New

होम -> सिनेमा

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 फरवरी, 2023 06:33 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

यूं तो देश ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन जासूस दिए हैं लेकिन रविंद्र कौशिक उर्फ़ नबी अहमद शाकिर उर्फ़ ब्लैक टाइगर का कोई जवाब नहीं. ब्लैक टाइगर की कहानी से प्रेरित होकर बॉलीवुड में यशराज फिल्म्स ने टाइगर फ्रेंचाइजी में दो फ़िल्में बना चुके हैं. तीसरी भी सलमान खान के साथ बनाई जा रही है जो बस रिलीज होने को है. हालांकि यशराज ने ब्लैक टाइगर की असली कहानी को 'पाकिस्तानी दर्शकों' के मनोरंजन के लिहाज से कुंद कर दिया था और पाकिस्तान के तमाम मानवीय पक्ष उसमें घुसा दिए थे. इस वजह से टाइगर सीरीज की फ़िल्में सच्ची घटनाओं से प्रेरित होने के बावजूद उतनी ही नकली नजर आईं- जितना कि हाल ही में आई यशराज फिल्म्स और शाहरुख खान की पठान थी.

मगर पहली बार बॉलीवुड ने ब्लैक टाइगर के समूचे जीवन को दिखाने का फैसला किया है. बॉलीवुड के बेहतरीन निर्देशकों में शुमार अनुराग बासु उनकी बायोपिक बनाएंगे. एक देशभक्त जासूस की सच्ची कहानी को देखना भारतीय दर्शकों के लिए एक बेहतरीन अनुभव होगा. समझ में नहीं आता कि भारतीय जासूसों की सच्ची कहानियों पर बनी फ़िल्में जबरदस्त कामयाब होती रही हैं, मगर बॉलीवुड ने मनमाने तरीके से काल्पनिक कहानियों को  तोड़-मरोड़कर दिखाया. टाइगर से लेकर पठान तक किसी भी फिल्म को उठाकर देख लीजिए. जबकि राजी जैसी बायोपिक आई तो दर्शकों ने उसे हाथोंहाथ लिया था.

black tigerब्लैक टाइगर

ब्लैक टाइगर बॉलीवुड में जासूसी फिल्मों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है. क्योंकि अनुराग गैंगस्टर, बर्फी और लूडो जैसी फिल्मों से अपने क्राफ्ट का जादू दिखा चुके हैं. और अब तो उनकी टेबुल पर एक ऐसी कहानी है जिसके हर पन्ने में रहस्य, रोमांच और देश के लिए कोई भी कीमत चुकाने का जज्बा भरा हुआ है. जज्बा ऐसा कि एक जासूस देश के लिए मुसलमान तक बन जाता है. जरूरी सूचनाएं निकालता है और देश से दूर दुश्मन की जमीन पर पकड़ा जाता है, जान गंवा देता है मगर उफ़ तक नहीं कहता. यशराज के जासूस पता नहीं किस वजह से आईएसआई की लेडी जासूसों के साथ इलू-इलू करते नजर आते हैं.

ब्लैक टाइगर जिसकी दास्तान सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं

ब्लैक टाइगर यानी रविंद्र कौशिक को मात्र 23 साल की उम्र में रॉ का अंडरकवर बनाकर पाकिस्तान भेजा गया था. आज भी उनका नाम देश के सर्वश्रेष्ठ जासूसों में शुमार किया जाता है. वह किस स्तर के जासूस थे इसका अंदाजा ऐसे भी लगाए कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना में रैंक तक हासिल कर ली थी और किसी को भनक तक नहीं लगी. जबकि पठान का बहादुर जासूस "रूसी सेना" के कब्जे में दिखता है. वह रूस में पता नहीं कौन सी सूचना निकालने गया था. शायद यह रूस और अफगान की कटुता की वजह से हुआ हो. कुछ अफगानी पठान आज भी रूस से कटुता का भाव रखते पाए जाते हैं. बात रविंद्र कौशिक की. वह बेहद स्मार्ट नौजवान थे. उन्हें एक्टिंग और थियेटर से बहुत लगाव था. रॉ ने उन्हें थियेटर के जरिए ही स्पॉट किया था. उन्हें पाकिस्तान में भेजने से पहले जबरदस्त तरीके से ट्रेंड किया गया. उर्दू सिखाया गया. इस्लाम का गहरा अध्ययन कराया गया.

रविंद्र कौशिक को पाकिस्तान में एक नए नाम नबी अहमद शाकरी के रूप में भेजा गया था. पाकिस्तान भेजने से पहले देश में उनके सारे रिकॉर्ड्स को नष्ट कर दिया गया था. पाकिस्तान पहुंचकर उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी से क़ानून (LLB) की पढ़ाई की. इसके बाद वे पाकिस्तानी सेना में एक अफसर के रूप में कमीशंड हुए. उन्होंने पाकिस्तानी सेना का इतना भरोसा जीत लिया था कि मेजर की रैंक मिली. वहां अमानत नाम की मुस्लिम लड़की से शादी की और एक बेटी के पिता भी बने. कहा जाता है कि 1979 से 1983 के बीच रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान की बेहतरीन खुफिया जानकारी भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान को दिए जो बहुत काम आए. इन्हीं सूचनाओं की वजह से भारतीय डिफेन्स सर्किल में वह द ब्लैक टाइगर के रूप में मशहूर हुए.

टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान गए एक दूसरे रॉ जासूस से संपर्क में आने की वजह से वह 1983 में पकड़े गए. इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उनपर बेइंतहा सख्ती की. 1985 में जासूसी के आरोप में उन्हें मौत की सजा मिली जिसे बाद में आजीवन कारावास के रूप में बदल दिया गया. सियालकोट के एक इंटरोगेशन सेंटर में उनसे दो साल सख्ती से पूछताछ की गई. बाद में 16 साल तक के लिए उन्हें एक दूसरी जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया. 2001 में उनकी मौत हो गई. देश के सपूत ने जन्मभूमि का कर्ज उतारने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया.

#ब्लैक टाइगर, #द ब्लैक टाइगर, #रॉ, Black Tiger, The Black Tiger, Ravinder Kaushik

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय