देवरकोंडा की लाइगर को हिंदी बेल्ट में साउथ फिल्मों से अलग 3 चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ेगा?
करण जौहर के प्रोडक्शन में आ रही विजय देवरकोंडा की लाइगर के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं. विजय देवरकोंडा एरोगेंस की वजह से निशाने पर हैं. अच्छी बात सिर्फ यह है कि उनके खिलाफ निगेटिव कैम्पेन बहुत मजबूत नहीं बना है हालांकि विरोध दिख रहा है. क्या हिंदी पट्टी में देवरकोंडा का हाल भी आमिर जैसा ही होने वाला है?
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स्पोर्ट्स एक्शन ड्रामा 'लाइगर' विजय देवरकोंडा के करियर की पहली फिल्म है जिसे इसी महीने 25 अगस्त को पैन इंडिया रिलीज किया जा रहा है. देवरकोंडा संभवत: साउथ के पहले स्टार हैं अब तक जिनकी कोई फिल्म हिंदी में नहीं रिलीज हुई है. मगर हिंदी पट्टी में उनके काम को पहचानने वालों की कमी नहीं है. देवरकोंडा मूलत: तेलुगु स्टार हैं. उन्होंने दस साल के करियर में अबतक कई फ़िल्में की हैं. उनकी तमाम फ़िल्में पहले भी हिंदी में डबकर टीवी पर भी दिखाई जा चुकी हैं. हालांकि तेलुगु स्टार को हिंदी बेल्ट में पहली बार तब जबरदस्त चर्चा मिली जब बॉलीवुड ने उनकी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' की रीमेक 'कबीर सिंह' बनाई.
कबीर सिंह में शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी नजर आए थे. यह एक मेडिकल स्टूडेंट की लवस्टोरी है. फिल्म तेलुगु की तरह हिंदी में भी ब्लॉकबस्टर थी. कबीर सिंह के साथ ही विजय देवरकोंडा के नाम की खूब चर्चा हुई. कबीर सिंह के बाद देवरकोंडा को बॉलीवुड सर्किल में देखा जाने लगा. रीमेक के बाद जिस तरह हिंदी पट्टी में उनकी चर्चा हुई और हाल के कुछ सालों में दक्षिण की पैन इंडिया फिल्मों ने यहां उम्दा कारोबार किया- देवरकोंडा सीधे हिंदी में आने के लिए तैयार हैं. हिंदी पट्टी में इनका जबरदस्त स्टारडम नजर आता है. हालांकि स्टारडम तो आमिर खान अक्षय कुमार का भी था जो ध्वस्त हो चुका है.
लाइगर में विजय देवरकोंडा और रोनित रॉय.
इधर की तमाम घटनाओं और एक्टर के बयानों की वजह से साउथ के दूसरे स्टार्स की तुलना में उनकी पैन इंडिया "लाइगर" के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं. देवरकोंडा चुनौतियों से कैसे पार पाएंगे यह देखने वाली बात है. आइए जानते हैं लाइगर के सामने तीन चुनौतियां क्या हैं जो पहाड़ साबित हो सकती हैं:-
#1. विजय देवरकोंडा का एरोगेंस
लाइगर की रिलीज से पहले विजय देवरकोंडा का एरोगेंस एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है. देवरकोंडा की पब्लिक प्रेजेंस साउथ के तमाम स्टार्स से बिल्कुल उलट है. वे लगभग बॉलीवुड सितारों की तरह ही नजर ही आते हैं. सोशल मीडिया पर पिछले कुछ महीनों से उनके पहनावे और उनकी हरकतों पर हिंदी बेल्ट में नकारात्मक टिप्पणियां देखी जा सकती हैं.
उन्होंने हाल ही में आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा का सपोर्ट भी किया था. और लगभग करीना कपूर खान और अर्जुन कपूर के अंदाज में ही दर्शकों की खिल्ली उड़ाई. करीना ने भी एक बार कहा था- मत देखो हमारी फ़िल्में. अभी हाल में अर्जुन कपूर ने भी दर्शकों को लगभग धमकाने के अंदाज में कहा कि हमने बहुत बर्दाश्त कर लिया.
