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Updated: 11 फरवरी, 2016 03:20 PM
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1986 में पैन एम एयरलाइन की फ्लाइट 73 का कराची में हाइजैक हो गई थी. मुंबई-न्यूयॉर्क की उड़ान में फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट हाइजैक के दौरान 359 यात्रियों की जान बचाते हुए खुद आतंकवादियों की गोली की शिकार हो गईं थीं. इस घटना पर बनी फिल्म 'नीरजा' के प्रदर्शन पर पाकिस्तान में रोक लगा दी गई है.

19 फरवरी को पाकिस्तान के कई सिनेप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमा में ये फिल्म दिखाई जाने वाली थी, लेकिन बाद में वाणिज्य मंत्रालय ने अपना फैसला बदल दिया. जाहिर सी बात है कि बॉलीवुड की कोई भी फिल्म जिसमें पाकिस्तान, आतंकवाद, आईएसआई का जिक्र भी होता है, तो पाकिस्तान उसे बहुत सीरियसली ले लेता है और उस पर बैन लगा दिया जाता है. पाकिस्तान विरोधी तत्व, या फिर मुसलमानों की नकारात्मक छवि जैसी बातें कहकर पाकिस्तान पहले भी बहुत सी फिल्मों पर बैन लगा चुका है.

लाहौर(2010)- किक बॉक्सिंग पर आधारित फिल्म 'लाहौर' भारत और पाकिस्तान के बीच मुहब्बत और शांति का पैगाम देने वाली फिल्म थी. लेकिन पाकिस्तान को फिल्म के डायलॉग्स और कुछ सीन्स पसंद नहीं आए.

तेरे बिन लादेन(2010)- ओसामा बिन लादेन पर बनी ये कॉमेडी फिल्म पाकिस्तान में नहीं दिखाई गई, जबकि फिल्म में हीरो खुद पाकिस्तानी गायक और अभिनेता अली जफर थे. पाकिस्तान का कहना था कि इससे पाकिस्तान में दंगे भड़क सकते थे.

डर्टी पिक्चर(2011)- भारत में अगर किसी फिल्म को A सर्टिफिकेट मिलता है तो पूरी संभावना होती है कि पाकिस्तान में वो फिल्म नहीं दिखाई जाएगी. विद्या बालन की ये बोल्ड फिल्म पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड पचा नहीं पाया और डर्टी पिक्चर पाकिस्तान में बैन कर दी गई.

खिलाड़ी786 (2012)- मुसलिम समुदाय में 786 एक पवित्र संख्या मानी जाती है, फिल्म के टाइटल में 786 जुड़े होने से लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़क सकती थीं, इसलिए इसे पाकिस्तान में बैन कर दिया गया.

एक था टाइगर(2012)- ये एक जासूसी फिल्म थी जो भारत और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी रॉ और आईएसआई के इर्द गर्द घूमती है. ये पाकिस्तान के राष्ट्रीय हित में नहीं थी लिहाजा इसे भी बैन कर दिया गया.

एजेंट विनोद- एक था टाइगर की तरह एजेंट विनोद भी एक जासूसी और आतंकवाद विरोधी फिल्म थी. फिल्म में पाकिस्तानी हाईकमान और जासूसों को तालिबान का समर्थन करते दिखाया गया था. लिहाजा ये भी पाकिस्तान में नहीं दिखाई गई.

भाग मिल्खा भाग(2013)- फ्लाइंग सिख मिलखा सिंह के जीवन पर आधारित ये फिल्म पाकिस्तान में इसलिए बैन कर दी गई क्योंकि पाकिस्तान के मुताबिक फिल्म में पाकिस्तान की छवि को सही तरह से प्रस्तुत नहीं किया गया था. फिल्म का डायलॉग 'मुझसे नहीं होगा, मैं पाकिस्तान नहीं जाउंगा' को इस फिल्म के बैन का कारण बताया गया.

रांझना (2013)- इस फिल्म के बैन होने पर आश्चर्य हुआ था क्योंकि ये सिर्फ एक लव स्टोरी थी. लेकिन हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की ये प्रेम कहानी पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड को रास नहीं आई.

हैदर (2014)- इस फिल्म के कुछ सीन्स में कश्मीर से संबंधित कुछ तथ्य थे जिन्हें कंट्रोवर्शियल माना गया था. पाक सेंसर बोर्ड को इससे आपत्ति थी इसलिए हैदर को भी पाकिसतान में बैन कर दिया गया.

बेबी(2015)- एक खूंखार आतंकी को पकड़ने के मिशन पर निकले एक भारतीय जासूस की कहानी पेश करने वाली अक्षय कुमार स्‍टारर ये फिल्म पाकिस्तान में रिलीज नहीं हुई. पाक सेंसर बोर्ड का कहना था कि फिल्‍म मुस्लिमों की नकारात्मक छवि पेश करती है और फिल्म के नकारात्मक किरदारों के नाम भी मुस्लिम ही हैं.

बैंगिस्तान(2015)- रितेश देशमुख की फिल्म बैंगिस्तान को भी पाकिस्तान में नहीं दिखाया गया. फिल्म आतंकवाद के खिलाफ थी. फिल्म में संदेश दिया गया था कि जिंदगी कीमती है और आतंकवाद से अपना और अपनों का ही नुकसान होता है. लेकिन केवल फिल्म का ट्रेलर देखकर ही पाकिस्तान ने इसे बैन कर दिया.

फैंटम- फिल्म फैंटम 2008 के मुंबई हमलों पर बनी थी, 'फैंटम' राइटर हुसैन जैदी के नॉवेल 'मुंबई अवेंजर्स' पर आधारित है. जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद की याचिका पर इसे पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था. हाफिज सईद के वकील का कहना था कि फिल्म में हाफिद सईद और उसके संगठन झूठा प्रचार किया गया है. जिससे हाफिज और उसके साथियों की जान को सीधा खतरा है. ये फिल्म पाकिस्तानी लोगों के दिमाग में जहर घोलेंगी और हाफिज सईद को आतंकवादी साबित करेगी.

और ये कंडोम एड, जो पाकिस्‍तान में ही बना था-

ये बात तो रही फिल्मों में दिखाए ने वाले आतंकवाद की जिसके बारे में पाकिस्तान की अपनी अलग राय हो सकती है, लेकिन कंडोम के बारे में पाकिस्तान की राय समझ से परे है. वहां कंडोम को नापाक माना जाता है, लिहाजा वहीं के बने कंडोम के विज्ञापन पर भी बैन लगा दिया जाते हैं, जिसके चर्चे पूरी दुनिया में हैं. देखिए वीडियो-

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