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Updated: 30 अक्टूबर, 2016 08:53 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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ऐ दिल है मुश्किल! हाय, करण ने फिल्म क्या बना दी लोगों को तो जैसे मौका ही मिल गया विवाद करने का. अब देखिए ना एक तरफ एमएनएस का विवाद शांत हुआ और जैसे तैसे फिल्म रिलीज हुई तो नई खबरें आने लगीं कि सास जया बच्चन को एशवर्या का यूं फिल्म में रणबीर से नजदीकी दिखाना बिलकुल पसंद नहीं आया. जया ने आजकल की फिल्मों को लेकर अपना गुस्सा जाहिर कर दिया. इस फिल्म को देखने के लिए अगर मन में जिज्ञासा जागी है तो उसका एक कारण रणबीर और एशवर्या की जोड़ी भी है, लेकिन जया बच्चन को शायद ये जोड़ी अच्छी नहीं लगी.

क्या था मामला?

हुआ कुछ यूं कि अठारवें मामी(MAMI) फिल्म फेस्टिवल में बॉलिवुड की गुड्डी ने आजकल की फिल्मों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. उनका कहना था कि आज सब कुछ सिर्फ नंबर (पैसों) के लिए है. सब कुछ हमारे चेहरे पर फेका जा रहा है. प्यार और लगाव को पब्लिकली डिस्प्ले किया जा रहा है. शर्म नाम की तो कोई चीज ही नहीं है. अब सब कुछ बड़े कलेक्शन के लिए है और इसलिए फिल्में बनाई जाती हैं कि वो 100 करोड़ कमा लें. ये सभी मेरी समझ नहीं आता.

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अब जया का ये कहना महज इत्तेफाक है या ऐ दिल है मुश्किल में एशवर्या और रणबीर के बोल्ड सीन को लेकर गुस्सा ये तो भगवान ही जाने, लेकिन फिल्म रिलीज के तुरंत बाद गुड्डी का ये गुस्सा थोड़ा पेचीदा लग रहा है. पिछली बार जब धूम 2 में एशवर्या और रितिक रौशन का किसिंग सीन सामने आया था तो भी बच्चन परिवार के गुस्से की खबरें आई थीं. तो हो सकता है कि ये बात सच हो.

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 ऐ दिल है मुश्किल के सीन

क्या सिर्फ बहू के सिर है शर्म और हया को बरकरार रखना?

देखिए मामला चाहें जो भी हो, लेकिन क्या सिर्फ बहू को ही शर्म और हया की जिम्मेदारी देनी चाहिए? अभिषेक ने भी कई फिल्में की हैं और ऐसे कई सीन किए हैं जिसमें उन्हें भी शर्मा आनी चाहिए. कई डायलॉग बोले हैं जो सभ्य भाषा में सही नहीं कहे जा सकते. आजकल लोग उन्हें डबलमीनिंग कहते हैं. फिर भला एशवर्या के समय ही ये सब बातें क्यों सामने आईं?

अगर पति कर सकता है, बेटा कर सकता है तो बहू क्यों नहीं?

अब देखिए अमिताभ बच्चन ने बूम में भी कुछ ऐसा किरदार निभाया था जिसको लेकर जया को गुस्सा होना चाहिए. इसके अलावा, अभिषेक ने भी युवा में रानी मुखर्जी के साथ अपनी नजदीकि दिखाई थी. दोस्ताना में तो डबलमीनिंग का रिकॉर्ड बनाया था. क्या वो सभी फिल्में याद नहीं. अगर अमिताभ और अभिषेक कर सकते हैं तो एशवर्या को लेकर क्या आपत्ती है.

बहू बेटे से ज्यादा कामकाजी है तो भी उसके लिए ही नियम क्यों?

एक मिस वर्ल्ड को अपना ब्रैंड बनाए रखने के लिए स्क्रीन पर अच्छा दिखना होगा. अगर एशवर्या को काम करना है तो उन्हें अब मां के रोल में आ जाना चाहिए क्योंकि अगर कोई बोल्ड रोल करती हैं तो उनके परिवार पर असर पड़ेगा, क्या ये सही है? अगर बेटे से ज्यादा सक्सेसफुल बहू है तो भी उसे हर दायरा मानना चाहिए. आखिर बहू है वो. हमारे देश में बहुओं के लिए वैसे ही सास नियम की पक्की होती है. भले ही खुले विचारों कि हो, लेकिन अगर बहू वर्किंग है तो उसके लिए कई नियम होते हैं. अगर काम पर जा रही है तो भी घर वालों से इजाज़त ले. आने जाने का समय ध्यान रखे. त्योहारों पर अगर ऑफिस किसी जरूरी काम के लिए जाना है तो सास का गुस्सा होना लाजमी है और अगर यही काम बेटा करे तो उसकी सराहना होती है कि देखो मेरा बेटा कितनी मेहनत करता है. ऐसा करना बेटे के लिए ये प्रोफेश्नल होगा और बहू के लिए बेशर्मी. आखिर ऐसा क्यों?

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जमाना तो बदल गया, लेकिन सोच का क्या करें?

जया बच्चन का जमाना कुछ और था उस जमाने में लोग इतने खुले नहीं थे, लेकिन आज का जमाना बदला हुआ सा है. लोग अब समझने लगे हैं. पीडीए (पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन) बाकायदा अब अपनाया जा चुका है. ऐसे में क्या वो एक ठेठ सास की तरह फिल्मों पर बोल रही थीं या फिर नए जमाने की नई सोच को अपनाने में थोड़ी समस्या हो रही थी उन्हें. इसके पहले तो ऐसा कोई भी कमेंट उनकी तरफ से नहीं आया. अगर बहू पर नाराजगी थी तो ये भी पब्लिक करना जरूरी था? जमाने के साथ आगे बढ़ना जरूरी है. अक्सर देखा जाता है कि सास बहू को ये बोलती है कि मेरे समय में ऐसा होता था. अरे जब सास की शादी हुई थी बहू तो तब पैदा भी नहीं हुई थी फिर आखिर जमाने के साथ-साथ सोच क्यों नहीं बदली जा सकती है?

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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