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Updated: 03 अक्टूबर, 2021 10:49 PM
आईचौक
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अभी भी मुंबई और कुछ इलाकों में थियेटर बंद पड़े हैं. दिवाली से इन्हें खोलने की तैयारी है. वैसे देश के दूसरे हिस्सों में सिनेमाघर काफी पहले खुल चुके हैं. कुछ नई फ़िल्में भी आईं. मगर उनका बॉक्स ऑफिस हश्र बेहद खराब रहा. सिनेमाघर खुले तो ओटीटी पर कंटेंट आने बंद हो गए. उधर, बॉक्स ऑफिस नतीजों की वजह से अच्छी फिल्मों की रिलीज पर भी असर पड़ा. कई सारी फ़िल्में टल गईं. बेल बॉटम और थलाइवी के बाद अब शायद दिवाली के बाद ही अच्छी फ़िल्में देखने को मिले. कोई बात नहीं. ओटीटी पर देखने के लिए बड़े पैमाने पर बॉलीवुड के सदाबहार कंटेंट हैं. मनोरंजन के लिहाज से फ़िल्में हर तरह के दर्शकों के मुफीद हैं.

ख़ास बात यह भी है कि इन्हें किसी भी वक्त और बार-बार देखा जा सकता है. इस बात की गारंटी है कि दर्शकों लको कंभी भी बोरियत महसूस नहीं होगी. आइए बॉलीवुड में बनी ऐसी ही छह मनोरंजक फिल्मों के बारे में जानते हैं.

#1. चुपके चुपके (1975)

चुपके चुपके भारतीय सिनेमा की उत्कृष्ट फैमिली ड्रामा कॉमेडी क्लासिक में शुमार है. फ्रेश और क्लीन कॉमेडी पसंद करने वालों के लिए चुपके चुपके से बेहतर शायद ही कोई विकल्प मिले. इसका निर्देशन सिनेमा के दिग्गज हृषिकेश मुखर्जी ने किया है. दो दोस्तों और आइडेंटीटी क्राइसिस को लेकर एक बेहद ही उम्दा कहानी बनाई गई है. संवाद, अभिनय के लिहाज से भी चुपके चुपके का कोई जोड़ नहीं है. फिल्म के कई गाने भी सदाबहार हैं जो आजतक चाव से सुने जाते हैं. चुपके चुपके में धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शर्मीला टैगोर और असरानी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं.

#2. शोले (1975)

एक्शन मसाला एंटरटेनर के बारे में किसी को बताना आईने को दिया दिखाने जैसा है. शोले वर्ल्ड क्लासिक का दर्जा भी दिया जाता है. फिल्म की कहानी डकैतों की समस्या को दिखाती है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे दो भले मानस उचक्के गांववालों को खूंखार डाकू गब्बर सिंह के आतंक से मुक्ति दिलाते हैं. शोले म्यूजिकल ब्लॉकबस्टर  है. इसके लगभग सभी गाने सदाबहार हैं. संजीव कुमार, धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया बच्चन, असरानी और अमजद खान मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे.

amol-palekar_650_100321070226.jpgवेक अप सिड और गोलमाल का दृश्य.

#3. गोल माल  (1979)

गोल माल भी आइडेंटीटी क्राइसिस पर बनी उम्दा कॉमेडी क्लासिक है. फिल्म देखते हुए आपको महसूस होगा कि हृषिकेश मुखर्जी ने कितने दिल से इसे बनाया है. उत्पल दत्त और अमोल पालेकर की ट्यूनिंग से कई सीन और संवाद ऐसे निकले हैं जिन्हें देखते सुनते दर्शकों का हंस-हंसकर बुरा हाल हो जाए. फिल्म में दीना पाठक, ओमप्रकाश और देबदत्त सेनगुप्ता भी अहम किरदारों में हैं.

#4. मिस्टर इंडिया (1987)

कॉमेडी एक्शन का डोज एक ही फिल्म में देखना पसंद करने वालों दर्शकों के लिए साई फाई मिस्टर इंडिया सबसे बेहतर विकल्प है. फिल्म की कहानी अरुण नाम के एक अनाथ एक युवक की है जो आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए घर में ही अनाथ बच्चों का आश्रम चलाता है. घर का एक हिस्सा महिला पत्रकार को किराए पर दे रखा है. अरुण के घर पर माफियाओं की नजर है. लेकिन उसके हाथ पिता की बनाई एक ऐसी डिवाइस लगती है जिसके इस्तेमाल से अरुण का जीवन ही बदल जाता है. अनिल कपूर, श्रीदेवी, अन्नू कपूर, सतीश कौशिक और अमरीश पुरी ने उम्दा अभिनय किया है. मिस्टर इंडिया का निर्देशन शेखर कपूर ने किया था. मिस्टर इंडिया के गाने वक्त बीतने के बावजूद ताजे बने हुए हैं.

#5. दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे (1995)

रोमांटिक फिल्मों में दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे का कोई जवाब नहीं है. फिल्म की कहानी एनआरआई लड़के और पंजाब के गांव की लड़की के बीच की प्रेम कहानी है. लड़की का पिता दोनों के बीच आ गया है. दो अलग ध्रुव से आने वाले प्रेमी जोड़े की केमिस्ट्री और आखिर में उनका मिलन कैसे होता है यह देखने वाली चीज है. यशराज के बैनर से बनी फिल्म का निर्देशन आदित्य चोपड़ा ने किया था. शाह रुख खान, काजोल, अमरीश पुरी और अनुपम खेर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं. बताने की जरूरत नहीं कि दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे के कर्णप्रिय धुनें अभी भी बासी नहीं हुई हैं.

ddlg_100321070413.jpgलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे में शाह रुख खान और काजोल.

#6. वेक अप सीड (2009)

रोमासं कॉमेडी और एक्शन नहीं देखना है तो नए जमाने की कहानी वेक अप सीड से मन बहला सकते हैं. फिल्म की कहानी एक ऐसे युवा लड़के की है जिसके जीवन में कोई गोल ही नहीं है. हालांकि उसके पास पिता का खूब सारा पैसा है. पिता चाहता है कि बेटा कारोबार में हाथ बंटाए पर बेटे की चाहत ऐसे नहीं है. विवाद के बाद वो पिता का घर छोड़कर उम्र में बड़ी महिला मित्र के साथ रहने चला जाता है. युवक और महिला मित्र दोनों के विचार और बैकग्राउंड में जमीन आसमान का अंतर हैं. यहां रहते हुए लड़के के जीवन में बड़ा परिवर्तन आता है. फिल्म की कहानी अलग तरह की है और इसे देखते हुए दर्शकों को अनुभव मिलते हैं. रणबीर कपूर, कोंकना सेन शर्मा, अनुपम खेर और सुप्रिया पाठक ने अहम भूमिकाएं निभाई है. करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी फिल्म का निर्देशन अयान मुखर्जी ने किया है.

जब तक हम कुछ और फिल्मों की लिस्ट नहीं लाते इन्हें देख लीजिये. 

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