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सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
दिव्या राकेश शर्मा
@1609812972748481
गंदगी फैला रही महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगाकर ही सुधारा जा सकता है
महिलाएं जो कि अपने घर को चमका कर रखती हैं जो फर्श पर एक तिनका देख अपनी कामवाली या बच्चों पर बिगड़ जाती हैं. कभी कभी रौद्र रूप धारण कर ताडंव करने लगती हैं वे महिलाएं सार्वजनिक स्थल तो छोड़िए धार्मिक स्थलों पर भी गंदगी का ढेर लगा आती हैं. जो अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
ज़िंदगी में कोई ऐसा हो जो घर के बाहर पड़े अख़बार उठाए और घर को चोरों की बुरी नजर से बचाए!
यूपी के गाजियाबाद में चोरों ने बड़े ही अनोखे अंदाज में अपना काम दिखाया. घर सूना है या नहीं, यह जानने के लिए उन्होंने अखबार का इस्तेमाल किया. कैसे हुई यह पूरी वारदात, जानिए...
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
Vaishno Devi stampede: आखिर क्यों भीड़ प्रबधंन पर बननी चाहिए ठोस नीति...
वैष्णो देवी मंदिर में हुई भगदड़ (Vaishno Devi stampede) की एक बड़ी वजह भीड़ प्रबधंन का ना होना है. अगर इसपर कोई ठोस नीति बनी होती तो यकीनन इस तरह का कोई हादसा न होता. इसलिए अब वो समाया आ गया है जब सरकार को भीड़ प्रबधंन को गंभीरता से लेना चाहिए और इसपर कोई ठोस नीती बनानी चाहिए.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
वैष्णो देवी हादसा, 2022 की इससे बुरी शुरुआत नहीं हो सकती!
ओमिक्रॉन की चेतावनी के बीच हम मानस बना ही रहे थे कि 2022 में हमारा जीवन कैसा होगा, ऐसे में वैष्णोदेवी से बुरी खबर आना झटका देने लायक है. एक तरफ कोविड गाइडलाइन, संयम बरतने की जिम्मेदारी है, तो दूसरी तरफ आस्था के नाम पर भीड़ का जुटना और 12 लोगों का कुचला जाना. कहां जा रहे हैं हम?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
कांग्रेस में बदले शक्ति केंद्र में कमलनाथ के आगे कब तक टिकेंगे सिंधिया
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया बनाम कमलनाथ की लड़ाई में दिग्विजय सिंह की भी वाइल्ड कार्ड एंट्री हो चुकी है. ऐसे में जबकि कांग्रेस का शक्ति केंद्र राहुल गांधी से सोनिया गांधी के यहां शिफ्ट हो चुका है, सिंधिया आगे क्या करेंगें?
संस्कृति
| 3-मिनट में पढ़ें
विवेक शुक्ला
@vivek.shukla.1610
क्यों भगवती जागरण से दूर हो गया है समाज?
नवरात्र के दौरान एक समय खूब जोर रहता था भगवती जागरण या जगराते के आयोजनों का. लेकिन अब इनमें खासी कमी आ गई है. इसकी क्या वजह है... क्या अब हमें जागरण रास नहीं आ रहे?