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राजस्थान: अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई का अंजाम क्या होगा?
पिछले इतिहास को खंगाला जाए तो 200 सदस्यीय सदन में 21 सीटों पर सिमट जाने के बाद से पार्टी को विधानसभा की जीत तक ले जाने के बाद, दिसंबर 2018 के चुनावों के बाद पायलट को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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43 डिग्री तापमान में सचिन पायलट की यात्रा के सियासी मायने क्या हैं?
सचिन पायलट अभी निर्णय लेने वाले पद पर नहीं रहे हैं. इसलिए टेस्टेड नहीं है. उपमुख्यमंत्री के रूप में काम काज की तारीफ होती है. ईमानदार नेता की छवि रही है. अगर, सचिन पायलट को निकाला जाता है तो उस सहानुभूति में राजस्थान में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है.
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राजस्थान में गहलोत की नई सियासी चाल से विपक्ष चित्त नजर आ रहा है
राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में मात्र आठ महीने का समय बचा है. इसीलिए गहलोत राजनीति के मैदान में खुलकर खेल रहे हैं. पिछले 30 वर्षों से राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का मिथक चला आ रहा है. मगर मुख्यमंत्री गहलोत अगले विधानसभा चुनाव में इस मिथक को तोड़ कर फिर से कांग्रेस की सरकार बनाना चाहते हैं.
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अपने जन्मदिन पर वसुंधरा ने अपना दम दिखाकर भाजपा को बड़े संदेश दे दिए हैं!
समर्थकों का दबाव व खुद को मुख्यधारा में शामिल करवाने के लिए ही वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन के बहाने रैली कर पार्टी आलाकमान को खुला संदेश दिया है.वसुंधरा ने भाजपा से साफ़ कह दिया है कि किसी भी हाल में उनकी ताकत को कम कर नहीं आंका जाए.
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