्म्स का हाल, खान सितारों से कुछ अलग नहीं है. हालांकि यशराज को इन्हीं खान सितारों पर बहुत भरोसा है. सलमान के साथ यशराज की टाइगर 3 तैयार है. वहीं शाहरुख की पठान भी बन चुकी है. इस बीच नई खबर यह है कि यशराज ने दोनों सितारों की 'ताकत' को एक साथ भुना कर सक्सेस का नया फ़ॉर्मूला गढ़ने की कोशिश में लगे हैं.

यशराज के पास शाहरुख सलमान को लेकर है एक गजब की कहानी

खबरें हैं कि आदित्य चोपड़ा ने दोनों सितारों को साथ लेकर हिंदी में आई अब तक की सबसे बड़ी एक्शन एंटरटेनर की कहानी लिखी है. आदित्य चोपड़ा को यकीन है कि टाइगर 3 और पठान के बाद यही वह फिल्म साबित होगी जो ना सिर्फ शाहरुख-सलमान बल्कि उनके बैनर के भी अच्छे दिन वापस ला देगी. हालांकि बॉडी डबल्स के साथ बूढ़े हो चुके सितारों के फर्जी एक्शन सीक्वेंस देखकर दर्शक बुरी तरह उकता चुके हैं. राधे योर मोस्ट वॉन्टेड भाई में 55 साल के सलमान को 35 के नौजवान के रूप में देख कर दर्शक शरमा रहे थे. लोगों ने तो यहां तक कहा कि सलमान को अब ये सब बंद करना चाहिए. कुछ चीजें उम्र के साथ ही ठीक लगती हैं. लेकिन सलमान और उनके निर्माता अलग सोचते हैं. शायद दोनों को लगता है कि सलमान भाई सम्पादन की कलाकारी में धूम-धडाम कर सकते हैं. वैसे रजनीकांत कर सकते हैं तो इन दोनों के भी करने में कोई फर्क नहीं. फिर हिट क्यों नहीं हो रहे प्रशन परेशान करता है. आखिर में बड़ा सवाल यही बचता है कि अगर दो बूढ़े सितारे साथ आ भी गए तो क्या वे कामयाबी का कोई फ़ॉर्मूला गढ़ पाएंगे?

salman srk yrf सलमान खान और शाहरुख खान.

सोशल मीडिया पर यशराज से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर जो हलचल है- उसमें कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि सलमान-शाहरुख के साथ अगर यशराज आमिर खान को भी लेकर आ जाए, बावजूद गारंटी नहीं दी जा सकती कि यशराज फिल्म्स सफलता हासिल ही कर ले. एक धड़ा तो कह रहा कि बॉलीवुड अंधी रेस के लिए वह भी बिना तैयारी के, मशहूर है. इधर के सालों इमं दक्षिण की एक्शन फ़िल्में जिस तरह से लगातार सुपरहिट हुईं, कुछ निर्माताओं को लग रहा कि 'मास एंटरटेनिंग' और धूम धड़ाका ही दक्षिण की सफलता का फ़ॉर्मूला है. जबकि दक्षिण की सफलता के पीछे 'मास एंटरटेनिंग' के अलावा भी चीजें हैं. बॉलीवुड की फ़िल्में अभी भी जिस ढर्रे पर आ रही हैं, उन्हें देखकर नहीं लगता कि हिंदी के निर्माताओं ने कोई सबक लिया है.

लोगों का कहना है कि अगर यशराज जैसे निर्माताओं ने अपनी सफलताओं से सबक लिया होता तो भाई भतीजावाद और एजेंडा चलाने की बजाए पेशेवर रुख अपनाते दिखते. यशराज की बंटी और बबली 2 में एक्टर के रूप में लगभग ख़त्म हो चुके सैफ अली खान और रानी मुखर्जी की जोड़ी नहीं होती. सम्राट पृथ्वीराज में एक नौजवान योद्धा के रूप में अक्षय कुमार नहीं होते. लोगों ने यहां तक कहा कि यशराज फिल्म्स चीजों को ठीक से समझ पाती तो साल 2022 में सोशल कॉमेडी के नाम पर कम से कम 'जयेश भाई जोरदार' की जगह 'मिमी' जैसी फिल्म बना तरहे होते. मगर अभी भी यशराज फिल्म्स को लग रहा है कि 'कूड़ा कंटेट' और बूढ़े सितारों के नाम पर ही फ़िल्में बेची जा सकती हैं. हो ये रहा कि बूढ़े सितारों के नाम पर संबंधित फिल्मों को चर्चा तो खूब मिल रही है मगर वक्त के साथ बेजान नजर आ रहे सितारों के चेहरे दर्शकों की भीड़ सिनेमाघरों खींचने में नाकाम हो रहे हैं.

