सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों की एकजुटता का माहौल बने. इसलिए ही उन्होंने यूपी कि सियासत मे पीडीए का जाल बिछाने की जबानी रणनीति तय की है. पीडीए का फुलफॉर्म है- दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक. सपा अपने अतीत की पारम्परिक जमीनी धरातल को दोहराना चाहती है.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

राजनीतिक विरासत में अखिलेश से भारी हैं जयंत
देश की राजनीति का केंद्र उत्तर प्रदेश है और दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी है. जबकि इस सूबे की सियासत का केंद्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश बन गया है, किसानों और जाटों के इस भू-भाग की सियासत नजदीकी राज्य हरियाणा को भी प्रभावित करती है. और यूपी की सियासत की धुरी बनने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल और इस दल के शहंशाह जयंत चौधरी की शहेनशाहात ख़ूब चलती है.
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शरद - उद्धव नहीं बचा सके, अखिलेश आखिर कैसे बचाएंगे सपा!
सपा के टूटने की संभावनाओं में शिवपाल यादव को पार्टी की कमज़ोर कड़ी माना जा रहा है.राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शरद पवार को देश की राजनीति का चाणक्य माना जाता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ये बात कह चुके हैं कि शरद पवार देश के सबसे वरिष्ठ और परिपक्व नेता हैं.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

रामनगरी में भी महंती सत्ता स्थापित करना चाहती है भाजपा
राजनीति में आने के सवाल पर महंत ने कहा कि अयोध्या हमारे आराध्य की नगरी है. लोगों का दुख दर्द साझा कर सकूं इसलिए राजनीति में आया हूं. महंत के रुप में भी सेवा कर रहे थे के जवाब में भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि हाथ में शक्ति आएगी तो बेहतर ढंग से जनसेवा कर सकूंगा.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

बीवियों को किनारे करने में तो जीत ही जाएंगी सपा की वंदना...
राजधानी लखनऊ मेंमेयर सीट के लिए सपा ने कमजोर समाज की मजबूत आवाज़ बनने वाली वंदना मिश्रा को अपना प्रत्याशी घोषित करने के बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी हैं. वंदना ब्राह्मण हैं और भाजपा इस जाति के वोट को अपना सुरक्षित वोट मानकर यूपी में पिछड़ी जातियों के चेहरों को एहमियत ज्यादा देती रही है.
सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

'हम मिट्टी में मिल गए हैं'... अतीक अहमद का ये बयान योगी आदित्यनाथ को ताकतवर बनाएगा
अतीक अहमद को एक बार फिर अहमदाबाद से प्रयागराज लाया गया है. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उसने कहा कि हमने माफियागिरी छोड़ दी है, मिट्टी में मिल चुके हैं. सरकार को हमारे औरतों और बच्चों को छोड़ देना चाहिए. ये कहते हुए अतीक के चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता था. ये वही अतीक है, जिसके नाम से लोग थर-थर कांपते थे. लेकिन आज उसका ये डर योगी आदित्यनाथ को ताकतवर बना रहा था.
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आज़म से अच्छा तो सारस है, विरोध में अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस तो की है
आज़म खान के सपोर्ट में सपा अध्यक्ष उतना मुखर नहीं हुए जितना होना चाहिए था. कुछ लोग कह रहे हैं कि अखिलेश की नजर में आजम खान से ज्यादा अहमियत सारस की है. सारस के जाने पर प्रेस कांफ्रेंस की तो इसके बाद आज़म खान का दर्द भी बयां कर दिया। आज़म से अच्छा तो सारस ही है.
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