एक इंटरव्यू में देवरकोंडा ने भी कहा भी कि मुझे लगता है कि हम (फिल्म सर्किल) इसे बहुत ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. जो विरोध कर रहा उसे करने दो. क्या कर सकते हैं हम. हम तो फिल्म बनाएंगे. जिसे देखना है वो देखेगा और जो नहीं देखना चाहता (सिनेमाघरों में) वह टीवी पर या फोन में देखेगा. हम इसका कुछ नहीं कर सकते.
बॉलीवुड के प्रति दर्शकों के व्यवहार के उलट देवरकोंडा के बयान को पसंद नहीं किया गया और एक निगेटिव कैम्पेन दिखा. अच्छी बात सिर्फ यही है कि वह वैसा मजबूत नहीं लगा जैसा कि लाल सिंह चड्ढा और रक्षा बंधन या फिर दूसरी बॉलीवुड फिल्मों के खिलाफ नजर आया था. देखने वाली बात होगी कि विजय देवरकोंडा का एरोगेंस बॉलीवुड पर किस तरह से असर डालता है? कुछ ना कुछ असर तो पड़ेगा ही.
#2. करण जौहर से देवराकोंडा की नजदीकी
देवराकोंडा बॉलीवुड में करण जौहर के करीबी माने जाते हैं. हाल के कुछ सालों में दोनों की फ्रेंडशिप सार्वजनिक तौर पर भी दिखी है. करण जौहर लंबे वक्त से हिंदी पट्टी के दर्शकों के निशाने पर रहे हैं. तमाम ट्रेंड्स में करण जौहर को लेकर आने वाली प्रतिक्रियाओं पर गौर करें तो उन्हें बॉलीवुड के मठाधीश के तौर पर शुमार किया जाता है जो बॉलीवुड में तमाम खराब चीजों की वजह माने जाते हैं.
लाइगर के बड़े निर्माताओं में करण जौहर का बैनर धर्मा प्रोडक्शन भी है. जौहर की तमाम फिल्मों पर निशाना साधा जाता रहा है. लाइगर, करण जौहर की वजह से निश्चित ही निशाने पर रहेगी. हालांकि उनकी पिछली फिल्म 'जुग जुग जियो' ने किसी तरह सिनेमाघरों से अपनी लागत निकालने में कामयाबी हासिल की थी. वरुण धवन स्टारर फिल्म 85 करोड़ के बजट में बनी थी और इसने देसी बॉक्स ऑफिस पर किसी तरह 85.03 करोड़ का ही लाइफटाइम बिजनेस किया था.
देखना होगा कि करण जौहर कनेक्शन लाइगर को कितना नुकसान पहुंचाता है.
#3. अनन्या पांडे की वजह से नेपोटिज्म
बॉलीवुड के खिलाफ निगेटिवटी में नेपोटिज्म का बहुत बड़ा योगदान रहा है. आरोप लगता है कि बॉलीवुड के निर्माता अपने कुनबे के स्टार्स को ही मौके देते हैं. आउट साइडर्स को परेशान किया जाता है. यहां तक कि उनके करियर को भी तबाह किया जाता है. खासकर धर्मा प्रोडक्शन जैसे बड़े बड़े बैनर्स स्टार्स या उनके बेटे बेटियों को ही मौका देते नजर आते हैं. सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस के बाद यह बड़ा मुद्दा बना. लाइगर में अनन्या पांडे हैं जिन्हें नेपोटिज्म की ही उपज बताया जाता है. लोगों का दावा है कि स्टार फैमिली का होने की वजह से ही उन्हें फ़िल्में मिलीं.
अनन्या पांडे बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता चंकी पांडे की बेटी हैं. करण जौहर खुद यश जौहर के बेटे हैं. उनके पिता बॉलीवुड के नामचीन निर्माताओं में शुमार किए जाते हैं. देवरकोंडा की लाइगर के खिलाफ नेपोटिज्म को लेकर होने वाला निगेटिव कैम्पेन भी नुकसान की एक बड़ी वजह हो सकता है. पैन इंडिया ना सही मगर पुरी जगन्नाध के निर्देशन में बनी फिल्म को हिंदी पट्टी में एक 'हीट वेव' का सामना तो करना पड़ सकता है.
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