सलमान-शाहरुख का साथ बड़ी फ़िल्मी खबर के अलावा कुछ नहीं

यशराज की फिल्म में सलमान और शाहरुख का साथ होना भी एक बड़ी फ़िल्मी खबर से ज्यादा कुछ नहीं है. खूब लिखा पढ़ा जाएगा. जैसे जीरो, ट्यूबलाइट, रेस 3 आदि के लिए दिखा था. लेकिन दर्शक उन्हें देखने आएंगे भी या नहीं- अभी कुछ तय नहीं कहा जा सकता. दर्शक अब एक जैसे सितारों की एक जैसी कहानियां देखकर पक चुके हैं. उहें नए नवेले अभिनेता चाहिए. उन्हें बेहतर कहानी चाहिए और ऐसी फिल्म चाहिए जिसमें 'काम हुआ' दिखे भी. उदाहरण के लिए यश की केजीएफ के मेकर फिल्म बनाने से पहले जबरदस्त रिसर्च करते हैं. सभी भाषाओं के दर्शकों का फीडबैक लेते हैं और उसके बाद काम करते हैं.एसएस राजमौली, पा रंजीत, वेट्रीमारन, मणिरत्नम जैसे दक्षिण के लगभग सभी दिग्गजों के भी काम करने का अंदाज यही है. 19 साल के अनाम और अनुभवहीन बच्चे से भी दक्षिण का कोई निर्देशक फिल्म संपादित करवा सकता है.

बॉलीवुड की फिल्मों में रिसर्च के नाम पर कुछ होता नहीं है. हालांकि अभिनेता लेखक और निर्देशक उसके पीछे सालों के रिसर्च का हवाला देते हैं. सम्राट पृथ्वीराज के लिए ऐसा ही कहा गया था. जब पृथ्वीराज की कहानी लोगों ने देखी, कई चीजें तथ्यों से अलग और हास्यास्पद थी. यशराज ने पूरी तरह से पृथ्वीराज का मजाक बना दिया. सिलसिला, चादनी, वीरजारा जैसी भावुक प्रधान अविश्वसनीय भावना प्रधान फ़िल्में बनाने वाले बैनर की पहली पीरियड ड्रामा थी. ऐसी बनी कि लोग सम्राट पृथ्वीराज को पचा ही नहीं पाए. बॉलीवुड तो पब्लिक सेंटिमेंट पर ध्यान ही नहीं देता. उसे लगता है कि जब उसकी फिल्म में इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारे काम कर ही रहे हैं तो भला और चीजों की जरूरत क्या है? खान सितारों के नाम पर हमेशा बॉलीवुड की खिलाफत करने वाले लोग यशराज के नए प्रोजेक्ट को लेकर भी ऐसी ही आशंका जता रहे हैं. सोशल मीडिया देख लीजिए.

नाम बड़े और दर्शन छोटे

जहां तक शाहरुख-सलमान का एक ही फिल्म में साथ होना है, सच में यह बहुत बड़े आकर्षण का विषय है. आज से 27 साल पहले दोनों सितारों ने करण-अर्जुन में तगड़ा रंग जमाया था. दोनों डबल रोल में थे. बॉलीवुड की मसाला म्यूजिकल फ़ॉर्मूला फिल्म में सबकुछ था. सबकुछ का मतलब एक मनोरंजक फिल्म में जो रहना चाहिए वो था. फिल्म ब्लॉकबस्टर हुई. दोनों सितारे कई मर्तबा एक-दूसरे की फिल्मों में मेहमान भूमिका करते दिखे. कहा तो यह भी जाता है कि दोनों सितारों के बीच स्टारडम का भी झगड़ा रहा. इसमें आमिर खान भी शामिल रहें. अगर यह कहा जाए कि लंबे वक्त तक तीनों सितारों के बीच तनातनी रही और इसी वजह से इक्का दुक्का मौकों को छोड़ दिया जाए तो कभी फ़िल्में नहीं कीं, गलत नहीं होगा.

तीनों ने आपसी रिश्तों पर सार्वजनिक बयानबाजी भी की है. लेकिन जब ये सितारे एक पर एक असफल होने लगे- आपस में इनके संबंध खूब दोस्ताना हो गए. यह बदलाव पिछले छह सैट साल का है. अब तो साथ फिल्म करने पर भी राजी हो चुके हैं. आना-जाना और उठना बैठना है. दोनों का होना ही बड़ी बात है. बाकी फिल्म का सफ़ल होना या असफल होना कंटेंट पर निर्भर है. यशराज के अनाम प्रोजेक्ट में सितारे तो बड़े-बड़े हैं पर क्या बाकी चीजें भी बड़ी-बड़ी होंगी. या फिर बैनर एक बार फिर नाम बड़े और दर्शन छोटे कहावत को चरितार्थ कर जाएगी.

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