सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

सख्त कानून कायदों का क्या मतलब यदि कानून की आंखों की पट्टी सरक गई हो
कहने को कहा जाता है कानून सबके लिए समान होता है या क़ानून की नजरों में सब समान है. हकीकत में क्या स्थिति इतनी आदर्श है ? कम से कम भारत में तो नहीं है. यहाँ तो गणमान्यों व नेताओं के लिए नियम, कायदे कानून बने ही हैं 'सारे नियम तोड़ दो' के लिए !
सियासत | बड़ा आर्टिकल

कभी केजरीवाल अपने आप को कांग्रेस का विकल्प बता रहे थे, आज मांग रहे है सबका समर्थन!
दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार एक-दूसरे की बांह मरोड़ने में जुटी हैं. दिल्ली के अधिकारी किसकी सुनेंगे ये फैसला 11 मई को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने कर दिया. जिसमें साफ कहा गया कि पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.
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मीडिया की नासमझी है कि एससी के हवाले से जो नहीं हुआ उसे भी आदेश बता दिया!
आदर्श स्थिति होती कि मीडिया खेद प्रकट करती और कहती कि उनके गलत विश्लेषण की वजह से न्यायमूर्ति को स्पष्टीकरण देना पड़ा, 'न्यायाधीश वर्मा स्टे के दायरे में नहीं आएंगे क्योंकि 'योग्यता- सह-वरिष्ठता' का पालन करने पर भी उनकी पात्रता है.
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Supreme Court: खुद गुरुजी बैंगन खाएं, दूसरों को दे नसीहत!
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और दो अन्य पर एक महिला से बलात्कार करने और उसे और उसके बेटे को जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था. जब पुलिस ने कथित तौर पर विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, तो शिकायतकर्ता ने एक सिटी मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप की मांग की.
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उद्धव ठाकरे सरकार गिरने के जितने जिम्मेदार राज्यपाल हैं, उतने ही सुप्रीम कोर्ट के जज भी!
उद्धव एकनाथ शिंदे विवाद में भले ही सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सारा ठीकरा तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर फोड़ दिया हो. लेकिन इसी सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 29 जून 2022 को राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के आदेश को जायज ठहराते हुए स्टे देने से मना कर दिया था.
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